धरोहर की सुरक्षा के लिए जनभागीदारी पर संगोष्ठी में जापान के प्रोफेसर ने कहा
कानमेर (गुजरात) उत्खतन में हड़प्पा संस्कृति के मिले कई अवशेष
उदयपुर. जापान के प्रो. तोशिकी ओसाद ने कहा कि विश्वक में कहीं भी भारत की संस्कृति और विरासत का मुकाबला नहीं है। मैं इससे काफी अभिभूत हूं। राजस्थान विद्यापीठ के सहयोग में गुजरात के कच्छ स्थित कानमेर में उत्खनन में लगा हूं। हमें वहां खासी सफलता भी मिली है, जिसमें हड़प्पा संस्कृति के कई अवशेष मिले हैं, जो पाषाण, लोह और कांस्य युग से जुड़े हैं। वे यहां राजस्थान विद्यापीठ की ओर से विश्व विरासत दिवस के अवसर पर आयोजित संगोष्ठी को संबोधित कर रहे थे।
गुजरात पुरातत्व विभाग के निदेशक प्रो. वाई. एस. रावत ने कहा कि विरासत या धरोहर का मतलब सिर्फ पुराने या खंडहर हो चुके भवन ही नहीं बल्कि हमारी संस्कृति और साहित्य, लोकगीत, वन, संयुक्त परिवार आदि भी हमारी विरासत के ही अंग है। इन्हें बचाने के लिए जरूरी है कि जनता की भागीदारी सुनिश्चित की जाए। इस जनभागीदारी में भारत के हर आदमी की सहभागिता जरूरी है। रावत ने बताया कि विरासत संरक्षण को लेकर भारत सरकार और विश्वविद्यालय स्तर पर भी सक्रिय कार्य करना होगा तभी संरक्षण की अलख को जगाया जा सकता है। कार्यक्रम में स्वागत भाषण निदेशक डॉ. जीवनसिंह खरकवाल ने दिया तथा संचालन कुलशेखर व्यास ने किया। द इंस्टीट्यूट आफ राजस्थान स्टडी (साहित्य संस्थान) के सेमिनार हॉल में हुए इस कार्यक्रम में सैकड़ों विषय विशेषज्ञों ने हिस्सा लिया।
बचानी होगी धरोहर : मुख्य अतिथि एवं कुल प्रमुख प्रफुल्ल नागर ने बताया कि हमारे देश में विरासत ही है, जो आज भी इसकी पहचान बनी हुई है। संयुक्त परिवार भी इसी श्रेणी में हैं। आदिकाल से लोग इन्हीं परिवारों में रहते थे। आज का दौर विपरीत हो गया है। भ्रष्टाचार बढ़ा है। कहा जा सकता है कि विरासत के साथ की गई छेड़छाड़ या बदलाव के भयंकर परिणाम प्राप्त हो सकते हैं। इस कारण इसका संरक्षण किया जाना आवश्यक नहीं अनिवार्य है।
कल वापस नहीं आता : अध्यक्षता करते हुए कुलपति प्रो. दिव्यप्रभा नागर ने बताया कि बीता हुआ कल वापस नहीं आता, लेकिन अतीत के पन्नों को हमारी विरासत के रूप में हम पुस्तकों तो इमारतों के रूप में संजोकर रख सकते हैं। किसी भी देश का इतिहास और विरासत उस देश के लिए भविष्य की नींव होता है। इस कारण जरुरी हो जाता है कि इनका संरक्षण किया जाए।
अंतरराष्ट्रीय रिपोर्ट का विमोचन
संस्थान द्वारा गत वर्षों में हरियाणा, राजस्थान, गुजरात आदि क्षेत्रों से संकलित अथवा पुरातात्विक उत्खननों द्वारा खोजी गई पांच हजार से अधिक वस्तुओं का सूचीकरण निम्मा परियोजना के तहत किया गया। यह कार्य भारत सरकार की योजना के तहत किया गया। राजस्थान में केवल विद्यापीठ ने ही इस परियोजना पर कार्य किया। शीघ्र ही इस परियोजना में सूचीबद्ध वस्तुओं की मय फोटो पूरी जानकारी भारत सरकार के पुरातत्व विभाग के वेब पेज पर देखी जा सकेगी तथा कानमेर (गुजरात) उत्खनन की अंतरराष्ट्रीय रिपोर्ट का विमोचन भी किया गया।