उदयपुर. गीतांजली हॉस्पीटल के कार्डियक सेन्टर पर डॉ. हरीश सनाढ्य एवं डॉ सी.पी पुरोहित ने एंजियोप्लास्टी कर हृदयाघात का ’रोटाब्लेशन’ तकनीक द्वारा संभाग का पहला सफल उपचार किया गया।
हृदयरोग विशेषज्ञ डॉ हरिश सनाढ्य ने बताया कि भीलवाड़ा निवासी गोविंद व्यास (49) को 16 दिसंबर को हृदयाघात की शिकायत के साथ गीतांजली हॉस्पिटल के ’’हृदय रोग गहन चिकित्सा इकाई’ में भर्ती कराया गया जहां एन्जियोग्राफी जांच करने पर हृदय की दो मुख्य धमनियों में रूकावट पाई गई। बायीं तरफ की मुख्य धमनी (एलएडी) की सफलतापूर्वक एन्जिओप्लास्टी की गई लेकिन दायीं तरफ की धमनी (आरसीए) की रूकावट अत्यधिक केल्शियम जमा होने की वजह से इतनी सख्त हो गई थी कि काफी प्रयत्न के बावजूद बैलून से चौडा़ नहीं किया जा सका जिसके चलते डॉ सनाढ्य व डॉ पुरोहित की टीम ने दायीं तरफ की धमनी का रोटाब्लेशन तकनीक द्वारा सफल एन्जिओप्लास्टी कर संभाग में पहला उदाहरण पेश किया।
क्याक है ’रोटाब्लेशन’ तकनीक : अस्पताल के हृदयरोग विशेषज्ञ डॉ सी.पी पुरोहित ने बताया कि इस तकनीक में विभिन्न साईज के बर को धमनी में ले जाकर काफी उच्च गति (लगभग 150000-200000 आर पी एम) पर रूकावट में जमा केल्शियम को तोड़ा जाता है व उसके बाद रूकावट को बैलुन द्वारा चौड़ा कर स्टेन्ट प्रत्यारोपित किए जाते है। यदि किसी अस्पताल में यह तकनीक ना हो और बायपास संभव हो तो बायपास किया जाता है। लेकिन यदि बायपास न किया जा सके तो रोटाब्लेशन के लिए हायर सेंटर्स पर रेफर किया जाता है। इस तरह की तकनीक जयपुर के फोर्टिस एवं नारायण हृदयालय अस्पताल के अतिरिक्त केवल गीतांजली अस्पताल में ही मौजूद है।