स्मार्टसिटी में भौतिक के साथ नैतिक और चारित्रिक विकास भी हो: महापौर
श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा के वरिष्ठ संतों का मंगल विहार आज
उदयपुर। श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा के वरिष्ठ संत शासन श्री मुनि राकेश कुमार ने कहा कि संतों के आने और जाने पर न तो हर्ष और न ही दुख व्यक्त करना चाहिए क्योंकि संतों का तो आना और जाना दोनों ही मंगल होते हैं। जब तक यहां हैं, समग्र हमारा है और जब यहां से चल दिए तो हमारा कुछ भी नहीं है। समग्रता से आना और समग्रता से ही वापस जाना है।
वे श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा की ओर से उनके सफल चातुर्मास काल के बाद अहमदाबाद की ओर प्रस्थान के एक दिन पूर्व रविवार को तेरापंथ भवन में आयोजित मंगल भावना समारोह को संबोधित कर रहे थे। मंगल भावना समारोह इसलिए भी प्रमुख रहा कि समारोह में 11 संत एक साथ मंच पर मौजूद रहे।
उन्होंने कहा कि आत्मा के केन्द्र की साधना और आचार्य प्रवर की दृष्टि की आराधना दो मुख्य कार्य हैं। अध्यात्म की साधना करने से हमारे रहने, खाने, व्याख्यान देने के लक्ष्य का पता चलता है। सकारात्मक चिंतन का विकास होता है।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि महापौर चन्द्रसिंह कोठारी ने कहा कि दस माह में शहर में जो धार्मिक और अध्यात्म का वातावरण रहा, समसामयिक विषयों पर मुनि श्री के साथ विभिन्न विषयोें पर चर्चाएं हुईं उसी का परिणाम है कि आज स्मार्टसिटी में हमारा चयन हो चुका है। मैं मुनिश्री को विश्वास दिलाता हूं कि हम निश्चय ही स्मार्ट सिटी की परिकल्पना को साकार करेंगे। स्मार्ट सिटी के साथ नैतिकता और चारित्रिक विकास भी हो। भौतिक विकास भले ही हम कितना भी कर लें लेकिन नैतिक और चारित्रिक दृष्टि से भी हम मजबूत रहें। यातायात के नियमों की पालना और सफाई की दृष्टि से निगम तो अपने स्तर पर प्रयास कर ही रहा है लेकिन जन सहयोग और जनप्रतिभागिता के बिना हम कभी सफल नहीं हो सकते।
शासन श्री मुनि रवीन्द्र कुमार ने कहा कि मुनिश्री स्वस्थ रहकर संघ की सेवा करते रहें। बिना साधना किए आत्मिक शांति नहीं मिलती। यह मुनि श्री की साधना की ही प्रतिफल है कि श्रावक उन्हें छोड़ना नहीं चाहते।
शासन श्री मुनि हर्षलाल ने कहा कि संतों के विहार पर दुख नहीं बल्कि मंगल कामना करनी चाहिए। वे आगे जाकर भी धर्म की प्रभावना करेंगे।
मंच पर मौजूद 11 संतों में शासन श्री मुनि राकेश कुमार, मुनि रवीन्द्र कुमार, मुनि हर्षलाल, मुनि सुधाकर, मुनि दीप कुमार, मुनि तत्वरूचि, मुनि यशवंत कुमार, मुनि दिनकर, मुनि विनयरूचि, मुनि शांतिप्रिय, मुनि प्रबोध कुमार शामिल थे।
अहमदाबाद के डीसा में चातुर्मास कर यहां पहुंचे मुनि तत्वरूचि ने कहा कि 30 वर्षों बाद मेवाड़ की इस पावन धरा पर आने का मौका मिला है। मुनि श्री के प्रति बहुत मंगल कामनाएं कि आपकी सराहना कर सकूं, वो अल्फाज कहां से लाउं।
मुनि सुधाकर ने कहा कि भगवान महावीर ने कहा कि विहार चर्या साधु जीवन के लिए कल्याणकारी है। कहावत भी है कि रमता जोगी, बहता पानी ही ठीक लगते हैं। क्षेत्र विशेष के प्रति साधु के जीवन में कोई उल्लास नहीं होना चाहिए। हमारा पावर हाउस एक हैं आचार्य श्री महाश्रमण जहां से हमें भी उर्जा मिलती है। एक सुखद बात यह रही कि मुनि श्री यहां आने से पहले बीमार थे और उदयपुर का हवा पानी उन्हें इतना सूट कर गया कि यहां रहने के दौरान एक दिन भी हॉस्पिटल का मुंह नहीं देखना पड़ा।
