यूसीसीआई में हुई परिचर्चा
आर्थिक परिस्थितियों पर निर्भर है विकास
Udaipur. भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस वर्किंग कमेटी के महासचिव, रेलवे तथा केन्द्रीय भूतल एवं सड़क परिवहन मंत्रालय के पूर्व मंत्री डॉ. सी. पी. जोशी ने अपनी आदत के मुताबिक उद्योगपतियों को खरी-खरी सुनाते हुए औद्योगिक विकास के प्रति आदर्शवादी दृष्टिकोण के स्थान पर व्यावहारिक दृष्टिकोण अपनाने का सुझाव दिया। उन्होंने कहा कि मैं झूठी आशाएं नहीं जगाना चाहता। आर्थिक निवेश एवं आर्थिक विकास वैश्विक आर्थिक परिस्थितियों पर निर्भर है।
वे मंगलवार को यूसीसीआई के पी. पी. सिंघल सभागार में “राजस्थान : औद्योगिक विकास एवं आर्थिक प्रगति के पथ पर“ विषयक परिचर्चा को संबोधित कर रहे थे। उन्हों ने कहा कि चेम्बर सदस्य दुनिया में हो रहे आर्थिक परिवर्तनों पर ध्यान दें। उदयपुर में सेज की स्थापना के यूसीसीआई के सुझाव के संदर्भ में उन्होंने कहा कि भूमि अवाप्तिकरण इसमें सबसे बड़ी बाधा है। उन्होंने उद्यमियों से कहा कि आने वाले समय में उद्योग की स्थापना के लिये इण्डस्ट्रीयल प्लॉट पर सबसे ज्यादा निवेश करना पड़ेगा।
उन्होंने कहा कि विकास की कल्पना को पूरा करने के लिए आधार जरूरी है। सरकार के समक्ष सबसे बड़ी चुनौती वितिय घाटे को नियंत्रित करना है। ऐसा नहीं कर पाने की स्थिति में देश की छवि अंतरराष्ट्रीतय स्तर पर खराब होगी जिससे निवेश बाधित होगा। बारहवीं पंचवर्षीय योजना के अन्तर्गत आधारभूत सुविधाओं का विकास पब्लिक प्राईवेट पार्टनरशिप द्वारा किए जाने की सरकारी योजना थी किंतु इसे अमल में लाने में कई कठिनाईयां आ रही है। सरकार द्वारा एफडीआई एवं एफआईआई लागू किये जाने के बावजूद भी निवेश को बढ़ावा नहीं मिल पाया है। सरकार को अपने बजट में से विभिन्न विकास योजनाओं हेतु निर्धारित एक लाख करोड़ रुपए कम करने पड़े हैं।
अध्यक्षता करते हुए सुखाड़िया विश्व विद्यालय के कुलपति प्रो. आई. वी. त्रिवेदी ने कहा कि आज की शिक्षा की सबसे बड़ी विसंगति यह है कि छात्र मात्र डिग्री लेकर के निकलता है एवं उसका व्यावहारिक ज्ञान शून्य होता है। त्रिवेदी ने उद्योग एवं शिक्षा के समन्वय पर बल दिया। उन्होंने बताया कि आज इंजीनियरिंग शिक्षा का एक ट्रेंड चल पड़ा है जबकि उद्योगों में तदनुसार नौकरियां उपलब्ध नहीं है।
यूसीसीआई के पूर्वाध्यक्ष के. एस. मोगरा ने कहा कि उद्यमी एवं शिक्षाविद् के समन्वय से पाठयक्रम तैयार कर लेने के उपरान्त क्या विश्व विद्यालय अनुदान आयोग द्वारा इन्हें मंजूरी प्रदान की जाएगी। उन्होंने विश्वाविद्यालय के विषय विशेषज्ञों को औद्योगिक जानकारी होने की आवश्याकता पर बल दिया। उन्होने सुझाव दिया कि मेडिकल शिक्षा की तर्ज पर प्रबंधन एवं तकनीकी शिक्षा के छात्रों को उद्योगों से सम्बन्धित व्यवाहारिक अनुभव दिया जाना आवश्यिक है। संचालन मानद महासचिव आशीष छाबड़ा ने किया। कार्यक्रम में उपाध्यक्ष हंसराज चौधरी ने भी विचार व्यसक्तश किए।
चैम्बर अध्यक्ष महेन्द्र टाया ने स्वागत करते हुए गतिविधियों व आगामी कार्ययोजनाओं की जानकारी दी। टाया ने दिल्ली मुम्बई रेलवे कोरीडोर को वाया अजमेर-भीलवाड़ा-चित्तौड़गढ़-उदयपुर-हिम्मतनगर मार्ग से पुनः निर्धारित किये जाने, उदयपुर-अहमदाबाद एवं डूंगरपुर-बांसवाड़ा-रतलाम रेलवे ब्रॉडगेज परिवर्तन कार्य को यथाशीघ्र गति प्रदान करते हुए क्रियान्वित करने, उदयपुर के महाराणा प्रताप हवाई अड्डे को अंतरराष्ट्री य हवाई अड्डा घोषित करने, उद्यमियों एवं निवासियों की सुविधा हेतु उदयपुर में पासपोर्ट सेवा केन्द्र, उदयपुर में हाईकोर्ट बैंच की स्थापना करने, उदयपुर को वाया भीलवाड़ा-चित्तौड़गढ़-उदयपुर पाइप लाइन से गैस कनेक्टिविटी प्रदान करने, रीको द्वारा नये औद्योगिक क्षेत्रों का चिन्हिकरण करके मूलभूत सुविधाओं का विकास करने, देवास द्वितीय परियोजना के शीघ्र क्रियान्वयन के साथ ही परियोजना के तृतीय एवं चतुर्थ चरण के कार्य की घोषणा भी यथाशीघ्र किये जाने, जयपुर के बिड़ला ऑडिटोरियम की तर्ज पर क्षेत्रीय सभागार कक्ष की स्थापना करने की मांग की थी।