आरएनटी मेडिकल कॉलेज, राजस्थान कैंसर फाउंडेशन एवं रोटरी क्लब के साझे में अभियान
उदयपुर। आरएनटी मेडिकल कॉलेज, राजस्थान कैंसर फाउंडेशन एवं रोटरी क्लब के साझे में सम्पूर्ण आरएनटी मेडिकल कॉलेज परिसर एवं अस्पताल परिसर 15 अगस्त 2016 तक पूर्ण रूप से तम्बाकू मुक्त परिसर बनाने हेतु लोगों को जागरूक करने के लिए बैनर, पोस्टर और फ्लेक्स लगाकर तम्बाकू के जानलेवा खतरे के बारे में लोगों को अवगत कराया जाएगा, हालांकि यह काम मुश्किल जरूर होगा लेकिन नामुमकिन नहीं।
ये विचार आरएनटी के सभागार में आयोजित तम्बाकु मुक्त अभियान के आगाज के प्रथम चरण की समीक्षात्मक बैठक में कैंसर फाउंडेशन के अध्यक्ष डॉ. राकेश गुप्ता ने व्यक्त किये। उन्होंने एक स्लाइड शो के माध्यम से तम्बाकू से होने वाले खतरों के बारे में बताया। डॉ. गुप्ता ने कहा कि अकेले राजस्थान में 2003 में तम्बाकू जनित रोगों से मरने वाले लोगों का आंकड़ा 1800 व्यक्ति प्रति वर्ष था जो कि वर्ष 2015 तक यह 3000 से भी अधिक हो गया है। यह चिन्ता का विषय है। यह आंकड़ा हर वर्ष बढ़ता ही जा रहा है। इससे भी बड़ी बात राजस्थान में प्रति दिन 180 से भी ज्यादा मौतें तम्बाकू जनित रोगों से हो रही है। इसके लिए राष्ट्रीय तम्बाकू नियंत्रण कानून बना हुआ है लेकिन वह प्र्याप्त नहीं है। अब हालत यह है कि राजस्थान में प्रति वर्ष 65 हजार लोग तम्बाकू जनित रोगों से मरते हैं जबकि देश में मरने वालों का आंकड़ा 13 लाख 50 हजार से भी ज्यादा है।
अब सवाल यह उठता है कि तम्बाकू नियंत्रण के बजाए तम्बाकू बनाने वाले कारखानों को ही सरकार बन्द क्यों नहीं कर देती, क्या ऐसा तो नहीं कि सरकार को इससे रेवेन्यू प्राप्त होता है। जबकि सच्चाई यह है कि सरकार को इन कारखानों से जितना रेवेन्यू मिलता है उससे तो 12 प्रतिशत ज्यादा सरकार तम्बाकू जनित रोगों की दवाईयों पर खर्च कर देती हैं। इसके लिए जागरूकता बहुत जरूरी है। डॉ. गुप्ता ने बताया कि 28 करोड़ वयस्कों में से 60 प्रतिशत वयस्क चबाने वाली तम्बाकू का सेवन करते हैं।
2007 में झुंझुनू भारत का पहला ऐसा जिला बना जो पूरी तरह से धूम्रपान मुक्त हो गया। अगर झुंझुनू में ऐसा हो सकता है तो हमारे यहां क्यों नहीं। डॉ. गुप्ता ने सुझाव दिया कि तम्बाकू मुक्ति के लिए एक पॉलिसी बना कर चरणबद्ध तरीके से उस पर काम करना होगा। सभी संस्थाएं और उनके मालिक, यहां तक कि जिला कलेक्ट्री, संम्भागीय आयुक्त कार्यालय, नगर निगम, यूआईअी, कॉलेज परिसर इत्यादि सभी मिल कर अपने- अपने परिसरों को तम्बाकू मुक्त घोषित करें। तम्बाकू छोडऩे वालों को परेशानियां आ सकती है। अगर ऐसा है तो 104 टोलफ्री नम्बर पर फोन करके वह सम्पूर्ण जानकारी ले सकता है।
सम्भागीय आयुक्त भवानी सिंह देथा ने कहा कि पहले ज्यादातर विद्यार्थियों में धूम्रपान करना स्टेटस सिम्बल माना जाता है, लेकिन अब समय बदला है और सभी में सुधार आया है और वह धूम्रपान से होने वाले खतरों से वाखिब हैं। इससे पैसों की बर्बादी, परिवार की परेशानी ओर जान को जोखिम में डालने के अलावा कोई फायदा नहीं हैं। देशभर में प्रति वर्ष 13 लाख से ज्यादा मौतें तम्बाकू जनित रोगों से होना काफी चिन्ता का विषय है। सरकार को आय से अधिक इन रोगों की दवाईयों पर खर्च करना पड़ रहा है। जब झुंझुनू जिला तम्बाकू मुक्त हो सकता है तो आरएनटी परिसर क्यों नहीं। इस काम में सभी को मिल कर प्रयास करने होंगे। वह भी अपने स्तर पर कार्यालय और कलक्ट्री में इस तरह का प्रयास आरम्भ करेंगे।
प्राचार्य डीपी सिंह ने कहा कि आनएनटी मेडिकल कॉलेज अस्पताल परिसर में रोजाना करीब 15 हजार से भी ज्यादा लोग आते हैं। अधिकतर को तम्बाकू से होने वाले नुकसान की जानकारी भी नहीं होती है। अब समस्या यह है कि हर रोज आने वाले बदलते रहते हैं। मरीज बदलते हैं, परिजन बदलते हैं। उन्हें यह जानकारी में होना चाहिये कि आनएनटी परिसर तम्बाकू मुक्त है वो यहां तम्बाकू का सेवन नहीं कर सकता है। तभी वह तम्बाकू को बाहर ही छोड़ कर अन्दर प्रवेश करेगा। इसके लिए जागरूकता जरूरी है।
उन्होंने कहा कि हमारा लक्ष्य है कि हम 15 अगस्त 2016 तक इस परिसर को सम्पूर्ण तम्बाकू मुक्त परिसर बनाएं। इसके लिए कुछ कड़े निर्णय भी लिए जाएंगे। परिसर का सारा स्टाफ तो बन्धन में आएगा ही, आने वाला हर मरीज और परिजन भी तम्बाकू मुक्ति के बन्धन से बन्धा रहेगा। अगर कोई नियम तोड़ेगा तो उसके लिए उचित पेनल्टी का प्रावधान भी किया जाएगा। उन्होंने एक बड़ी बात यह कही कि पुरूषों के साथ महिलाओं में भी तम्बाकू सेवन, तम्बाकू चबाने तथा धूम्रान करने की प्रवृत्ति काफी बढ़ रही है। इसलिए पुरूषों के साथ-साथ महिलाओं पर भी यह नियम लागू होंगे। उन्हें भी तम्बाकू से मुक्ति दिलाने का प्रयास होगा। रोटरी प्रान्तपाल निर्वाचित रमेश चौधरी, पूर्व प्रान्तपाल निर्मल सिंघवी आदि ने भी संबोधित किया। अन्त में क्लब अध्यचक्ष गजेन्द्र जोधावत ने आभार जताया। सचिव सुभाष सिंघवी भी मौजूद थे।