अष्ठ दिवसीय मीठे प्रवचन के छठे दिन कहा आचार्य शान्तिसागर ने
उदयपुर। चेहरे पर आंसुओं की लकीर बन गई। सुनी तेरी वाणी तो तकदीर बन गई। रेत में घुमाई पूरी अंगुली, देखा तो तेरी तसवीर बन गई। आज हर व्यक्ति अपनी तकदीर खुद ही लिखने की कोशिश में लग रहा है लेकिन वह यह क्यों भूल जाता है कि तकदीर बनाने वाला तो ऊपर बैठा वो ईश्वर है, परमात्मा है। पैसों से भगवान की तसवीर तो खरीदी जा सकती है लेकिन तकदीर नहीं खरीदी जा सकती है।
उक्त विचार आचार्य शान्ति सागर महाराज ने नगर निगम प्रांगण में आयोजित मीठे प्रवचन की श्रृंखला के छठे दिन उपस्थित श्रावकों के समक्ष व्यक्त किये। आचार्यश्री ने कहा कि व्यक्ति दुनिया में हमेशा दो भाव लेकर जीता है पहला पुण्य और दूसरा पाप का। यह भी सत्य है कि चौबीस घंटे में एक बार व्यक्ति के मन में यह दो भाव आते जरूर है। जब रात को आप सोने की तैयारी करो उसके पहले दिनभर के कर्मों के बैलेंस शीट देखना, किसका पलड़ा भारी लगता है पाप का या पुण्य का। दुनिया में जो जैसा बोएगा वो वैसा ही काटेगा। जैसा कर्म करोगे फल वैसा ही मिलेगा।
आचार्यश्री के अनुसार व्यक्ति के जीवन में आंखों का बड़ा महत्व है। जितने भी अच्छे काम होते हैं वह आंखों की बदौलत ही होते हैं और जितनी भी गड़बड़ और बुरे काम होते हैं वह भी आंखों की बदौलत ही होते हैं। यह आंख उठे तो दुआ, झुके तो हया, फिर उठे तो खथा और फिर झुके तो दुआ। आखों को सम्भालना जरूरी है। घर में अगर अपना बच्चा रोता है तो दिल में दर्द होता है, पड़ौसी का रोए तो सिर में दर्द होता है। स्वयं की पत्नी रोये तो सिर में दर्द होता है और पड़ौसी की पत्नी रोये तो दिल में दर्द होता है। अगर आपकी आंखें सुधर गई तो समझो जीवन सुधर गया।
आचार्यश्री के अनुसार आप भगवान से वो मांगते हो जो तुम्हें अच्छा लगता है लेकिन भगवान वो तुम्हें देता है जो उन्हें अच्छा लगता है। प्रार्थना और ध्यान में बहुत अन्तर होता है। प्रार्थना में तुम भगवान से बात करते हो जबकि ध्यान में भगवान तुम से बात करते हैं। प्रार्थना में भगवान तुम्हारी सुनते हैं और ध्यान में तुम भगवान की सुनते हो। आज प्रभु से प्रार्थना करो फल समय आने पर मिलेगा ही, यह ठीक उसी तरह होता है जैसे किसान खेत में बीज बोता है और समय आने पर ही उसकी फसल पकती है। इसलिए कर्म करते रहो समय आने पर उसका फल आपको जरूर मिलेगा। दुनिया में वो भाग्यशाली है जिसके पास धन है, सौभाग्यशाली वो जिसके पास धन के साथ स्वास्थ्य भी है और महा सौभाग्यशाली वो जिसके पास धन, स्वास्थ्य के साथ ही धर्म भी हो। लेकिन दुर्भाग्यशाली वो जिसके पास न धन है, न स्वास्थ्य है और ना ही धर्म है।
भगवान ने हमें जो दिया है उसका हमें सदुपयोग करना चाहिये। आंखें दी है प्रभु के दर्शन करने के लिए, कान दिये हैं सन्तवाणी और अच्छी बातें सुनने के लिए, पैर दिये हैं तीर्थ= वन्दना जाने के लिए और हाथ दिये हैं दान- पुण्य और गिरे को उठाने के लिए। आज के समय पर कटाक्ष करते हुए उन्होंने कहा कि आज परायों के साथ जीना आसान है बल्कि अपनों के साथ जीना मुश्किल है।
छठे दिन की धर्मसभा के मुख्य अतिथि उदयुपर ग्रामीण विधायक फूलसिंह मीणा, पुलिस अधिकारी (सीआई) रमेशचन्द्र शर्मा, सिन्धी समाज के प्रभुदास पाहूजा, प्रताप चुग उपस्थित थे। समाज के श्रेष्ठीजनों में सेठ शान्तिलाल नागदा, नाथूलाल खलूडिया, चन्दनलाल छाप्या, देवेन्द्र छाप्या, सुमतिलाल दुदावत, जनकराज सोनी, सुरेश पद्मावत आदि थे। सभा के प्रारम्भ में राजेश शर्मा एण्ड पार्टी द्वारा संगीतमय मंगलारण पेश किया गया। महिला मण्डल की ओर से भक्ति नृत्यों की आकर्षक प्रस्तुतियां दी गई।