स्थानीय मैडम भी विज्ञापनों से नदारद
Udaipur. वसुंधरा राजे की सुराज संकल्प यात्रा के पहले चरण का समापन उदयपुर में क्या हुआ, हर तरफ होड़ मच गई। होड़ किसी की भी हो। चाहे वह भाईसाहब की नजरों में चढ़ने की हो या अपने ही गुट में प्रतिद्वंद्वी से ज्यादा फ्लैक्स बनवाने की हो। कल वसुंधरा के आगमन के दौरान फ्लैक्स, बैनर, पोस्टर से अटे पडे़ शहर को देखते हुए लग रहा था कि चुनाव तो आज ही है।
हालांकि डबोक से शुरू हुई यह फ्लैक्स वार ऐसी हुई कि देबारी, प्रतापनगर, सेवाश्रम, सूरजपोल, बापू बाजार, देहलीगेट, कोर्ट चौराहा और अंत में गांधी ग्राउंड तक हर पोल पर दिखी। चाहे वह बिजली का पोल हो या गार्डन के चारों ओर लगी रेलिंग हो, हर तरफ अग्रिम संगठन के किसी न किसी पदाधिकारी के फोटो से सुसज्जित फलैक्स लगे थे। इन मार्गों को देखते हुए लग रहा था मानों चुनाव तो आज ही है और भाजपा ने फतह हासिल कर ली है।
भाईसाहब के ही गुट के एक कार्यकर्ता तो फोन कर किसी को पूछ रहे थे कि उसने कितने फ्लैक्स लगवाए हैं। क्या.. 30.. अरे यार आंडू-बांडू भी 30 फ्लैक्स लगवा रहे हैं तो अपने 50 तो कम से कम चाहिए।
एक पदाधिकारी के पास एक समाचार पत्र के एग्जीक्यूटिव विज्ञापन लेने पहुंचे तो उनका कहना था कि यार भाईसाहब, एक बात ध्यान रखना। स्थानीय मैडम का फोटो नहीं छपना चाहिए नहीं तो भाईसाहब भड़क जाएंगे। वैसे एक बात है कि मैडम को क्या पड़ी है यहां फोटो छपवाने की। उन्हेंस मालूम भी है कि यहां खर्च करने से उनका कुछ भला नहीं होने वाला। जो कुछ करना है, राजसमंद में ही करेंगे। इसलिए सारे अखबारों में जितने विज्ञापन भरे पडे़ थे लेकिन उनमें एक भी स्थानीय मैडम के किसी समर्थक का नहीं था। चाहे वह सोप स्टोन वाले साहब हों या कॉलेज के निदेशक। वसुंधरा के समर्थकों के जरूर कुछ विज्ञापन दिखे।