– गणेशोत्स व का समापन, छींटे देकर प्रतिमाओं को रखा किनारे, विसर्जन से पहले निकाली शोभायात्रा
उदयपुर। आज गणपति बप्पा की विदाई का दिन है। बप्पा को विदाई देने के लिए पूरा शहर झीलों के इर्द-गिर्द उमड़ पड़ा है। त्रयोदशी तथा चतुर्दशी तिथि एक साथ होने से कुछ विसर्जन कल तथा कुछ आज दोपहर तक हुए।
रानी रोड पर कल शाम को गणेश प्रतिमाओं के विसर्जन के लिए शहरवासियों का जलसैलाब उमड़ पड़ा था, जिसके लिए पुलिस के भी खासे बंदोबस्त किए गए थे। आज अनंत चतुर्दशी पर गणेश प्रतिमाओं के विसर्जन का कार्यक्रम सुबह से जारी है। विनायक मंडलों और घरों में स्थापित गणपति प्रतिमा का विसर्जन किया जा रहा है। कई लोगों ने झील के सौंदर्य को बनाए रखने के लिए प्रतिमाओं का विसर्जन नहीं किया, बल्कि पानी के छींटें देकर प्रतिमाओं को झील किनारे ही रख दिया, जिन्हें नगर निगम द्वारा वहां से हटाकर अन्य स्थानों पर सुरक्षित रखा जाएगा।
आखिरकार बप्पा की विदाई का समय आ ही गया। दस दिन तक पूजा-अर्चना के बाद बप्पा ने गाजे-बाजे के साथ विदाई ली। शहर के मुख्य इलाकों में स्थापित गणपति प्रतिमाओं का विसर्जन फतहसागर, पीछोला व गणगौर घाट किनारे किया गया।
परंपरा के साथ आस्था भी
एक ओर शहर की तमाम झीलों को साफ रखने के लिए सरकार लाखों रुपए का बजट देकर साफ करने की मुहिम चला रही है वहीं गणपति विसर्जन किया जा रहा है। भक्तों का कहना है कि गणपति के विसर्जन की परंपरा सदियों से चली आ रही है। हालांकि झीलों का ध्यान रखते हुए इस बार मिट्टी की प्रतिमाएं तैयार करवाई गईं।
विसर्जन से पूर्व निकली शोभायात्रा
शहर के विभिन्न इलाकों से समितियों ने विसर्जन से पूर्व शहर में भव्य शोभायात्रा निकाली। शहर के जगदीश चौक, हाथीपोल, चांदपोल, भड़भूजा घाटी, सूरजपोल, अस्थल मंदिर, मुखर्जी चौक, बड़ा बाजार, घंटाघर होते हुए ये शोभायात्राएं गणगौर घाट पहुंचीं। इस दौरान सडक़ों पर खासी संख्या में भक्तों का जमावड़ा रहा।
5 पांच मार्गों पर आवाजाही बंद
अनंत चतुर्दशी पर शहरभर से निकलने वाली गणपति शोभायात्राएं गणगौर घाट पहुंची। जगदीश चौक की तरफ सुबह आठ बजे से शाम तक वाहनों की आवाजाही बंद कर दी गई। ट्रैफिक पुलिस के अनुसार रंगनिवास से जगदीश चौक, हाथीपोल से घंटाघर होकर जगदीश चौक, चांदपोल से जगदीश चौक, भड़भुजा घाटी से जगदीश चौक, सूरजपोल दरवाजे से अस्थल मंदिर, मुखर्जी चौक, बड़ा बाजार, घंटाघर मार्ग पर वाहनों की आवाजाही बंद की गई।
श्राद्ध पक्ष कल से
अनंत चतुर्दशी के अगले दिन मंगलवार से श्राद्ध पक्ष शुरू हो जाएगा। साथ ही पूर्वजों के तर्पण किए जाएंगे जो अमावस्या तक चलेंगे। पहले दिन सभी घरों में श्राद्ध के धूप ध्यान करते हुए पितरों को खीर पूड़ी, मालपुए आदि के भोग धराए जाएंगे। पूर्वजों को मोक्ष की कामना की मान्यता के अनुसार कौओं, कुत्तों, गायों के लिए भी कौर निकाला जाएगा। पन्द्रह दिन बाद सर्व पितृ अमावस्या के साथ श्राद्ध पक्ष संपूर्ण होगा।