दादाजी पर आरोप, हाईकोर्ट ने दिए फिर से अनुसंधान के आदेश
उदयपुर। दादाजी पर दुष्कर्म के प्रयास का आरोप लगाने की वजह से एक छात्रा को भूपालपुरा राजकीय बालिका उच्च माध्यमिक विद्यालय से निकाल दिया गया है। यह निदंनीय कार्य राजकीय स्कूल की जिम्मेदार प्राचार्य ने किया।
आरोप है कि प्राचार्य ने छात्रा को मानसिक रूप से प्रताडि़त करते हुए 11वीं कक्षा उत्तीर्ण होने के बावजूद 12वीं कक्षा में एडमिशन नहीं दिया। दूसरी तरफ पुलिस ने न्यायाधीश के समक्ष 164 के बयान और पोस्को एक्ट में मामला दर्ज होने के बाद भी इस मामले में एफआर लगा दी। इस पर पीडि़ता ने उसकी मां के साथ हाईकोर्ट में गुहार लगाई, जहां से इस मामले में सक्षम उच्चाधिकारी से अनसुंधान कराने के निर्देश दिए गए हैं।
यह है मामला : सौभागपुरा के ज्योतिनगर में रहने वाली कक्षा ११ की छात्रा के माता-पिता पिछले आठ साल से अलग रहते हैं। छात्रा के पिता उसके दादाजी नारायणलाल सुथार के साथ ही सौभागपुरा में अपने पैतृक मकान में रहते हैं, जबकि छात्रा और उसका भाई अपनी मां के साथ रहते हैं। कक्षा ११ उत्तीर्ण होने पर वह 15 जून, 2014 को मार्कशीट उसके पिता को दिखाने के लिए भाई के साथ पैतृक मकान पर गई, जहां उसको भाई ने कहा कि अंदर देख, पिताजी है या नहीं। इस पर छात्रा अंदर गई। छात्रा का आरोप है कि इस दौरान दादा नारायणलाल शर्मा अंदर था, जिसने बताया कि तेरे पिताजी यहां नहीं है। इस दौरान छात्रा को खाट पर बिठाकर दादा किचन में गया, जहां से धोती खोलकर आया और उसके साथ दुष्कर्म का प्रयास किया। इस बीच उसका भाई वहां पहुंचा, जहां दादा ने दोनों के साथ मारपीट की। तभी छात्रा के पिताजी भी वहां आ गए, जिन्होंने दोनों को जान से मारने की धमकी दी। बाद में छात्रा ने सारा घटनाक्रम उसकी मां को बताया, जो सुखेर थाने पहुंची, जहां पहले से उसके दादा और पिता मौजूद थे, जिन्होंने छात्रा, उसके भाई और मां के खिलाफ दादा पर चाकू-छुरी से हमला करने का मामला दर्ज कराया। आरोप है कि पुलिस ने छात्रा की रिपोर्ट लेने से भी इनकार कर दिया। बाद में यह मामला रात करीब साढ़े 11 बजे धारा 376, 323 व 3, 4, 5, 6 पोस्को एक्ट में दर्ज किया गया। इस मामले में न्यायाधीश के समक्ष छात्रा के 164 के बयान हुए, लेकिन पुलिस ने अनुसंधान में दादा नारायणलाल की 76 वर्षीय आयु और हरणिया का रोगी होने की मेडिकल रिपोर्ट को आधार बनाते हुए एफआर लगा दी। एफआर में दूसरा कारण पारिवारिक विवाद बताया गया है, जो छात्रा के माता-पिता के बीच चल रहा है। छात्रा की मां ने उसके पिता के खिलाफ भरण पोषण का दावा कर रखा है।
हाईकोर्ट का आदेश : पुलिस की उक्त कार्रवाई के खिलाफ पीडि़ता ने उसकी मां के साथ हाईकोर्ट में गुहार लगाई। इस पर हाईकोर्ट ने 26 अगस्त को इस मामले में सुखेर एसएचओ के अलावा किसी भी सक्षम अधिकारी या डिप्टी लेवल के अधिकारी से पुनर्अनुसंधान के निर्देश दिए हैं।
बाल आयोग से शिकायत : पीडि़त छात्रा को भूपालपुरा बालिका उच्च माध्यमिक विद्यालय की प्राचार्य द्वारा 12वीं कक्षा में एडमिशन नहीं देने और स्कूल से टीसी देकर रवाना कर देने पर छात्रा की ओर से केंद्रीय और राज्य बाल आयोग से शिकायत की गई है।
इन्हों ने कहा
छात्रा ने अगर अभी एडमिशन लिया है, तो अभी एडमिशन नहीं हो रहे हैं। अगर जुलाई में उसको एडमिशन के लिए मना किया है, तो यह गलत है। छात्रा द्वारा अगर मुझे लिखित शिकायत की जाएगी, तो मैं अवश्य कार्रवाई करूंगी।
-कृष्णा चौहान, जिला शिक्षाधिकारी (माध्यमिक)