परिधि व उपनगरीय क्षेत्र विकास पर अन्तर्राष्ट्रीय कार्यशाला का समापन
तय करेगें स्वस्थ व प्रसन्न जीवन के मानक व सूचक
udaipur. शहरी केन्द्रों के आस—पास पनपने वाले अविकासित उपनगरीय व परिधि क्षेत्रों में स्वच्छ पेयजल, सिवरेज व कचरे का परिशोधन व पुर्नउपयोग, आजीविका वृद्धि, हरितिमा बढ़ाने एवं उपयुक्त व पर्यावरण मित्र तकनीकी से समग्र विकास पर अन्तर्राष्ट्रीय शोध किया जाएगा। इस अन्तर्राष्ट्रीय शोध का केन्द्र उदयपुर, इसका परिधि क्षेत्र एवं राजस्थान होगा।
शोध में आस्ट्रेलिया इण्डिया इन्स्टीट्यूट, इन्टरनेशनल वाटर मेनेजमेन्ट इन्स्टीट्यूट, यूनिवरसिटी ऑफ वेस्टर्न सिडनी, यूनिवरसिटी ऑफ मेलबोर्न, महाराणा प्रताप यूनिर्वसिटी ऑफ एग्रीकल्चर एण्ड टेक्नोलोजी एवं विद्याभवन मुख्य भूमिका निभाएगें।
यह जानकारी उपनगरीय व परिधि क्षेत्र विकास पर आयोजित अन्तर्राष्ट्रीय कार्यशाला के समापन पर आयोजन सचिव डॉ. बी. एल. माहेश्वरी ने दी।
दो दिवसीय कार्यशाला में आस्ट्रेलिया, इग्लैण्ड, अमेरिका, अफ्रीका, युगाण्डा, घाना, ईरान, दक्षिण कोरिया, श्रीलंका, सहित भारत के 80 विशेषज्ञों, वैज्ञानिकों, अर्थशास्त्रीयों, स्वैच्छिक कार्यकत्र्ता तथा प्रशासनिक अधिकारियों ने भाग लिया।
सहभागियों ने विभिन्न सत्रों में गांवों से शहरों में पलायन, घटती कृषि भूमि, जल स्रोतों के प्रदूषण, कचरें की समस्या, खाद्यान्न सुरक्षा, नीतिगत मुद्दों, संस्थागत व्यवस्था, सामाजिक—आर्थिक—पर्यावरणीय स्थिति पर गंभीर चिन्तन किया।
तय होगें स्वस्थ व प्रसन्न जीवन के मानक व सूचक
उदयपुर को आधार बनाकर किये जा रहे इस शोध में वैज्ञानिक स्वस्थ व प्रसन्न जीवन के मानक व सूचक भी तय करेगें। कार्यशाला में चर्चा रही कि क्या सडक़ें बनाने, ऊँचे भवन बनाने, बड़े बाजार खोलने एवं मंहगी शिक्षण संस्थाएँ खोलने से ही स्वस्थ एवं प्रसन्न जीवन सुनिश्चित होता है अथवा इसके कोई अतिरिक्त व महत्वपूर्ण मानक भी है। शोध में वैज्ञानिक स्वस्थ एवं प्रसन्न जीवन के सूचक भी निर्धारित करेंगे।
हरीतिमा के साथ फल व सब्जी उत्पादन —
संभागियों ने विभिन्न केस स्टडी के माध्यम से बताया कि उदयपुर व राजस्थान में घरों की छतों पर पारिवारिक आवश्यकता के लिये फल व सब्जी उत्पादन आसान विधियों एवं कम पानी में किया जा सकता है। इससे एक ओर हरीतिमा बढ़ेगी वही प्रदूषण मुक्त शुद्ध फल व सब्जियाँ भी मिल सकेगी।
क्षमता विकास जरूरी : डॉ. नाग
समापन समारोह में मुख्य अतिथि पूर्व कुलपति डॉ. के.एन. नाग ने कहा कि शहरों सहित उपनगरीय क्षेत्रों, परिधि क्षेत्रों एवं गांवों के विकास के लिए आमजन सहित नीति निर्धारकों, राजनीतिज्ञों, प्रशासकों, वैज्ञानिकों का क्षमता विकास जरूरी है।
अध्यक्षता करते हुए सीटीएई के डीन डॉ. नरेन्द्र एस. राठौड़ ने वैज्ञानिकों एवं शोधकर्ताओं से आग्रह किया कि वे अपने शोध को परिणाम मूलक बनाए। संचालन डॉ. हेमन्त मित्तल ने किया तथा धन्यवाद आयोजन सचिव डॉ. आर. सी. पुरोहित ने दिया।