शिल्पग्राम में पारंपरिक काष्ठ शिल्प कार्यशाला प्रारम्भ
उदयपुर। पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र की ओर से हवाला गांव स्थित ग्रामीण कला परिसर शिल्पग्राम में पारंपरिक काष्ठ शिल्प कार्यशाला बुधवार को प्रारम्भ हुई। कार्यशाला में चित्तौडग़ढ़ जिले के बस्सी गांव से नौ शिल्पकार भाग ले रहे हैं।
पारंपरिक कलाओं को बढ़ावा देने तथा शिल्प कला परंपरा में सृजन के नैरन्तर्य को बनाये रखने के ध्येय से केन्द्र द्वारा शिल्पग्राम के कला विहार में 11 से 20 जुलाई तक पारंपरिक काष्ठ शिल्प कार्यशाला का आयोजन किया गया है। राजस्थान के चित्तौडग़ढ़ जिले का बस्सी गांव पारंपरिक कावड़ तथा खिलौनों के लिये प्रसिद्ध है किन्तु प्लास्टिक व अन्य प्रकार के खिलौनों के चलन से यह कला अब कम ही दिखाई देती है। इस कार्यशाला के माध्यम से शिल्पकारों को पुन: खिलौना सृजन के लिये प्रोत्साहित करने तथा शिल्पकारों को शिल्प सृजन का अवसर देने के ध्येय से आयोजित इस कार्यशाला में नौ काष्ठ शिल्पी भाग ले रहे हैं जो शिल्पग्राम में रह कर खिलौनों का सृजन करेंगे।
कार्यशाला का उद्घाटन बुधवार को पूर्वोत्तर क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र दीमापुर के निदेशक श्री सोम केमेय, दक्षिण क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र के निदेशक श्री पणिअप्पन तथा केन््र निदेशक श्री शैलेन्द्र दशोरा द्वारा किया गया। श्री केमेय व श्री पणिअप्पन ने काष्ठ खण्ड पर उत्कीर्णन कर कार्यशाला का उद्घाटन किया। केन्द्र निदेशक श्री शैलेन्द्र दशोरा ने इस अवसर पर शिल्पकारों को उत्कृष्ट शिल्प नमूने सृजन कर लोगों को लकड़ी के खिलौनों की ओर आकर्षित करने की बात कही। उन्होंने बताया कि इन नमूनों को बाद में प्रदर्शित किया जायेगा।
केन्द्र के अतिरिक्त निदेशक फुरकान खान ने अतिथियों व शिल्पकारों को पुष्प् गुच्छ भेंट कर उनका स्वागत किया। कार्यशाला में शिल्पकार मांगीलाल, बालकृष्ण बसायती, रामचन्द्र शर्मा, रामनिवास, गांपाल, राजू, कालू लाल तथा चन्द्रप्रकाश भाग ले रहे हैं।