उदयपुर। शुक्र पारगमन (Venus transit) की सदी की दुर्लभ खगोलीय घटना देखने उदयपुर की सौर वेधशाला में सैकड़ों लोग उमड़ पडे़। उदयपुर के विद्यार्थियों, आमजन सहित साइंटिस्ट्स, एस्ट्रोनॉमर्स एवं एस्ट्रोनोमी लवर्स आदि इस घटना के साक्षी बने।
वेधशाला के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. अशोक अम्बास्था के नेतृत्व में बुधवार सुबह 5.22 से शुक्र का सूर्य में से होकर गुजरना शुरू हुआ जो 10.30 बजे तक चला। शुक्र सूर्य में एक काले तिल के समान दिखाई पड़ा। लेकसिटी की सौर वेधशाला में लगे गॉन्ग टेलीस्कोस्प (दुनिया में कुल 6 जगह लगे गॉन्ग टेलीस्कोप में से एक) से फ्रांस, आस्ट्रेलिया सहित अन्य स्थानों से यहां आए वैज्ञानिकों ने भी इस खगोलीय घटना को देखा। यहां सौर फिल्टर्स की व्यवस्था की गई थी।
डॉ. अम्बास्था ने बताया कि शुक्र ग्रह के पारगमन की घटना से सूर्य से पृथ्वी की दूरी का अंदाजा लगाया जाता है। अब यह घटना वर्ष 2117 में वापस होगी। इससे शुक्र ग्रह के वायुमण्डल का भी पता लगाया जा सकेगा। फ्रांस से आए वैज्ञानिकों ने भी यहां गॉन्ग टेलीस्कॉप तथा अपने अन्य इंस्ट्रूमेंट्स से इस दुर्लभ खगोलीय घटना का अवलोकन किया। अब इससे अन्य ग्रहों की स्थितियां, उनके वायुमण्डल आदि का पता लगाया जा सकेगा।
उन्होंने बताया कि शुक्र पारगमन की घटना के हालांकि रात्रि 3.28 से कैलिफोर्निया से इमेजेस आना शुरू हो गए थे लेकिन यहां सुबह करीब 6.30 बजे से स्पष्ट दिखना शुरू हुआ। सुबह फतहसागर पर मॉर्निंग वॉक के लिए आने वाले बच्चों सहित वृद्धजन भी घटना देखने आए।
उधर ज्योपतिषी प्रकाश परसाई ने बताया कि शुक्र पारगमन की घटना का व्यदक्तिगत रूप से किसी पर प्रभाव नहीं पड़ता बल्कि सामूहिक रूप से प्रभाव पड़ता है। जैसे भूकम्प, तूफान, राजनीतिक परिस्थितियां आदि। चूंकि शुक्र भौतिक आनंद का प्रतीक है, इसलिए लोगों के भौतिक आनंद में वृद्धि होगी। सोलर से सम्बन्धित व्यवसायियों को फायदा होगा।