तेरापंथ भवन में पर्युषण की धर्मधारा में सराबोर धर्मावलम्बी, स्थानकवासी जैन कॉन्फ्रेन्स महिला शाखा का शपथ ग्रहण
उदयपुर। आचार्य महाश्रमण की वाणी का अनुसरण करते हुए जब दो हजार से अधिक श्रावक-श्राविकाओं ने त्रिपदी वंदना विधि, सामायिक पाठ से सामायिक स्वीकार करते हुए जपयोग में ध्यान मुद्रा में रहकर मंत्र का जब एक स्वर में पंचाक्षर मंत्र का उच्चारण किया मानों चहुंओर भगवान की धर्माराधना हो रही हो और गुरुजनों का आशीर्वाद मिल रहा हो।
कुछ ऐसा ही माहौल रहा अणुव्रत चौक स्थित तेरापंथ भवन में जहां श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा की ओर से पयुर्षण के तहत तीसरे दिन सामायिक दिवस पर तेरापंथ युवक परिषद् के तत्वावधान में 2200 श्रावक-श्राविकाओं ने सामायिक के अभिनव प्रयोग साध्वीश्री कनकश्रीजी के सानिध्य में किए। सामायिक के तहत क्रमानुसार श्रावक-श्राविकाओं ने आचार्य महाश्रमण की वाणी का अनुसरण करते हुए ध्यान योग, स्वाध्याय योग,त्रिगुप्ती साधना, परमेष्ठी वंदना का सामूहिक एक लय में संगान, पुन: त्रिपदी वंदना व अंत में सामायिक आलोचना पाठ करके 48 मिनट के सामायिक अभिनव प्रयोग को पूर्ण किया।
पर्युषण के तीसरे दिन प्रवचनों की रसधारा में श्रावक-श्राविकाओं को सराबोर करते हुए साध्वीश्री कनकश्रीजी ने सामयिक के अभिनव प्रयोग का विश्लेषण करते हुए वेशभूषा, उपकरण, आसन के साथ त्रिपदी वंदना विधि, वंदना की मुद्रा, सामायिक पाठ के तहत जप, ध्यान, स्वाध्याय एवं त्रिगुप्ती साधना के प्रयोग की जानकारी दी। साध्वी श्री कहा कि सामायिक के माध्यम से 12 प्रकार के तपों की साधना हो जाती है। जो व्यक्ति सद्पुरुष होता है, उसकी सामायिक बड़ी चमत्कारी होती है। उन्होंने श्रावक-श्राविकाओं से कहा कि संकल्प करें कि महीने में 25 बार प्रयोगात्मक रूप में सामायिक हो। इससे पूर्व आचार्य तुलसी जन्म शताब्दी समारोह के तहत महासभा द्वारा निर्मित आचार्य तुलसी के जीवन वृतांत पर बनी एनीमेशन फिल्म का प्रसारण किया गया। सभाध्यक्ष राजकुमार फत्तावत ने बताया कि साध्वीश्री कनकश्रीजी के सानिध्य में 22, 23 व 24 अगस्त को हुए चंदनबाला व चक्रवर्ती तैले के पारणे का सामूहिक कार्यक्रम सोमवार सुबह 6.30 बजे भवन में होगा। साथ ही इस दौरान तेरापंथ कन्या मंडल द्वारा चंदना का तैला, पुण्यों का मेला लघु नाटिका का मंचन भी होगा। अखिल भारतीय तेयुप के अभिनव सामायिक के राष्ट्रीय संयोजक विनोद मांडोत ने बताया कि देश भर में हजारों श्रावक-श्राविकाओं ने एक समय पर एक साथ अभिनव सामायिक के प्रयोग आचार्यश्री महाश्रमण की सीडी के माध्यम से किए। परिषद के अध्यक्ष अभिषेक पोखरना ने उदयपुर के श्रावक-श्राविकाओं द्वारा अनुशासनबद्ध होकर अभिनव सामायिक के प्रयोग करने पर आभार जताया।
स्थानकवासी जैन कॉन्फ्रेन्स महिला शाखा का शपथ ग्रहण
