विधि एवं न्याय मन्त्री सदाशिव गौड़ा ने कहा, करेंगे अनुशंसा
उदयपुर। विधि, कानून एवं न्याय मन्त्री सदाशिव गौड़ा ने मंगलवार को कहा कि बार एसोसिएशन के उदयपुर संभाग मुख्यालय पर राजस्थान उच्च न्यायालय की खण्डपीठ खोलने की मांग के कई ज्ञापन उनके विभाग को मिले, पर इसके लिये राजस्थान सरकार की कोई अनुशंसा नहीं मिली है, जिसके चलते केन्द्र सरकार इस मांग को पूरा करने के लिये कोई ठोस कदम नहीं उठा पा रही है।
विधि, कानून एवं न्याय मन्त्री सदाशिव गौड़ा ने यह बात मंगलवार को उनसे मिलने गये मेवाड़-वागड़ हाईकोर्ट संघर्ष समिति एवं बार एसोसिएशन, उदयपुर के प्रतिनिधिमण्डल से मुलाकात करने के बाद कही। उन्होंने कहा कि देश में आवश्यकतानुसार न्याय के विकेन्द्रीकरण के लिये आवश्यकतानुसार उच्च न्यायालयों की बैंचे खोली जा रही है, लेकिन उसके लिये उस प्रदेश के सत्तारूढ सरकार एवं मुख्य न्यायाधीश की अनुशंसा की सख्त आवश्यकता के बाद यह कदम उठाया जा रहा है।
संघर्ष समिति के संयोजक रमेश नन्दवाना ने बताया कि उदयपुर का आन्दोलन 34 वर्ष पुराना आन्दोलन है, जो प्रदेश का सर्वाधिक महत्वपूर्ण आन्दोलन है। महासचिव शान्तिलाल पामेचा ने बताया कि इस आन्दोलन को लेकर अधिवक्ताओं ने राज्य सरकार को सालों तक कई ज्ञापन भेजे है और अनवरत रूप से 34 सालों से लगातार हडताल की जा रही है। प्रतिनिधि मण्डल में संयोजक रमेश नन्दवाना, महासचिव शान्तिलाल पामेचा, बार अध्यक्ष प्रवीण खंडेलवाल, महासचिव कैलाश भारद्वाज, सदस्य गौतमलाल सिरोहा, लोक अभियोजक राजेन्द्र सिंह राठौड, अशोक जैन, पकंज कोठारी, रामकृपा शर्मा, अरूण व्यास, हरीश पालीवाल, सुशील कोठारी, हरीश आमेटा, हेमेन्द्र सिंह राव, वंदना उदावत, मनीष शर्मा एवं तरूण जोशी आदि मौजूद रहे।
धरना-प्रदर्शन : उदयपुर में राजस्थान उच्च न्यायालय की खण्ड़पीठ की स्थापना को लेकर मंगलवार को जिला एवं सत्र न्यायालय के मुख्य द्वार अधिवक्ताओं ने शान्तिपूर्ण धरना देकर प्रदर्शन किया तथा जिला प्रशासन के माध्यम से राज्य सरकार एवं क्षेत्रीय मन्त्रियों एवं जनप्रतिनिधियों का ध्यानाकर्षण कराने का प्रयास किया।
धरना स्थल पर अधिवक्ताओं ने सुबह जमकर नारेबाजी की और आने जाने वालों से आन्दोलन के महत्व को समझाया। अधिवक्ताओं ने आम सभा में विचार व्यक्त करते हुए राज्य सरकार की इस विषय पर मौन धारण करने को लेकर सवाल उठाये तथा दोनों राजनीतिक दलों के राजनेताओं को इस विषय पर ठोस सहयोग नहीं करने के लिये कौसा। वक्ताओं का कहना था कि सशक्त नेतृत्च विधानसभा में नहीं मिलने के कारण उदयपुर संभाग का आदिवासी व आम जनता न्याय पाने के अपने अधिकार से हमेशा से ही वंचित रही है।
उदयपुर में राजस्थान उच्च न्यायालय की खण्ड़पीठ की स्थापना की मांग को लेकर गुरूवार को जिला न्यायालय परिसर में मेवाड-वागड़ हाईकोर्ट बैंच संघर्ष समिति एवं जिला बार एसोसिएशन, उदयपुर के संयुक्त तत्वावधान में पूर्व विधानसभा अध्यक्ष शान्तिलाल चपलोत की अध्यक्षता में धरना-प्रदर्शन का आयोजन किया गया और आम सभा के दौरान कई अधिवक्ताओं ने सरकार की और क्षेत्रीय नेताओं के मौन को लेकर आक्रोश व्यक्त किया।