उदयपुर। मां सरस्वती जयन्ती पर महाकालेश्वर मन्दिर प्रागण में भव्य वसन्त महोत्सव का आयोजन हुआ। वसन्तोत्सव कार्यक्रम के अन्तर्गत अभिजित मूर्हूत में मां सरस्वती की पूजा एवं स्तवन विद्वान पण्डित पं. हरिश नागदा, पं. गोतम चौबीसा, पं. महेश दवे के सान्ध्यि में हुआ।
सार्वजनिक प्रन्यास मंदिर महाकालेश्वर सचिव एडवोकेट श्री चंद्रशेखर दाधिच ने बताया कि बसंत पचमी के दिन सरस्वती माता की विशेष पूजा का आयोजन किया जाता है। पूरे साल को 6 ऋतूओं में बांटा गया है, इनमें वसंत ऋतु, ग्रीष्म ऋतु, वर्षा ऋतु, शरद ऋतु, हेमंत ऋतु और शिशिर ऋतु शामिल है। इनमें वसंत को सभी ऋतुओं का राजा भी माना जाता है, इसी कारण इसे बसंत पंचमी कहा जाता है। मां सरस्वती ने जीवों को वाणी के साथ-साथ विद्या और बुद्धि भी दी। इसलिए बसंत पंचमी के दिन हर घर में सरस्वती की पूजा भी की जाती है। दूसरे शब्दों में बसंत पचमी का दूसरा नाम सरस्वती पूजा भी है। मां सरस्वती को विद्या और बुद्धि की देवी माना गया है।