उदयपुर। हम 64वां गणतंत्र दिवस मनाने जा रहे है लेकिन जिन नीतियों पर देश की सरकार चली है उससे आज गण (जनता) एवं तंत्र (शासन) आमने सामने है और जनता अपने आप को ठगा सा महसूस करती है। जिनको हमारे संविधान में नौकर कहा गया है वो हमारे मालिक बन बैठे है और मालिक (जनता) के हितो का सौदा कर रहे है जिन्हें हमें हमारी एकता, संगठन और आंदोलन से रोकना होगा।
ये विचार आवास अधिकार संघर्ष मंच के टाऊन हॉल में शनिवार को हुए सम्मेलन में माकपा जिला सचिव बी. एल. सिंघवी ने व्यक्त किये। उन्होंने कहा कि आजादी के संघर्ष में आगेवान नेताओं ने करोड़ों भारतवासियों से वादा किया था कि देश को आजादी मिलने के बाद आजाद भारत में हर व्यक्ति को रोटी कपड़ा मकान शिक्षा इलाज व रोजगार की गारंटी होगी व समानता पर आधारित समाज का निर्माण किया जाएगा, लेकिन जनता ने जिन्हें अपने सपनों को पूरा करने के लिए चुना, उन्होंने पूजिपतियों के हितों में नीतियां बना आम आदमी के सपनो को कुचलने का काम किया।
वरिष्ठ माकपा नेता भंवरलाल बारबर ने कहा कि अपना घर या मकान हर एक का सपना ही बल्कि नागरिक अधिकार भी है, लेकिन सरकार, भूमि दलाल माफिया एवं भ्रष्ट प्रशासन के गठजोड़ ने आम आदमी के सपनों को चुर-चुर कर दिया है। उन्होंने कहा कि आम आदमी को अपनी ताकत पहचान कर अपने अधिकार को पाने के संघर्ष को तेज करना होगा। सम्मेलन में संगठन के अध्यक्ष मोहनलाल खोखावत ने कहा कि पिछले 25 वर्षों में उदयपुर शहर में जो प्लोटिंग हुई है उसमें नगर विकास प्रन्यास की हिस्सेदारी मात्र 4 प्रतिशत है और राजस्थान आवासन मण्डल तो 20 पूर्व बुक कराये मकान भी आज तक नहीं दे सका है। उन्होंने कहा कि ये दोनों एजेसिया भाजपा और कांग्रेस पार्टी से सम्बन्ध रखने वाले भूमाफियाओं की एंजेट बन लूट बढाने का ही काम कर रही है। उन्होंने कहा कि उदयपुर शहर के विकास को भूमाफिया एवं भूमि दलालों के भरोसे छोड देने से उदयपुर शहर का कथित विकास विनाश की ओर बढ रहा है जिसमें कई तरह की समस्याएं और खतरे पैदा हो गये है।
सम्मेलन के बाद सम्मेलन में भाग लेने वाले हजारों लोग जुलुस के रूप में जिला कलेक्टर कार्यालय पहुंचे और जिला कलक्टर की अनुपस्थिति में अतिरिक्त जिला कलक्टर यासीन खान पठान को ज्ञापन देकर आवासहीन लोगों को उदयपुर शहर में न्यूनतम दर पर कम से कम 1000 वर्गफीट जगह देने या मल्टीस्टोरी बिल्डिंग में निर्माण लागत में फ्लैट बनाकर देने, शहरी हदबंधी कानुन लागु कर जरूरत से ज्यादा भूमि मालिको से भूमि जब्त कर उस भूमि को आवासहीनों में आंवटित करने, मंत्रीयों, सांसद, विधायको एवं अन्य श्रेणी के भूमि आवंटन के विशेषाधिकार समाप्त करने, कृषि भूमि के व्यापार को अपराध का दर्जा देने आदि की मांग की गई।