मुनि दीप कुमार ने कहा कि उनका दूसरा जन्म यानी दीक्षा मेवाड़ में हुई। मुनि श्री के 4 चातुर्मास उदयपुर में हुए। उनका यह पावस प्रवास चिर स्मृति में रहेगा। 11 वें अधिशास्ता की अनुशास्ता में 11 संतों के सान्निध्य में मंगल भावना समारोह हो रहा है। संतों को भले ही विदा कर दें लेकिन धर्म को कभी विदा न करना। मुनि श्री उदास करके नहीं बल्कि उजास करके जा रहे हैं। मुनि यशवंत कुमार, मुनि शांतिप्रिय ने भी विचार व्यक्त किए।
इससे पूर्व सभाध्यक्ष राजकुमार फत्तावत ने कहा कि 90 के दशक में चल रहे मुनि श्री राकेश कुमार को उदयपुर समाज के करीब 90 प्रतिशत लोगों के नाम याद हैं। वे जहां भी रहें, स्वस्थ रहें, दीर्घायु हों, चिरायु हों। धर्मसंघ में ऐसे गिने-चुने संत ही हैं जो इस उम्र में भी धर्म-अध्यात्म की लौ प्रज्वलित कर रहे हैं। समग्र समाज की ओर से कृतज्ञता ज्ञापित करते हुए खमतखामणा कि यदि कोई त्रुटि रह गई हो तो क्षमा करें।
फत्तावत ने बताया कि सोमवार सुबह 8.15 बजे तेरापंथ भवन से विहार कर मुनि श्री मोगरावाड़ी होते हुए सेक्टर 11 स्थित उनके निवास पर पधारेंगे। वहां से मंगलवार सुबह प्रस्थान कर काया स्थित जैन तीर्थ पधारेंगे। बुधवार को वहां से बारांपाल स्थित प्राथमिक विद्यालय में पधारेंगे।
तेरापंथ युवक परिषद के अध्यक्ष दीपक सिंघवी ने कहा कि हर्ष मिश्रित क्षण है कि दस माह तक अध्यात्म की गंगा बहाने के बाद अब यहां से विहार कर रहे हैं। संतों के मार्गदर्शन के बिना कोई कार्यक्रम सफल नहीं हो पाता। परिषद ने मार्ग सेवा प्रदान करने में कोई कोताही नहीं बरती है फिर भी यदि कोई कमी रह गई हो तो युवा नेतृत्व के चलते उनकी जिम्मेदारी है और उस नाते वे क्षमाप्रार्थी हैं।
महिला मंडल अध्यक्ष चन्द्रा बोहरा ने कहा कि आगम के सूत्रों, 25 बोल पर सरल भाषा में प्रवचन, तत्व ज्ञान पर उदयपुर समाज ने आपकी शिक्षा को ग्रहण किया। किशोर बालक-बालिकाओं के प्रति भी आपका ध्यान रहा। उनसे निरंतर सम्पर्क रखा। उन्होंने व्यक्तिगत मंडल की ओर से धार्मिक उल्लास जगाने की मंगल भावनाएं व्यक्त की।
तेरापंथ प्रोफेशनल फोरम के अध्यक्ष बीपी जैन ने कहा कि हालांकि डेढ़ वर्ष पूर्व ही मेरा आगमन उदयपुर हुआ और मैंने काफी कुछ सीखा। प्रवचनों से मुनि श्री जो छाप छोड़कर जा रहे हैं, वह हमारे स्मृति पटल पर अंकित रहेगी। जिस तरह आपने मार्गदर्शन दिया है, टीपीएफ परिवार सदैव आपका ऋणी रहेगा।
तेरापंथी सभा के तहत उदयपुर शहर में संचालित छह ज्ञानशालाओं की संचालिकाओं सुनीता नंदावत, प्रतिभा इंटोदिया, सीमा मांडोत, सीमा बाबेल, सरोज सोनी एवं चन्द्रा पोखरना का उपरणा ओढ़ा स्मृति चिन्ह भेंटकर सम्मान किया गया। कमल नाहटा ने सुंदर गीतिका प्रस्तुत की।
कार्यक्रम का सफल संचालन करते हुए तेरापंथी सभा के उपाध्यक्ष सुबोध दुग्गड़ ने कहा कि दस माह का मुनि श्री का पावन प्रवास हमेशा चिरस्मृतियों में रहेगा। इस दौरान आचार्य महाश्रमण की साहित्य समीक्षा संगोष्ठी जिसमें तीन कुलपतियों ने शिरकत की। जनप्रतिनिधियों की कार्यशाला जिसमें 80 से अधिक प्रतिभागी शामिल हुए। राज्य के केबिनेट मंत्री गुलाबचंद कटारिया, अरूण चतुर्वेदी और राजकुमार रिणवा ने भी मुनि श्री का सान्निध्य प्राप्त किया। ऐसे कई कार्यक्रम इस दौरान हुए जो हमेशा याद किए जाएंगे। आभार सभा मंत्री सूर्यप्रकाश मेहता ने व्यक्त किया। आरंभ में मंगलाचरण सोनल सिंघवी, शशि चव्हाण एवं समूह ने किया। अतिथियों का उपरणा ओढ़ा, स्मृति चिन्ह भेंटकर सम्मान किया गया।