udaipur. आचार्य अभिनंदन सागर महाराज ने कहा कि मनुष्य अपने को सुखी देखने के लिए दूसरों के प्रति दुर्भावना रखता है लेकिन वह यह नहीं जानता कि दूसरों के प्रति दुर्भावना रखने के पीछे वह स्वंय का सुख खोता जा रहा है।
वे आज बीसा हुमड़ भवन में आयोजित धर्मसभा में बोलते हुए उक्त बात कही। उन्होनें कहा कि सभी शास्त्रों का सार यही कि मनुष्य को दूसरों को नीचा दिखाने का भाव भूलकर स्वयं की शखसियत को ऊपर उठाने का प्रयास करना चाहिए। इसलिए दुश्मन को समाप्त करने का सबसे श्रेष्ठ मार्ग है उसे मित्र बना ले।
चातुर्मास सिमति के प्रचार-प्रसार प्रभारी हेमन्त गदिया ने बताया कि 14 अक्टूबर को बैंक तिराहे पर आचार्य अभिनंदन सागर महाराज, मुनि शरदपूर्णिमा सागर तथा मुनि अर्पित सागर महाराज का कैश लोच समारोह प्रात: साढ़े आठ बजे आयोजित किया जाएगा।