जनप्रतिनिधियों की कमजोर इच्छा शक्ति से नहीं आई बैंच
जयपुर में करें आंदोलन
Udaipur. जनजाति बहुल संभागीय मुख्यालय उदयपुर में हाईकोर्ट बैंच की स्थापना को लेकर संभाग के अधिवक्ता प्रतिनिधि मेवाड़-वागड़ हाईकोर्ट संघर्ष समिति के बैनर तले रोटरी बजाज भवन में एकत्र हुए और आगामी रणनीति तय की गई।
मीडिया समन्वयक ब्रजेन्द्र सेठ ने बताया कि पहले सत्र में समिति संयोजक रमेश नंदवाना ने वर्ष 1982 से चल रहे आंदोलन में अब तक का ब्यौरा पेशकिया। बांसवाडा के वरिष्ठ अधिवक्ता एवं संरक्षक शाहबाज खान ने युवाओं को आंदोलन में साथ जोडने पर जोर दिया। खान ने कहा कि समय परिवर्तनशील है और संघर्ष का निर्णय अवश्य आएगा। उन्होंने कहा कि मीडिया एक सशक्त माध्यम है और इस मुद्दे को जनता के बीच ले जाने की आवश्यकता है। प्रतापगढ़ से संरक्षक बाबूलाल जैन ने जनता को साथ जोडने पर बल दिया तथा कहा कि जनता को जानकारी देने की आवश्यकता है कि हाईकोर्ट की आवश्यकता जनता की आवश्यकता है। नाथद्वारा से आये ईश्वर सामोता ने आंदोलन को तीव्र गति से चलाने पर जोर दिया। राजसमन्द के यशवंत शर्मा ने कहा कि उदयपुर में हाईकोर्ट बैंच नहीं आने का कारण इस क्षेत्र के राजनीतिज्ञों की कमजोर इच्छा शक्ति है।
बार कौंसिल ऑफ राजस्थान के सदस्य एवं भीलवाडा के वरिष्ठ अधिवक्ता सुरेश श्रीमाली ने कहा कि सफलता मिले या नहीं, संघर्ष कभी व्य्र्थ नहीं जाता। उन्होनें मुख्यमंत्री से अनुरोध किया कि केवल जोधपुर तक ही सीमित नहीं होकर राजधर्म का पालन करें। उन्होंने अधिवक्ताओं का आव्हान किया कि सत्ता और संगठन में से संगठन को सर्वोपरि मानते हुए संगठन के हितार्थ व जनता की हितार्थ कार्य करें।
चित्तौडगढ़ के वरिष्ठ अधिवक्ता लक्ष्मीलाल पोखरना ने कहा कि हम हाईकोर्ट बैंच की मांग अधिकार के रूप में करते है। उन्होंने बताया कि महाराष्ट्र व उडी़सा में भी आदिवासी जनसंख्या के आधार पर हाईकोर्ट बैंच की स्थापना हुई है तो उदयपुर में क्यों नहीं हो सकती। प्रथम सत्र की अध्यक्षता फतहलाल नागौरी ने की। चित्तौडगढ़ के वरिष्ठ अधिवक्ता कन्हैयालाल श्रीमाली, बांसवाडा के कृष्णकांत उपाध्याय ने भी संबोधित किया। स्वागत उद्बोधन भरत जोशी ने प्रस्तुत किया।
दूसरे सत्र के आरम्भ में श्री शांतीलाल पामेचा, महासचिव ने सदन में तीन प्रस्ताव प्रस्तुत किये। द्वितीय सत्र में संरक्षक एवं डूंगरपुर के सार्दुलसिंह राठौड ने प्रस्तावों का समर्थन किया। बांसवाडा़ बार एसोसिएशन के अध्यक्ष नंदलाल पुरोहित ने कहा कि आंदोलन को तीव्र गति प्रदान की जाए। सम्मेलन को चित्तौडगढ़ के अध्यक्ष दिनेश मोड, पूर्व संयोजक एवं वरिष्ठ अधिवक्ता जे के दवे, पूर्व अध्यक्ष त्रिभुवन पुरोहित, पूर्व अध्यक्ष शंभूसिंह राठौड, प्रवीण खंडेलवाल, ओमप्रकाश, के. के. ओझा, अरूण व्यास, बांसवाडा के जिला संयोजक मनोज सिंह चौहान ने विचार व्यक्त किए।
द्वितीय सत्र की अध्यक्षता पूर्व विधानसभा अध्यक्ष शांतिलाल चपलोत ने की। कार्यक्रम में बडी़ साइडी से बार एसोसिएशन के अध्यक्ष गजेन्द्र सिंह झाला, बार एसोसिएशन कपासन के अध्यक्ष बालमुकुन्द चास्टा, बार एसोसिएशन खैरवाडा के अध्यक्ष पूनमचंद अहारी, बार एसोसिएशन वल्लभनगर के अध्यक्ष अजिज प्रकाश निमडिया, बार एसोसिएशन गोगुन्दा के अध्यक्ष युवराज सिंह बाघेला, बार एसोसिएशन मावली के अध्यक्ष नितिन मंडोवरा, बार एसोसिएशन राजसमन्द के उपाध्यक्ष गोपाल कृष्ण आचार्य, टेक्स बार एसोसिएशन उदयपुर के पूर्व अध्यक्ष प्रकाश जावरिया उपस्थित थे। धन्यवाद जिला संयोजक सत्येन्द्र पाल सिंह छाबडा ने दिया। संचालन ब्रजेन्द्र सेठ, मनीष शर्मा, भरत वैष्णव, हेमन्त जोशी ने किया।