स्लरी के लिए गोगुंदा के निकट बनेगा डम्पिंग यार्ड
मार्बल अपशिष्ट की आवास एवं भवन निर्माण उपयोगिता पर कार्यशाला
उदयपुर। केन्द्रीय आवासन एवं शहरी गरीबी उपशमन मंत्री डॉ. गिरिजा व्यास ने कहा कि समूचे देश के 90 फीसदी मार्बल वाले प्रदेश राजस्थान में मार्बल उद्योगों से निकलने वाले मार्बल अपशिष्ट को भवन एवं आवास निर्माण के अनुकूल बनाने के लिए वैज्ञानिक व तकनीकी विशेषज्ञों को अनुसंधान करने की जरूरत है।
वे शनिवार को उदयपुर चेम्बर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के पीपी सिंघल सभागार में आयोजित मार्बल अपशिष्ट की आवास एवं भवन निर्माण में उपयोगिता विषयक कार्यशाला यूसीसीआई के उद्घाटन सत्र को संबोधित कर रही थीं। उन्होंने कहा कि 1980 के दशक के पश्चात राज्य में मार्बल भंडारों की खोज व उत्पादन क्षमता में अपेक्षाकृत वृद्घि हुई है, लेकिन उद्योगों में बढ़ते जा रहे पर्यावरण असंतुलन के खतरे एवं उपजाऊ जमीन पर अपशिष्ट के खतरे को रोकने की दिशा में प्रभावी प्रयास करने होंगे। उन्होंने मार्बल स्लरी को नवीन रोजगार के रूप में बढा़वा देने की जरूरत पर बल दिया।
उन्होंने किया कि निर्माण तकनीक पर व्यापक अनुसंधान के लिए उदयपुर में भारत का पहला तकनीकी संस्थान हुडकों को इसके स्थापित करने के लिए प्रभावी प्रयास होंगे। उन्होंने कहा कि मार्बल स्लरी के उपयोग से बीएमटीसीसी उदयपुर में 24 मकानों का निर्माण कराया जायेगा, जिन्हें सामाजिक सरोकारों के तहत अत्यन्त निर्धन, विधवा एवं विशेष योग्यजन को आवंटित किया जायेगा। उन्होंने इन आवासों के लिए जिला कलक्टर से शहर में भूमि आरक्षित करने को कहा।
डॉ. व्यास ने बताया कि बढ़ते शहरीकरण के दौर में आवास की समस्या को दूर करने के लिए उनके मंत्रालय ने राजस्थान को राजीव गांधी आवास योजनान्तर्गत 1000 करोड़ रुपए दिए गए हैं वहीं उदयपुर के लिए गरीब एवं कमजोर आय तबके को 5 एवं 4 लाख की लागत पर मकान बनाकर दिये जाने की महती योजना मंजूर की गई है। इसमें कमजोर तबके को किराया दर से वसूली की जाएगी। उन्होंने विकास के लिए केन्द्र व राज्य सरकारों में समन्वय, प्रशासनिक दक्षता, निवेशकों, स्थानीय निकाय तथा उद्यमियों की भागीदारी के साथ ही मीडिया की सकारात्मक भूमिका को महत्वपूर्ण बताया।
पंचायतीराज मंत्री एवं ग्रामीण विकास मंत्री गुलाबचन्द कटारिया ने कहा कि मार्बल स्लरी एक गंभीर चुनौती है इसके व्यावहारिक निदान की दिशा में धन की पर्याप्त व्यवस्था, सही तकनीक, समुचित विपणन एवं उपयोगिता आदि सिद्घांतों को अपनाते हुए प्रभावी प्रयास करने होंगे। उन्होंने आवासन योजनाओं का लाभ गरीब एवं अल्प वेतनभोगी, नौकरीपेशा तबके को प्राथमिकता से दिलाने की जरूरत बतायी।
उदयपुर सांसद रघुवीर मीणा ने कहा कि औद्योगीकरण के दौर में पर्यावरण संतुलन के लिए सभी को गंभीर प्रयास करने होंगे। उन्होंने उद्योगों से निकलने वाले अपशिष्टों के पुन:उपयोग की दिशा में समूहिक चिन्तन की आवश्यकता जतायी। महापौर श्रीमती रजनी डांगी ने मार्बल अपशिष्ट के उपयोग को लेकर उदयपुर क्षेत्र में पायलेटवार प्रोजेक्ट बनाने की आवश्यकता जताई।
जिला कलक्टर आशुतोष ए. टी. पेडणेकर ने बताया कि मार्बल स्लरी के लिए गोगुन्दा के निकट डम्पिंग यार्ड के लिए जल संसाधन एवं भूजल विभाग की ओर से सहमति शीघ्र ही प्राप्त होने के बाद इस समस्या का स्थायी समाधान हो जाएगा। उन्होंने उच्च तकनीकी प्रयोग से कम वजनी वाली अच्छी र्इंटों व निर्माण सामग्री के प्रयोग का सुझाव दिया। उन्होंने शहर के नजदीक ही कन्सट्रक्शन टेक्नॉलोजी पार्क की स्थापना की जरूरत बताई जिससे औद्योगिक अपशिष्टों की समस्याओं का कारगर हल निकल सके। बीएमटीपीसी के निदेशक डॉ. शैलेश कुमार अग्रवाल ने मार्बल स्लरी के निस्तारण की बजाए इसे एक बेहतरीन संसाधन के रूप में अपनाने की बात कही।
स्वागत उद्बोधन में यूसीसीआई अध्यक्ष महेन्द्र टाया ने पर्यावरण संतुलन की दिशा में चेम्बर की ओरसे वृक्षारोपण जैसी गतिविधियों के लिए रायल्टी में छूट के प्रावधान की मांग की। स्वागत उद्बोधन में यूसीसीआई अध्यक्ष महेन्द्र टाया ने पर्यावरण संतुलन की दिशा में चेम्बर की ओरसे वृक्षारोपण जैसी गतिविधियों के लिए रायल्टी में छूट के प्रावधान की मांग की। समारोह में पूर्व उप जिला प्रमुख लक्ष्मी नारायण पंड्या, पूर्व विधायक त्रिलोक पूर्बिया, प्रमुख समाजसेवी नीलिमा सुखाडि़या, गोपालकृष्ण शर्मा, जगदीशराज श्रीमाली, गणेश राजोरा, उद्योगपति कोमल कोठारी, के. एस. मोगरा, सी. पी. तलेसरा, मंत्रालय के विशेषाधिकारी डी. एस. नेगी सहित अनेक गणमान्य लोग व अधिकारी मौजूद थे।