udaipur होम्योपैथी वैज्ञानिक आधार पर चलने वाली सुरक्षित चिकित्सा पद्धति है। इस पद्धति में निरंतर शोध के कारण अनेक विकास हुए है और यही कारण है कि इस 200 वर्ष पुरानी चिकितसा पद्धति में वर्तमान परिप्रेक्ष्य में अनेक बदलाव देखने को मिलते है।
हिरण मगरी से.5 स्थित राजकीय होम्योपैथिक चिकित्सालय के चिकित्सा प्रभारी डॅा. दिव्य कुमार वर्मा ने कहा कि विश्व में यह दूसरी सर्वाधिक प्रचलित चिकित्सा पद्धति है जिसमे रोगियों के लक्षणों के आधार उसका उपचार किया जाता है। उन्होनेंं बताया कि हर एक बीमारी के अलग-अलग रोगियों के लिये अलग-अलग औषधियां दी जाती है लेकिन इस बात पर शोध किया जा रहा है इस चिकित्सा पद्धति की औषधियां किस प्रकार शरीर में काम करती है।
डॅा. वर्मा ने बताया कि यह सत्य है कि होम्योपैथी औषधियंा कारगर होती है और इसके प्रमाण इन विट्रो व इन विवो एक्सपीरिमेन्ट में मिलता है। होम्योपैथी चिकित्सा पद्धति भरोसेमंद नहीं वरन् विश्वास पर आधारित है। नोबल पुरूस्कार विजेता डा. वेंकटरामन द्वारा होम्योपैथी के संदर्भ में कही गयी इस बात को पूर्णतया नकारते हुए डॅा.वर्मा कहते है कि होम्योपैथी अपने आप में एक अलग विज्ञान है। पूर्व नोबल पुरूस्कार विजेता लुक मोंटाजनियर ने अपने शोध में आये नतीजों में होम्योपैथी का समर्थन किया है।
डॅा.वर्मा बताते है कि आईआईटी के शोधकर्ता डॅा.जयेश बेलारी और प्रशांत चक्रमणी ने शोध में कहा कि होम्योपैथी नैनो प्रेक्टिस सिद्धांत पर कार्य करती है और इन आषधियों में नैनो प्रेक्टिस के प्रमाण भी मिले है। यह तो समय ही बतायेगा कि आगे आने वाले शोधों में क्या परिणाम निकलते है। बहरहाल होम्योपैथी के खिलाफ जनता को भ्रमित करने वाले कथनों का स्पष्टीकरण देना आवश्यक है।
udaipur news
udaipurnews