तेरापंथ भवन में चातुर्मासिक मंगल प्रवेश 25 को
उदयपुर। शरीर, मकान, पूंजी तो मात्र साधन है। शरीर स्वस्थ रहे, बस इसका ध्यान रखें लेकिन मोह मत रखें। अकेले आए हैं, अकेले ही जाना है। जितनी श्वास लें, आत्मविश्वास से लें। मन में निर्लिप्तता का भाव रखें।
ये विचार तेरापंथ धर्मसंघ के शासन श्री मुनि राकेश कुमार ने व्यक्त किए। वे रविवार को आनंद नगर स्थित श्रावक के निवास पर आयोजित धर्मसभा को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि मन पर कर्मों का भार न रखें, श्रेष्ठ वही है। छोटी बातों को याद रखें। मानव शरीर दुर्लभ है। संसार में रहते हुए आसक्ति के भार को कम करें। मकान में आप रहें लेकिन मकान आप में नहीं रहना चाहिए। बीमार की सेवा करना फर्ज है तो विवेक रखना भी जरूरी है। दिमाग को हल्का रखें। हल्कापन श्रेष्ठ है। अपना गुस्सा पत्नी, कर्मचारी पर न निकालें। आप नहीं होंगे तो भी काम तो होगा ही! वर्तमान में जीएं, भूत-भविष्य का भार न रखें। विषुद्ध रूप से वर्तमान में जीना ही सामायिक है। अगर सामायिक शुद्ध कर लिया तो जीवन में कोई समस्या नहीं आएगी। 25 जुलाई से हमारा चातुर्मास आरंभ हो रहा है। चातुर्मास में ठीक समय पर जागें और सोएं। शरीर, मन और आत्मा की स्वस्थता के लिए सामायिक जरूरी है।
उन्होंने कहा कि युवाओं, छात्र-छात्राओं के लिए हम चातुर्मास में कुछ विषेष करना चाहते हैं। जैन सामायिक का महत्व उन्हें पता चले, रात्रि भोजन क्यों नहीं करना चाहिए, आदि की जानकारी उन्हें होनी चाहिए।
इससे पूर्व मुनि सुधाकर ने कहा कि भगवान महावीर द्वैतवाद पर विष्वास करते थे। यदि जन्म है तो मरण भी है। दिन है तो रात भी और पक्ष है तो विपक्ष भी। जड़ है तो चेतन भी अवष्यंभावी है। सब कुछ क्षण भंगुर है। भगवान महावीर ने कहा है कि पुण्य को निमित्त बनाकर पाप की ओर चले जाते हैं। वरिष्ठ संतों का सानिध्य संयम, त्याग और तपस्या का विकास करता है। प्रतिवर्ष गुरु के एक बार दर्षन करने का प्रयास करें। तेरापंथी सभा की ओर से इसकी अच्छी पहल की गई है कि कई वर्षों बाद पहली बार किसी जैन आचार्य का विदेष में चातुर्मास हो रहा है और वहां तक ले जाने का काम उदयपुर की तेरापंथी सभा कर रही है। 23 अक्टूबर 2015 को यहां से नेपाल स्थित विराट नगर में चातुर्मास कर रहे पूज्य गुरुवर आचार्य महाश्रमण के दर्षनार्थ ट्रेन रवाना होगी जो 30 अक्टूबर को वापस आएगी।
मुनि दीप कुमार ने कहा कि शांति के मार्ग पर चलें। उद्वेग से अषांति का वातावरण बनता है। भगवान महावीर ने कहा है कि शांति के मार्ग पर चलो। जीवन का हमने कैसा विकास किया है, सत्य के आलोक को समझने की जरूरत है। व्यक्ति अनुषासनहीन हो रहा है। अनुषासन के बिना संगठन हड्डियों का ढेर है। जहां अनुषासन है, वहां सामथ्र्य बढ़ता है, सफलता मिलती है। अनुषासनहीनता है वहां विघटन है। संस्कारों से प्रारब्ध को बीजारोपित किया जाए तो अनुषासन के साथ शांति आएगी। तीर्थंकरों के प्रतिनिधि आचार्य और आचार्य के प्रतिनिधि के रूप में वरिष्ठ संत आपके पास हैं।
तेरापंथी सभाध्यक्ष राजकुमार फत्तावत ने बताया कि शासन श्री मुनि राकेश कुमार का चातुर्मासिक मंगल प्रवेश 25 जुलाई शनिवार को सुबह 8.15 बजे बिजौलिया हाउस स्थित तेरापंथ भवन में होगा। हजारेश्व र कॉलोनी स्थित रूपलाल डागलिया के निवास से सुबह 7.15 बजे अहिंसा रैली के रूप में रवाना होकर कोर्ट चौराहा, देहलीगेट, धानमण्डी, मार्शल चौराहा होते हुए तेरापंथ भवन पहुंचेंगे। उसके तुरंत बाद स्वागत समारोह का आयोजन होगा। संचालन सूर्यप्रकाश मेहता ने किया।