श्वास नली से आपरेशन कर निकाला काजू का टुकड़ा
दयपुर। पेसिफिक मेडिकल कालेज एण्ड हास्पिटल के कान नाक एवं गला रोग विभाग के चिकित्सकों ने 2 साल के बच्ची की श्वास नली में काजू के टुकड़े को निकाल कर उसे नया जीवन दिया। दरअसल उदयपुर के कानपुर मादड़ी निवासी 2 बर्षीय बच्ची चेतना के काजू खाते समय काजू का टुकड़ा श्वास नली में फॅस गया। जिसके कारण उसे लगातार खांसी और सीने में दर्द एवं गलें में सूजन के साथ साथ श्वास लेने में दिक्कत होने लगी। बच्चे की ऐसी स्थिति को देखतें हुए परिजन उसे तुरन्त पीएमसीएच की इमरजेन्सी में लेकर आए।
इमरजेन्सी में कान नाक एवं गला रोग विशेषज्ञ डा.शिव कौशिक ने तर्परता दिखाते हुए तुरन्त बच्चें की सीटी स्कैन जाच कराई तो पता चला कि बच्ची के दोनो फेफडो की मुख्य श्वास की नली में कुछ बीज जैसा फॅसा हुआ है जिसकी बजद से उसे श्वास लेने में तकलीफ हो रही है। चिकित्सकों की टीम ने बिना समय गॅवाए बच्ची की बान्कोस्कापी करने का निर्णय लिया एवं सफलता पूर्वक काजू के टुकड़े को निकाल लिया गया। इस सफल आपरेषन में कान,नाक एवं गला रोग विभाग के डा. एसएस कौशिक, डा. रिचा गुप्ता, डा. कश्मीरा, डा.कृष्ण गोपाल, डा.विजय चाहर, सुभाष शर्मा, दिनेश, हीरालाल एवं टीम का सहयोग रहा। कान, नाक एवं गला रोग विशेषज्ञ डा. शिव कौशिक ने बताया कि आमतौर पर इस तरह की समस्या होने पर डॉक्टर ऑपरेशन कर उस चीज को बाहर निकाल देते हैं। लेकिन बच्चे की कम उम्र को देखते हुए ऐसा करना बिल्कुल भी संभव नहीं था। इसके बाद चिकित्सको की टीम ने बच्चे को बेहोश कर दूरबीन द्वारा उसके मुंह के रास्ते से श्वास नली के अन्दर फॅसे हुए काजू के टुकड़े को बाहर निकाला। डा. शिव कौशिक ने स्पष्ट किया कि अगर आपरेशन में अगर देरी हो जाती तो बच्ची की काजू के टुकड़े के फूलने के कारण श्वास नली के बन्द होने की बच्चें की जान भी जा सकती थी।
पीएमसीएच के एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर अमन अग्रवाल ने बताया कि हाॅस्पिटल के कान,नाक एवं गला रोग विभाग में विश्वस्तरीय अत्याधुनिक उपकरणों के साथ ही विशेषज्ञ चिकित्सको की टीम के चलते ने विगत डेढ़ साल में ऐसे लगभग 60 से ज्यादा बच्चों की श्वास नली में फॅसें सेल,एलईडी बल्ब,मक्की का दाना आदि को निकाल कर उन्हे नया जीवन दिया है।परिजनों ने पीएमसीएच के चेयरमेन राहुल अग्रवाल, सभी चिकित्सकों, मैनेजमेंट, नर्सिंग कर्मियों एवं स्टाफ का आभार जताया।
ऐसे केस नहीं हो इसके लिए क्या करे
पांच साल से छोटे बच्चों को चने, बादाम, ड्राई फ्रूट, मूंगफली के दाने से हमेशा दूर रखना चाहिए। ये ही सांस की नली में फंस जाएं तो फूलकर बड़े हो जाते हैं। गले के अंदर रास्ता छोटा होता है। ऐसी स्थिति में दानों को निकालना मुश्किल हो जाता है। ऐसे केस में 100 में से 1 बच्चे की जान भी जा सकती है। कभी ऐसी स्थिति किसी बच्चे के साथ हो जाए और सांस में रुकावट आने लगे या होंठ नीले पड़ने लगे या छाती अंदर की तरफ जाने लग जाएं। ऐसे लक्षण दिखे तो तुरन्त चिकित्सक से सम्पर्क करें।