नुक्कड़ नाटक ‘‘जीवन की दुकान’’ का गुलाबबाग व FS की पाल पर मंचन
Udaipur. उदयपुर के युवा रंगकर्मियों ने पर्यावरण दिवस की महत्ता बताते हुए नुक्कड़ नाटक ‘जीवन की दुकान’ के माध्यम से इसके नाजुक हालातों का परिदृश्या पेश किया। साथ ही पेड़ बचाने व पेड़ लगाने का संदेश दिया।
नाट्यांश द्वारा आयोजित यह नाटक व्यक्तिगत स्वार्थ के लिए पर्यावरण को पहुंचाई गई हानि पर आधारित है। नुक्कड़ नाटक के साथ ही कलाकारों ने पर्यावरण को बचाने से संबंधित सवालों को समाज के समक्ष रखा। जनता के जवाबों को अंकित किया गया। उदयपुरवासियों को गुलमोहर, अमरुद, जामुन और शीशम के पौधों का निशुल्क वितरण कर पर्यावरण के रक्षक, पेडो़ं को बचाने एवं नये पेड़ लगा कर उनके बड़े होने तक पेड़ो की देखभाल का संकल्प लिया। साथ ही उदयपुरवासियों को सप्ताह में एक दिन पेट्रोल, प्लास्टिक एवं प्रदूषण जनित वस्तुओं का उपयोग नहीं करने का आग्रह किया। नाटक के संयोजक व निर्देशक अशफाक नूर ख़ान पठान ने बताया कि नाटक लेखन का कार्य अमित श्रीमाली व उन्हों ने खुद ने ने किया है। नाटक के कलाकारों में मोहम्मद रिज़वान, देवेन्द्र सुथार, शुभम शर्मा, नेहा पुरोहित, श्लो क पिंपलकर, अशफाक नूर खान पठान, नितेश खत्री, खुशबू खत्री थे। साथ ही डॉ. गिरीश समदानी, अब्दुल मुबिन खान, पर्वत सिहं सिसोदिया, विनित शर्मा, एंव सेंट एंथोनी स्कूल का विशेष सहयोग रहा।
नाटक
नाटक ‘‘जीवन की दुकान’’ की चार दोस्तों की कहानी है। इनमें सें तीन दोस्त एक व्यवसाय की योजना बनाते है। ये तीनों दोस्त ऑंक्सीजन मेकिंग फैक्ट्री के फायदे के लिए दुनिया के तमाम जंगल व पेड़ों को तबाह करने की योजना है किन्तु चौथा दोस्त इन तीनों को पेड़ों का महत्व समझाता है। बिना पेड़ों के भविष्य की एक झलक भी दिखाता है। बिना पेड़ों के भविष्य को देखने के बाद तीनों दोस्त पेड़ों को काटने के बजाय पेड़ों को बचाने के बारे में सोचना शुरू कर देते हैं।