उदयपुर। अंतरराष्ट्रीय जिंक एसोसिएशन द्वारा हिन्दुस्तान जिंक के सहयोग से नई दिल्ली में द्वितीय अन्तर्राष्ट्रीय गेल्वेनाइ जिंग सम्मेलन आयोजित करने जा रहा है जिसका उद्घाटन केन्द्रीय मंत्री खान, बिजली एवं कोयला मंत्री पीयूष गोयल द्वारा किया जाएगा।
इस दो दिवसीय सम्मेलन में अलग अलग उद्योगो जैसे हिन्दुस्तान जिंक, जेएसडब्लयू, टाटा स्टील, पीजीसीआईएल, मारूति, एस्सार, इन्टरनेश्नल नेड जिंक डेवलेपमेट एसोसिएशन एवं आईआईटी मुम्बई के 20 से अधिक वक्ताओं का संबोधन होगा।
सम्मेलन में जिंक व स्टील मार्केट की संभावनाओं एवं जिंक के रेलपटरियों एवं आधारभूत संरचनाओं के साथ ही भारत में उभरते क्षेत्रों में संभावित जस्ता और इस्पात बाजार, बुनियादी ढांचे में जिंक की भूमिका को मजबूती प्रदान करने पर विचार विमर्श होगा। सम्मेलन का मुख्य विषय भारतीय अर्थव्यवस्था के सकल घरेलू उत्पादन में जंग से हो रहे नुकसान के बारे में होगा।
हिन्दुस्तान ज़िंक के मुख्य कार्यकारी अधिकारी सुनील दुग्गल ने कहा कि जंग के कारण भारत प्रतिवर्ष सकल घरेलू उत्पाद की 5 प्रतिशत के लगभग हानि हो रही है जबकि पश्चिमी देशों में सार्वजनिक निर्माणों यथा पुल, राजमार्गों, ओवरब्रिज हवाई अड्डों, मेट्रो स्टेशनों, रेल्वे स्टेशनों इत्यादि में निर्माणों तथा आधारभूत ढांचे के पूर्ण गेल्वेनीकरण को सांविधिक जरूरत बना चुके हैं जिसके फलस्वरूप जंग लगने की समस्या से पूरी निजात मिली है। उदाहरण के तौर पर एथेंस ब्रिज पेंसिल्वेनिया और कर्टिस रोड ब्रिज मिशीगन निर्माण की संरचना में जस्ता स्टील सरिया का उपयोग और काले इस्पात रेबार के साथ बनाये गये पुलों का जीवन पारंपरिक पुलो की तुलना में बहुत लंबे समय तक है। इनका जीवन उन पुलों जो कि सामान्य काले स्टील सरियों से बने हैं जैसा कि जस्तीकरण किये हुए सरिये क्लोराईड कान्सन्ट्रेशन से लगभग 4 से 5 गुना ज्यादा चलता है और निम्न पीएच स्तर पर भी निष्क्रिय रहता है जो कि जंग लगने की दर को कम करता है। देश शहरीकरण के दौर से गुजर रहा है और आने वाले आर्थिक संरचनाओं की होड़ में जस्तीकरण वास्तव में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है जिसका कोई विकल्प नहीं है।
मुख्य धातुओं में जिंक जंग निरोधी तत्वों में वर्ष 2016 में सर्वोत्तम स्थान पर है। औद्योगिक स्त्रोतों के अनुसार जिंक जिसका खनन विश्व भर में किया जा रहा है का लगभग 58 प्रतिशत प्रयोग जस्तीकरण में किया जा रहा है, 14 प्रतिशत मेटल सांचे में ढालने में, 10 प्रतिषत मिश्र धातुं एवं पितल बनाने में, 9 प्रतिषत रसायनों में, 6 प्रतिशत रोल्ड जिंक और 3 प्रतिशत अन्य कार्यों में लिया जा रहा है।
औद्योगिक विशेषज्ञ मानते है कि जिं़क का इस्तेमाल जस्तीकरण कर निर्माण कार्यो में किया जाता है तो यह स्टील उद्योग के लिये वरदान का कार्य करता है। पानी और नमी के सपंर्क में आने पर जिंक में जंग कम होता है और लोहे को कैथोडिक प्रतिरक्षण प्रदान करता है। भवन एवं निर्माण उद्योग कुल निर्मित परत लगे स्टील पट्टी का लगभग दो तिहाई इस्तेमाल करते है जो कि मुख्यतः वाणिज्यिक एवं औद्योगिक बिल्डिंग के छत एवं आवरण में उपयोग होता है। बिल्डिंग में इस्तेमाल किये जाने वाली ज्यादातर सामग्री में जिंक के ऊपर मील से बने हुए जैविक परत है। तटीय क्षेत्रों जंग से अधिक समस्या प्रभावित है जिन्हंे जस्तीकरण के उपयोग से बड़ी राहत मिल सकेगी। होट डीप जस्तीकरण अपने वास्तवीक रूप में अभी विष्व में एक बढ़ता हुआ उद्योग है कॉस्टिंग भी दूसरा महत्वपूर्ण क्षेत्र है जो कि नये मिश्र धातु एवं नयी तकनीक पर आधारित है। प्लास्टीक से प्रतिस्पर्धा वर्ष 1970 में जिं़क कॉस्टिंग के लिये भय का कारण था किन्तु नये मिश्र धातु के विकास एवं अप्रत्याषित बढ़ोतरी के करण जिं़क कास्टिंग के अस्तीत्व को नियंत्रण में रखने में मदद मिली। विषेषकर जहां मजबूत एवं तैयार वस्तुओं की आवष्यकता थी चूंकि कास्टिंग कम हो सकता था इसलिये कम धातु का उपयोग किया गया था जिससे वजन भी कम हुआ, गुणवत्ता बढ़ी लेकिन साथ ही मूल्य भी कम हुआ।
निश्चित तौर पर जिंक को भी बिना गुणवत्ता घटाएं पुर्नचक्रित किया जा सकता है इसलिये जिंक के स्क्रेप का भी एक विषेष बाजार है जहां इसके अवषेषों का वर्गीकरण किया जाता है जिंक के तत्व के अनुसार इनका मूल्यांकन किया जाता है। जिंक स्क्रेप को महत्वपूर्ण उत्पाद के रूप में बदला जाता है। हिन्दुस्तान जिंक वेदांता समूह की कम्पनी विश्वप की सर्वोपरि एवं भारत की एकमात्र सीसा, जस्ता एवं चांदी उत्पादक कम्पनी है जो कि 8000 करोड़ रुपये से ज्यादा का विनिवेश अपने खनन और परिष्करण के लिये कर रही है। कम्पनी अपने खनन के द्वारा धातु का उत्पादन 1.2 मिलियन टन प्रतिवर्ष तक बढ़ाने की ओर अग्रसर है।