अखिल भारतवर्षीय श्री श्वेताम्बर स्थानकवासी जैन कॉन्फ्रेन्स महिला शाखा का आज श्रमण संघीय महामंत्री सौभाग्य मुनि के सानिध्य व ग्रामीण विकास व पंचायती राज मंत्री गुलाबचन्द कटारिया के मुख्य आतिथ्य में पंचायती नोहरे में शपथग्रहण समारोह हुआ।
कटारिया ने नवनिर्वाचित कार्यकारिणी नवनिर्वाचित अध्यक्ष ममता रांका, उपाध्यक्ष सुमित्रा सिंघवी, महामंत्री पिंकी माण्डावत, सहमंत्री रतन पामेचा, कोषाध्यक्ष रंजना चौहान, प्रचार-प्रसार मंत्री रंजना मेहता, संगठन मंत्री सुशीला माण्डावत, अनुशासन मंत्री राजकुमारी गन्ना, सांस्कृतिक मंत्री प्रमिला पोरवाल, सुनीता चण्डालिया, संध्या नाहर, शिवा सिंघवी तथा संस्था की प्रमुख मार्गदर्शिका नगर निगम मेयर रजनी डांगी को शपथ दिलाई।
नव निर्वाचित अध्यक्ष ममता रांका एवं महामंत्री पिंकी माण्डावत ने बताया कि शाखा ने उदयपुर के संभाग राजसमन्द, नाथद्वारा, डबोक, चित्तौड़गढ़ मावली, घासा, पलाना आदि क्षेत्रों के नगरों व उपनगरों में 100 महिलाओं की कार्यकारिणी गठित की है ताकि सेवा कार्यों का विस्तार किया जा सके। ममता रांका ने बताया कि संस्था की ओर से 19 अक्टूबर को कन्या सम्मेलन आयोजित किया जाएगा। समारोह में जिला प्रमुख मधु मेहता, शांतिलाल चपलोत सहित अनेक अतिथि गण्मान्य नागरिक उपस्थित थे।
राग-द्वेष का प्रभाव महसूस होता है दिखता नहीं
उदयपुर। कुछ वस्तुएं ऐसी होती है जो दिखाई तो नहीं देती है किन्तु उनका अभाव प्रतीत होता है। विचारों में जाग्रत होने वाले राग-द्वेष ऐसे ही भाव है जिनका हम केवल प्रभाव देख पाते है।
उक्त विचार श्रमण संघीय महामंत्री श्री सौभाग्य मुनि कुमुद ने पंचायती नोहरे में आयेाजित विशाल धर्म सभा को सम्बोधित करते हुए व्यक्त किये। उन्होंने कहा कि वास्तव में तो ये भावनात्मक बंधन है। इनमें से यदि हम किसी भी बन्धन को स्वीकार करते है तो अन्य जो भी श्रैष्ठ होता है उसे नहीं पा सकते।
उन्होंने बताया कि जहां किसी की बुराई होकर भी वह बुराई न लगकर अच्छाई जैसी ही लगे तो उसे रागान्धता ही समझना चाहिये। रागान्ध व्यक्ति को अपने प्रिय की कमी कमी स्वरूप नही लगती किन्तु जिसका जिसके प्रतिद्वेष है वहां किसी विपरीत व्यक्ति की अच्छाई भी बुराई की तरफ दिखती है। यह विद्वेष की निशानी है। ये दोनों अवस्थाएं हमारे भाव जगत के लिये अत्यन्त कष्ट रूप है। इनसे हमारी तटस्थता और न्यायप्रियता समाप्त हो जाती है।
सौभाग्य मुनि के सानिध्य में श्री वद्र्धमान स्थानकवासी युवक परिषद की ओर से भाषण प्रतियोगिता भी संपन्न हुई। कार्यक्रम का शुभारम्भ प्रवर्तक मदन मुनि के सूत्र वाचन से हुआ। निर्मल मुनि ने भी प्रवचन दिये। कोमल मुनि ने कविता पाठ किया कार्यक्रम का संचालन श्रावक संघ मंत्री हिम्मत बड़ाला ने किया। अध्यक्ष वीरेन्द्र डांगी ने अतिथियों व तपस्वियों का स्वागत किया।