न्यायमूर्ति गोविन्द माथुर ने किया विद्या भवन में विमोचन
Udaipur. माखनलाल चतुर्वेदी विश्वविद्यालय के पूर्व उपकुलपति रामशरण जोशी ने इक्कीसवीं सदी की चिन्ताओं का जिक्र करते हुए कहा है कि ‘इण्डिया’ भले ही खुद को गतिमान समझे, लेकिन ‘भारत’ आज भी निम्न व मध्यम गति अवस्था के दौर से गुजर रहा है। सवाल और चिन्ताएं ‘अगली सदी में किसकी जीत होगी इंसान या प्रौद्योगिकी’ साथ-साथ उभर रहे हैं।
कुछ ऐसे ही महनीय आलेखों को संग्रहित की गई पुस्त क का शनिवार को राजस्थान उच्च न्यायालय के न्यायाधीश गोविंद माथुर ने विमोचन किया। पुस्त क विद्या भवन की हीरक जयन्ती पर नई दिल्ली के सामयिक बुक्सु द्वारा प्रकाशित की गई है। पुस्तक का संपादन डॉ. एच. के. दीवान और डॉ. वेददान सुधीर ने किया है।
हिलाल अहमद कहते हैं कि हिंसा का विचार सभ्य कहे जाने वाले समाज से पूरी तरह जुड़ा हुआ है। ऐसे में हिंसा को नकारात्मक बताने से पहले यह जरूरी है कि उन ‘सभ्य’ कही जाने वाली सामाजिक संरचनाओं को परख लिया जाये। डॉ. थामस अकादमिक और विश्वविद्यालयी स्तर पर गांधी अध्ययन को अपर्याप्त और सतही बताते हुए अपने लेख में बताते है दक्षिणी अफ्रीका से भारत लौटने का गांधी का शताब्दी वर्ष नजदीक आ रहा है। शायद यह सबसे उपयुक्त समय है जब हम उनके गृह देश में गांधी और उनके अनुयायियों की विरासत पर दृष्टि डाले वरना सरकारों ने तो उन्हें राष्ट्रपिता के तौर पर अपना संरक्षक और संत के रूप में तब्दीवल कर लिया है। वे लोग उनके विचार और सिद्धान्त की परवाह नहीं करते वरन् चुनाव जीतने में इस्तेमाल करते हैं। पुस्तक में बीस महत्वपूर्ण विचारकों ने मानव समाज और सभ्यता, डॉ. अम्बेडकर और भारतीय लोकतंत्र, इक्कीसवीं सदी की भारत की चिन्ताएं, चुनौतियां, समानता, संरचना, ग्रामीण सरोकार, शिक्षा की गुणवत्ता, भारत का शैक्षिक परिदृश्य, बहुभाषिता और अंग्रेजी, प्रजातंत्र और गांधी दृष्टि, गांधी एक पुनर्विचार, गांधी विचार और चुनौतियां, हिंसा के तर्क और तर्कों की हिंसा, वैश्विक आर्थिक आधिपत्य और अन्तर्राष्ट्रीय आतंकवाद जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर दृष्टिपात किया है, जो इक्कीसवीं सदी की प्रमुख चुनौतियां है।
पुस्तक प्रो. कमल सिंह राठौड़, प्रो. नरेश भार्गव, प्रो. के.एल. शर्मा, प्रो. अरूण चतुर्वेदी, प्रो. कृष्ण कुमार, डॉ. एच. के. दीवान, रमाकान्त अग्निहोत्री, प्रो. अरविंद फाटक, प्रो. नरेश दाधीच, आशा कौशिक, गांधीवादी रियाज तहसीन, डॉ. यतिन्द्रसिंह सिसोदिया, पी. सी. माथुर, डॉ. खेमचन्द महावर तथा डॉ. सुरेन्द्रसिंह के लेख संकलित हैं।