आयड़ नदी के शुद्धिकरण पर जनसहभागिता से होगा कार्य
udaipur. आयड़ नदी के सूखा-नाका क्षेत्र में प्रशासन, स्वैच्छिक संस्थाओं, उद्योग जगत, ग्रामवासियों की सहभागिता से लगाई गई ग्रीन ब्रिज योजना से दूषित जल का उपचार हुआ है। भारत सरकार के योजना आयोग, कम्प्रोटलर एवं ऑडिटर जनरल सहित विभिन्न अन्र्तराष्ट्रीय संस्थाओं ने इस प्रोजेक्ट को सराहा।
यह जानकारी मंगलवार को यूसीसीआई सभागार में सृष्टि इको रिसर्च इंस्टीटयूट एवं ग्रीन इन्फ्रास्ट्रक्चर द्वारा आयड़ नदी ग्रीन ब्रिज योजना के परिणामों व उपलब्धियों पर आयोजित कार्यक्रम में दी गई. कार्यक्रम में आयड़ नदी सुधार पर बने वृतचित्र का लोकार्पण पूर्व विदेश सचिव जगत सिंह मेहता तथा यूसीसीआई के संरक्षक अरविंद सिंघल ने किया.
झील संरक्षण समिति ने तय किया कि सरकारी संस्थाओं, सृष्टि ईको रिसर्च इंस्टीटयूट एवं जनसहभागिता से शहर में बहने वाली प्रदूषित आयड़ नदी में जगह-जगह उपयुक्त स्थानों पर ग्रीन ब्रिज लगाकर आयड़ नदी के गंदे पानी को उपचारित किया जायेगा तथा नदी को सुंदर बनाने की दिशा में प्रयत्न किये जायेगे।
कार्यक्रम में वक्ताओं ने कहा कि जन सहभागिता के इस सफल इको-रेस्टोरेशन प्रोजेक्ट को और आगे बढ़ाना जरूरी है। इसके लिये यूसीसीआई, झील संरक्षण समिति मिलकर प्रयास करेंगे। यूसीसीआई के अध्यक्ष सी.पी. तलेसरा तथा ग्रीन ब्रिज योजना के समन्वयक रहे पूर्व अध्यक्ष रमेश चौधरी ने कहा कि आयड़ नदी में गिर रहे गंदे नालो को ही उपचारित कर दिया जाये तो नदी में उपचारित पानी ही पहुंचेगा तथा सुंदरता बढ़ सकेगी। सृष्टि इको रिसर्च इस्टीटयूट के प्रमुख वैज्ञानिक डॉ. संदीप जोशी एवं झील संरक्षण समिति के सचिव डॉ. तेज राजदान ने बताया कि इस योजना में बिना बिजली, बिना केमिकल एवं अल्प लागत में गंदे पानी का उपचार हो जाता है। यही योजना गंगा नदी में जा रहे गंदे नालों के उपचार में भी लगाई जा रही है। संचालन झील संरक्षण समिति के अनिल मेहता ने किया।
इस अवसर पर यूआईटी, नगर परिषद्, वन विभाग, जिला परिषद, मटून एवं भोईयों की पचोली पंचायत, सिंघल फाउण्डेशन, हिन्दुस्तान जिंक लिमिटेड, आर.एस.एम.एम.एल., पायरोटेक इण्डस्ट्रीज, महाराणा मेवाड़ चेरिटेबल फाउण्डेशन, मेवाड़ पोलिटेक्स, डॉ.मोहनसिंह मेहता मेमोरियल ट्रस्ट, ज्वाला संस्थान, चांदपोल नागरिक समिति एवं परियोजना में सहभागिता निभा रहे वैज्ञानिकों, स्वैच्छिक कार्यकर्ताओं को प्रतीक चिन्ह देकर सम्मानित किया गया। समारोह में ग्रीन ब्रिज योजना के सफल क्रियान्वयन में सहयोगी रहे संस्थानों, वैज्ञानिकों, दानदाताओं, सरकारी अधिकारियों का सम्मान किया गया।
अगर मुझे सही याद पड़ता है तो आयड़ नदी कभी की सूख चुकी है। शहर के जिन इलाकों से यह गुजरती है, वहां इसमें गंदगी डाली जाती है। अगर इसे फिर जीवित कर दिया गया तो इससे अच्छा और कुछ नहीं हो सकता। शहर में पर्यटन का एक और आयाम खुल जाएगा जिसका फायदा अंत में स्थानीय लोगों को ही मिलेगा