आदिवासी अधिकार राष्ट्रीय मंच का शिक्षण शिविर
पूर्व सांसद वृन्दा करात ने किया सम्बोधित
उदयपुर। अखिल भारतीय किसान सभा के राष्ट्रीय संयुक्त सचिव वीजू कृष्ण ने पेसा कानून लागू करने में विसंगतियां बताई कि वास्तविकता यह है कि जब से केन्द्र में मोदी सरकार आई है, तब से पेसा कानून सहित तमाम आदिवासियों दलितों के हित में बने हुए सभी कार्यक्रमों, कानूनों को समाप्त कर रहे हैं और धीरे धीरे कानूनों में मिले अधिकार को निष्प्रभावी बनाने का काम कर रहे हैं।
वे आदिवासी अधिकार राष्ट्रीय मंच के तीन दिवसीय शिक्षण शिविर के दूसरे दिन प्रतिभागियों को संबोधित कर रहे थे। हालांकि नव उदारवाद की आर्थिक नीतियों पर कांग्रेस यूपीए गठबंधन सरकार काम कर रही थी। मोदी सरकार उन्हीं आर्थिक नीतियों को और ज्यादा तेजी से सिर्फ पूंजीपतियों व विदेशी पूंजी के हितों के लिए लागू कर रही है।
शिविर को राष्ट्रीय विकलांग अधिकार समिति के राष्ट्रीय सहसचिव मुरलीधरन ने सम्बोधित करते हुए सूचना के अधिकार के कानून के इतिहास के बारे में कहा कि आदिवासी आंदोलन को आगे बढाने के लिए कैसे इस कानून का औजार के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। शिविर के दो सत्रों के पश्चात् सवाल जवाब का दौर शुरू हुआ, जिसमें प्रतिनिधियों ने पैसा कानून, सूचना के अधिकार कानून को लागू करने में विभिन्न राज्यों के अनुभवों को साझा करते हुए चर्चा की।
आखरी सत्र में संगठन राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष जितेन्द्र चौधरी ने देशभर से आए आदिवासी प्रतिनिधियों से आव्हान किया कि शिविर से वापस जाने के पश्चात् पूरे देश में दूरदराज पहाड़ों एवं जंगलों में बसे आदिवासियों जनजातियों को संगठित करते हुए उनकी चेतना विकसित करने का प्रयास तेज करें। चौधरी ने कहा कि आदिवासियों की लाखों लाख आबादीको संगठित करने के लिए सम्मेलन आयोजित करेंगे। इन सम्मेलनों में केन्द्र व विभिन्न राज्यों की सरकारें आदिवासी विरोधी नीतियों की मार झेल रहे हैं, आदिवासियों की समस्याओं पर विस्तारपूर्वक चर्चा करके जुझारू संघर्ष की रूपरेखा तैयार करेंगे। ग्राम, तहसील व जिला स्तर पर लाखों लाख आदिवासियों को संगठित कर आंदोलन का निर्माण करने हेतु जल, जंगल जमीन पर अपने अधिकार की रक्षा के लिए एक राष्ट्रव्यापी आंदोलन तैयार करें।
शिविर को आदिवासी अधिकार राष्ट्रीय मंच की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष व पूर्व सांसद बृन्दा कारात ने सम्बोधित करते हुए कहा कि आज देश के आदिवासी क्षेत्र में हिन्दुस्तान का पूंजीपति व विदेशी पूंजीपति दोनों आदिवासियों को बर्बाद कर रहे हैं, जिन्होंने आदिवासियों के क्षेत्रों में खनिजों पर कब्जा जमा लिया है। कांग्रेस व भाजपा दोनों सरकारों ने पूंजीपतियों के हवाले कर दिये हैं और आदिवासी अपनी जमीनों से विस्थापित हो रहे हैं। इस वक्त देश में जब से भाजपा सरकार आई है, तब से आदिवासियों पर जुल्म और बढे हैं व आदिवासियों को मिले हक और अधिकार खत्म करने पर आमादा है। आजाद भारत के पहले अंग्रेजी कम्पनी का राज था, जिन्होंने आदिवासियों को वर्षो तक बर्बाद किया, लेकिन आजाद भारत में अडानी, अम्बानी जैसे भारतीय लोग ही आदिवासियों को बर्बाद कर रहे हैं। करात ने सभी प्रतिनिधियों से आव्हान किया कि अब आदिवासियों की एक विशाल एकता के साथ आदिवासी के अधिकारों की सुरक्षा के लिए बड़े पैमाने पर संघर्ष में उतरना होगा।