क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसायटीज़ की संख्या में अचानक वृद्धि?
udaipur. शहर में चल रही क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसायटीज में हडकंप मचा है, परेशान निवेशक खुद को लाचार महसूस कर रहे हैं वहीं सहकारी विभाग के सामने ऐसी कथित फर्जी सोसायटीज को तलाश पाना मुश्किल हो रहा है. हालांकि नियमानुसार देखें तो कोई भी सोसायटी सभी नियमों को हर स्तर पर पूरा नहीं करती है जैसे कोई भी सहकारी समिति अधिनियम के अनुसार 10 प्रतिशत वार्षिक लाभांश से अधिक नहीं दे सकती जबकि आज बाजार में मौजूद अमूमन सभी सहकारी समितियां 14 से 24 प्रतिशत तक लाभांश देने का वादा कर निवेशकों से निवेश करवा रही हैं. इसी प्रकार ये समितियां सिर्फ अपने सदस्यों और अंशधारियों से ही लेन देन कर सकती हैं. इसका तोड़ इन समितियों ने इस प्रकार से निकाला है कि निवेशक को मामूली दर पर अपनी संस्था का सदस्य बनाकर उससे निवेश करवा रही हैं.
कुछ समय पूर्व संभाग में करीब 75 सोसायटीज को पत्र भेजा गया था जिसमें उल्लेख था कि सोसायटियां नियमों की अवहेलना करते हुए मनमानी करती हैं। इसमें यह भी उल्लेख था कि इन सोसायटीज के तथ्यों एवं प्रावधानों का निरीक्षण किया जाएगा। बताया गया कि ज्यादातर सोसायटी गठन के तहत किए जाने वाली शर्तों की पालना नहीं कर रही हैं। जहां महज 18 क्रेडिट संस्थाएं कार्यरत थीं, लेकिन वर्तमान में इनकी संख्या 75 पहुंच गई है।
आश्चर्य इस बात का भी है कि क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसायटीज में एकदम से अचानक इतना क्या लाभ दिखने लगा कि इनकी संख्या 18 से बढ़कर 75 हो गयी. सूत्रों के अनुसार इस सोसायटीज के निदेशक मंडलों में देखा जाये तो अधिकतर वे लोग शामिल हैं जो अपने काले धन को सफ़ेद करने का प्रयास कर रहे हैं.
कुछ समय पूर्व सहकारी समितियों विभाग की हुई समीक्षा बैठक में क्रेडिट सोसायटी के 75 सदस्यों के मुकाबले सिर्फ 40 सदस्य ही पहुंचे थे। उप रजिस्ट्रार ने संचालकों को भेजे नोटिस में स्पष्ट कहा था कि बैठक में उपस्थित नहीं होने पर माना जाएगा कि वे नियमानुसार संचालन नहीं कर पा रहे हैं।
(क्रमशः)
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