कुलदेवी माँ लक्ष्मी ने अग्रसेन महाराज संग भ्रमण कर दिया आषीर्वाद
उदयपुर। सकल अग्रवाल समाज उदयपुर के हजारों अग्रबन्धुओं द्वारा बुधवार को महाराजा अग्रसेन की 5142वीं जयंती धूमधाम से मनायी गयी। जयन्ती के मुख्य समारोह में श्री प्रवासी अग्रवाल समाज समिति, श्री अग्रवाल वैष्णव समाज, श्री लश्करी अग्रवाल पंचायत, श्री अग्रवाल दिगम्बर जैन पंचायत, श्री धानमण्डी अग्रवाल समाज की प्रतिनिधि संस्था श्री अग्रसेन जयंती महोत्सव समिति, उदयपुर के बैनर तले अग्र जयंती राजस्थान महिला विद्यालय में प्रातः 7.30 बजे से दोपहर तक चार चरणों में सम्पन्न हुई।
प्रवक्ता नारायण अग्रवाल के अनुसार शोभायात्रा में सबसे आगे कई वाहनधारी युवा रैली रूप में थे। उनके पीछे पैंतीस से अधिक बालक-बालिकाएं स्केटिंग करते चल रहे थे। उनके पीछे हाथी, पांच अश्वारोही पांच पंचायतों की अग्र पताका लिये थे। अग्रवाल पब्लिक स्कूल के सैकड़ों बच्चे बेटी बचाओं-बेटी पढ़ाओं, पानी बचाओं, पेड़ बचाओं, पेड़ लगाओं, स्वच्छ भारत-स्वस्थ भारत जैसे पचासों संदेश पट्टिकाएं लिये चल रहे थे। श्री जैन अग्रवाल बाल मंदिर उच्च माध्यमिक विद्यालय के छात्र-छात्राएं केप्टन दक्षता साहू के निर्देशन एवं हाथों की छड़ी की भावभंगिमाओं के इशारों से बैण्ड की सुमधुर स्वरलहरिया बिखेरते नृत्य करते चल रहे थे। वही अन्य छात्र संदेश परख पट्टिकाएं एवं नारे लगाते हुए चल रहे थे। इनके पीछे द्वितीय बैण्ड अग्र गुणगान, स्तुती, भजन करते समाज की सैकड़ों महिलाओं की अगुवाई कर रहा था और अपनी गायकी के जादू से युवतियों एवं महिलाओं को पारम्परिक घूमर नृत्य करने हेतु प्रेरित कर रहा था इसके ठीक पीछे अग्रसेन व उनके अठारह पुत्रों के भव्य दरबार की जीवंत झांकी कई बग्गियों में सवार थी। लक्ष्मीनारायण मंदिर से अग्र समाज कुल देवी माँ लक्ष्मीनारायण स्वरूप् में शोभायात्रा में शामिल होकर नगर भ्रमण कर पुनः मंदिर में वीराजमान हुऐं।
अनेक बग्गियों में बालक-बालिकाएं, युवक-युवतियां शिव पार्वती कुलदेवी, लक्ष्मी जी, अग्रसेन महाराज-महारानी, माधवी का स्वरूप धरे जुलुस मंे रोमांचकता पैदा कर शोभा बढ़ा रहे थे। शोभायात्रा में सबसे आगे, पीछे व बीच में कई वाहनों में शीतल जल की व्यवस्था की गयी। शोभायात्रा सूरजपोल, झीणीरेत, धानमण्डी, बापू बाजार होते हुय पुनः आरएमवी पहूंची।
चोथे एवं अन्तिम चरण में भोजन समिति के रामचन्द्र सिंघल, संजय सिंघल, रविकान्त पौद्धार की देखरेख में दो हजार से भी अधिक अग्रबन्धुओं के लिये सेगारी, फलाहारी एवं अन्य स्वादिष्ट व्यंजनों की अग्र स्नेह अग्रवात्सल्य महाप्रसादी का आयोजन कर शोभायात्रा को ऐतिहासिक स्वरूप प्रदान किया। पूरे समारोह में रह रहकर अग्रोहा नरेश की जय घोष के नारों से आसमान गुंजायमान होता रहा।