अशांत व्यक्ति कभी खुश नहीं रह सकता
udaipur. आलोक संस्थान के आलोक सी. सै. स्कूल हिरण मगरी, से. 11 में त्राटक ध्यान का आयोजन किया गया। संस्थान के निदेशक डॉ. प्रदीप कुमावत ने बालकों को कहा कि ’मन‘ की गति सबसे अधिक तीव्र है। जब मन को केन्द्रित कर लिया जाता है तो किसी भी बाहरी शक्ति की जरूरत नहीं रह जाती।
मन की चंचलता को केन्द्रित करने के लिये हम कई प्रकार के बाहरी साधनों का प्रयोग करते है, संगीत सुनना, पक्षियों की चहचहाहट इत्यादि। उन्होनें कहा कि परीक्षा के दिनों में ध्यान को लगाने की विशेष आवश्य कता होती है क्योंकि ध्यान से मन की एकाग्रता बढ़ती है। समय को चुराने वाले साधनों से स्वयं को दूर रखना होता है क्योंकि ये सभी साधन समय की बर्बादी करते है। इस जीवन को प्राप्त करने का हमारा एक विशेष लक्ष्य है और उसी लक्ष्य की प्राप्ति हेतु ध्यान मग्न हो अपने पथ पर कर्म करते हुये अग्रसर होना ही जीवन को श्रेष्ठ व सफल बनाने में हमारी सहायता करता है।
डॉ. कुमावत ने कहा कि जीवन में शांति का भी विशेष स्थान है। अशांत व्यक्ति कभी खुश नहीं रह सकता। खुशी उसी व्यक्ति के समीप है जो मन से, मस्तिष्कै से शांत है। शांति और ध्यान मनुष्य जीवन को सुख व सुकून पहुंचाने वाले साधन है। ध्यान चिन्त की एकाग्रता को बढ़ाता है और शांति जीवन को ध्येय प्रदान करती है।