पार्किंग की समस्या से जूझता शहर
उदयपुर। उदयपुर के बाजारों में बढ़ते दो एवं चार पहिया वाहन एवं अव्यवस्थित पार्किंग की गंभीर समस्या के समाधान पर इंजीनियर राजेन्द्र कुमार चतुर एवं डॉ. एल. एल. धाकड़ ने बहुमंजिली एवं पॉकेट पार्किंग व्यवस्था को समाधान के रूप में पावर प्रजेन्टेशन के माध्यम से विज्ञान समिति के प्रबुद्ध चिन्तन प्रकोष्ठ की मासिक बैठक में प्रस्तुत किया।
चतुर ने बताया कि पूर्णत: स्वचालित/मेनुअल बहुमंजिली पार्किंग में लिफ्ट/पाथ की सहायता से भूस्तर के नीचे और भूस्तर के ऊपर बने स्थलों पर वाहनों की सुरक्षित पार्किंग की जा सकती है। इस व्यवस्था में जितने क्षेत्र पर एक कार खड़ी होती है, उसी क्षेत्र पर भूतल के नीचे और भूतल के ऊपर बने स्थल पर आठ-दस कारें खड़ी की जा सकती है।
उपलब्ध सीमित क्षेत्रों में खचाखच वाहनों के लिए स्थान आरक्षित/निर्धारित करना अत्यन्त कठिन है। ऐसे स्थान के लिए यह पार्किंग व्यवस्था खर्चीली लेकिन बहुत उपयोगी होगी। इस प्रकार की पार्किंग से सडक़ें पार्किंग से अवरूद्ध नही होगी। पार्किंग के पश्चात् इंजन बन्द रहने से वायु प्रदूषण में कमी आयेगी। वाहन मालिक को कार की सुरक्षा की चिन्ता नहीं रहेगी। पार्किंग शुल्क लगने से टिकाऊ स्वपोषित व्यवस्था रहेगी। शहर में रहने वाले वाहन मालिक भी इसमें रात्रिकालीन व्यवस्था से लाभ उठा सकते हैं और इससे पार्किंग व्यवस्था को आर्थिक लाभ भी होगा। अव्यवस्थित और असुरक्षित पार्किंग का भी समाधान होगा, निश्चिन्तता बढ़ेगी, कार चोरियों पर लगाम लगेगी। उदयपुर जैसे शहरों में दुपहिया वाहनों के लिए भी चयनित स्थलों पर बहुमंजिला पार्किंग उपयोगी होगी।
उन्होनें बताया कि बहुमंजिली पार्किंग पजल, रोटरी, टर्न टेबल, पिट लिफ्टिंग, उर्व क्षितिज, कम्प्यूटराइज्ड कार पार्किंग व्यवस्था के बारें में चित्रों के माध्यम से विस्तार से उल्लेख करते हुए उदयपुर शहर के आधार पर ‘‘नाड़ाखाड़ा नगर परिषद पार्किंग स्थल, देहली गेट तैयबिया स्कूल के सामने, आसीन्द हवेली भट्टियानी चौहट्टा, नगर विकास प्रन्यास चौराहा, आदि पर विकसित किए जा सकती है।
पॉकेट पार्किंग व्यवस्था : डॉ. धाकड़ ने बताया कि पॉकेट पार्किंग के अन्तर्गत रिक्त स्थानों पर सीमित संख्या में वाहन (दो/चार पहिया) की पार्किंग अल्पावधि के लिए सशुल्क निर्धारित करना व्यवस्थित पार्किंग के लिए बहुत उपयोगी एवं पर्यटकों के लिए अत्यन्त सुविधाजनक है। उदयपुर शहर में वर्तमान में पॉकेट पार्किंग के लिए निर्धारित स्थल हाथीपोल हेण्डीक्राफ्ट मार्केट, महेश किराणा स्टोर देहलीगेट, बैंक तिराहा आदि के अतिरिक्त करीब 50 से अधिक स्थानों को चिह्नित किया गया। इनका डामरीकरण कर पेन्ट से सीमांकन, शुल्क निर्धारण के साथ दो/चार पहिया वाहन कितनी संख्या में पार्क किये जा सकते हैं, उसका विस्तार से चित्रण किया। उदयपुर में पॉकेट पार्किंग के लिए सैकड़ों स्थान उपलब्ध है। जरूरत है समय पर उन स्थलों का उपेयगा करने की। इससे पार्किंग व्यवस्था तीव्र गति से विकसित किया जा सकेगा। उद्यमियों को व्यवसाय एवं साधारण नागरिकों को रोजगार उपलब्ध होगा। इस कार्य हेतु इस बाजार के सभी दुकानदारों को सकारात्मक रूख अपनाना होगा एवं अपने व्यक्तिगत स्वार्थ त्यागने होंगे, तभी इस कार्य की परिणति संभव होगी। इससे बापू बाजार की सुन्दरता की छवि हर वर्ष उदयपुर भ्रमण पर आने वाले लगभग 9 लाख पर्यटकों में से प्रत्येक पर्यटक की आँखों में सदैव बनी रहेगी।
उन्होंने बताया कि फतहसागर के काला किवाड़ से देवाली छोर तक मुम्बईया बाजार को अपवाद स्वरूप छोडक़र कोई पार्किंग एवं फूड हब नहीं होना चाहिये। फतहसागर की मुख्य पाल के प्रारम्भ एवं अन्तिम छोर पर विकसित पार्किंग को विभूति पार्क उद्यान में मिला देना चाहिये। इससे पाल की नीचे की सडक़ की लम्बाई पुन: पूर्व भी भांति बन सके। मुम्बईया बाजार फूूड हब को मोती मगरी के भामाशाह बगीचे में स्थानान्तरित कर दिया जाना चाहिये। इस खाद्य हब को और अधिक व्यवस्थित, प्रदूषण रहित, प्रदूषित जल को पुन: शोधन यन्त्र, सुलभ सुविधायुक्त बनाया जाना चाहिये जिससे पर्यटक इस सुन्दर झील का पैदल भ्रमण कर अपनी संपूर्ण भोजन आवश्यकताओं की प्राप्ति कर सकें। डॉ. भंवरलाल हिरावत, श्रीमती कमला लोढ़ा, इंजीनियर जे. एस. पोखरणा, समाजसेवी अनिल गोधा, डॉ. सुजान सिंह, डॉ. सुरेन्द्र छंगानी, शांतिलाल भण्डारी ने भी विचार व्यक्त किए।