तेरापंथी सभा ने किया 37 तपस्वियों का अभिनंदन
उदयपुर। साध्वी श्री कनकश्रीजी ने कहा कि उपवास से आत्मा के साथ संवाद स्थापित होता है। उपवास का अर्थ आत्मा के आसपास रहने की विशिष्ट साधना है। यह आत्मा के साथ संवाद स्थापित करने का उत्तम साधन है। इससे आत्म शुद्धि की राह प्रशस्त होती है। वे रविवार को अणुव्रत चौक स्थित तेरापंथ भवन में चातुर्मास में तेरापंथी सभा के तपस्वियों के अभिनंदन समारोह को संबोधित कर रही थीं।
तप अभिनंदन समारोह में करीब 35 से अधिक तपस्वियों का अभिनंदन किया गया। अभिनंदन स्वरूप इन्हें अणुव्रत संहिता, उपरणा, साहित्य, स्मृति चिह्न भेंट किए गए। साध्वी ने कहा कि सभी धर्मों की साधना में तपस्या का अपना विशिष्ट स्थान है। उपनिषद में भी बताया गया है कि ब्रह्मचर्य की साधना और तप की आराधना ये मृत्युंजयी बनने के महामंत्र हैं। तपस्या के प्रभावों की चर्चा करते हुए साध्वी श्री ने इन्द्रिय विजय, स्वाद विजय और कषाय विजय के अभ्यास पर विशेष बल दिया। साध्वी श्री ने संघ के तृतीय पट्टधर आचार्य रायचंद के निवास स्थान रावलिया से सम्बद्ध सुश्रावक मोहनलाल बम्ब के 75 वर्ष की आयु में मास खमण की आराधना पर हर्ष व्यक्त करते हुए कहा कि तपस्या में बम्ब का सामायिक, प्रवचन श्रवण और सहज रूप से दैनिक चर्या संपन्न कर पाना उनकी विशिष्टता रही।
साध्वी मधुलता ने साध्वीश्री कनकश्रीजी के सान्निध्य में हुए तैले से मासखमण तक की तपस्याओं की जानकारी दी। सामूहिक जप अनुष्ठान आयम्बिल तप भी बड़ी संख्या में हुए। साध्वी श्री वीणा कुमारी, साध्वी मधुलेखा, साध्वी समितिप्रभा ने सामूहिक तपगीत प्रस्तुत किया।
इससे पूर्व तेरापंथी सभा के अध्यक्ष राजकुमार फत्तावत ने कहा कि यह उदयपुर समाज के लिए गौरव का विषय है कि बहुश्रुत परिषद की सदस्या साध्वी श्री कनकश्रीजी के सान्निध्य में उदयपुर समाज के सुश्रावक मोहनलाल बम्ब ने मासखमण की तपस्या पूर्ण की है। बम्ब एवं समाज के सभी तपस्वियों की सभा अनुमोदना करती है।
तपस्या करने वालों में मासखमण की तपस्या करने वाले मोहनलाल बम्ब एवं सिद्धि तप करने वाले कन्हैयालाल सरणोत को विशिष्ट सम्मान प्रदान किया गया। मासखमण के तहत पूरे 30 दिन तक उपवास तथा सिद्धि तप के तहत पहले नौ दिन उपवास फिर पारणा, फिर आठ दिन उपवास फिर एक दिन पारणा यूं करते हुए 44 दिन की तपस्या में निरंतर 36 उपवार किए जाते हैं।
इसी प्रकार अठारह दिन की तपस्या करने वाली तपस्वी सुशीला बरडिया, 15 दिन की तपस्या करने वाले रमेश सिंघवी, दस तपस्या करने वाले श्रीमती लक्ष्मी कोठारी एवं इन्द्रा चेनावत के साथ नौ दिन की तपस्या करने वाले कमला गुप्ता, मीना डागलिया, इन्दुबाला, हिम्मतसिंह चौधरी, सूरजमल नागौरी, चिराग कोठारी, आशीष चिप्पड़, जितेन्द्र तलेसरा, नानालाल कुणावत, रंजना कुणावत, हनी गेलड़ा और श्रीमती अनिता मांडोत का अभिनंदन किया गया। इसी प्रकार आठ दिन की तपस्या करने वाले सोनम फूलफगर, मुदित पोरवाल, प्रियंका पोरवाल, अशिता कंठालिया, निखिल पोरवाल, दीक्षित सिंघटवाडिय़ा, पुष्पा चपलोत, शिल्पा खमेसरा, अंजु कच्छारा, शिल्पा तलेसरा, सुनीता बैंगानी, सुनील पारीवाला, प्रियांशा पारीवाला, निधि पोरवाल, ललिता सरणोत, गुंजन पोरवाल, इन्द्रा मारू और सीमा बाबेल का भी अभिनंदन किया गया।
इससे पूर्व सुशीला बरडिया, जितेश बरडिया, रेखा चोर्डिया आदि ने अपनी अपनी अभिव्यक्ति दी। शशि चह्वाण, सोनल सिंघवी आदि ने सामूहिक गीत प्रस्तुत किया। तेरापंथ युवक परिषद के अध्यक्ष अभिषेक पोखरना ने साध्वी प्रमुखा कनकप्रभा का मासखमण की तपस्या करने वाले श्रावक बम्ब के प्रति संदेश वाचन किया। स्वागत सभा के संरक्षक शांतिलाल सिंघवी ने किया। संचालन मंत्री सूर्यप्रकाश मेहता ने किया। आभार उपाध्यक्ष सुबोध दुग्गड़ ने जताया।