अक्षय तृतीया के दौरान हुए 86 तपस्वियों के पारणे, कटारिया ने भी कराया पारणा
श्रमण संघ ने मनाया स्थापना दिवस
उदयपुर। श्री वर्द्धमान स्थानकवासी जैन श्रावक महासंघ एवं चातुर्मास आयोजन समिति के तत्वावधान में अक्षय तृतीया के पावन अवसर पर चित्रकूट नगर स्थित रसिकलाल धारीवाल आचार्य स्कूल में आचार्य सम्राट डाॅ. श्री शिवमुनि महाराज के सानिध्य 86 तपस्वियों के वर्षीतप पारणे को भव्य महोत्सव हुआ।
महासंध अध्यक्ष ओंकारसिंह सिरोया ने बताया कि इस महान धार्मिक आयोजन में उदयपुर शहर के साथ ही राजस्थान सहित देश के विभिन्न हिस्सों से आये सैंकड़ों तपस्वियों ने भाग लिया। महोत्सव का शुभारम्भ मंगलाचरण के साथ हुआ। साध्वीवृन्दों ने तपस्या पर प्रकाश डाला। आयोजन में बाहर से आये हुए विशेष अतिथियों एवं तपस्वियों का समाज के श्रेष्ठीवरों द्वारा स्मतिचिन्ह एवं अभिनन्दन पत्रप्रदान कर बाहुमान किया गया। स्वागत सत्कार किया गया। पारणा महोत्सव को लेकर 2000 से अधिक श्रावक- श्राविकाओं में इतना उत्साह था कि सभागार खचाखच भर गया। यहीं नहीं सभागार की उपरी मंजिल पर भी श्रावकों की संख्या उपस्थित थी। आचार्यश्री के साथ तपस्वियों के जयकारों से पूरा सभागार गूंज उठा। उपस्थित सभी श्रावकों ने अन्तर मन से तपस्वियों की खूब-खूब अनुमोदना की।
पारणे से पूर्व आचार्यश्री ने सुनाया मंगलपाठ
चातुर्मास संयोजक वीरेन्द्र डंागी ने बताया कि तपस्वियों के पारणे के लिए अलग से व्यवस्थाएं कर रखी थी। तपस्वियों के परिजन आवश्यक सामग्री के साथ में महोत्सव में उपस्थित थे। आचार्यश्री डाॅ.शिवमुनिजी महाराज ने तपस्वियों के पारणे से पूर्व सभी तपस्वियों एवं श्रावकों को मंगल पाठ सुनाया। उसके बाद पारणा महोत्सव आरंभ हुआ। सभी ने बारी- बारी से तपस्वियों को पारणा कराने का धर्मलाभ के साथ ही सौभाग्य प्राप्त किया। इस दौरान कई श्रावक- श्राविकाएं इस महान महोत्सव में भक्ति गीत गाती रही। मोक्ष पथ पुस्तक का विमोचन-
महोत्सव के दौरान आचार्यश्री के सानिध्य में युवाचार्य महेन्द्र ऋषिजी महाराज की प्रेरणा से लिखित मोक्ष पथ नामक पुस्तक का विमोचन किया गया। विमोचनकर्ताओं में अखिल भारतवर्षीय जैन श्रमण संघीय श्रावक समिति के राष्ट्रीय चेयरमेन सुमतिलाल कर्णावट, रमेश भंडारी, औंकारसिंह सिरोया, विरेन्द्र डांगी,संजय भण्डारीलुधियाना के संजय जैन तथा श्रवण कुमार सारीवाल द्वारा किया गया।
समारोह का संचालन महेनद्र तलेसरा द्वारा किया गया। महोत्सव में सूर्यप्रकाश मेहता,रसिकलाल एम. धारीवाल स्कूल के राज लोढा, निर्मल पोखरना,रमेश बोकड़िया सहित सैकड़ांे विशिष्टजन उपस्थित थे।
तप साधना में अहंकार का कोई स्थान नहीं होताः आचार्यश्री डाॅ.-शिवमुनिजी महाराज
महोत्सव के दौरान आचार्यश्री डाॅ. शिवमुनि ने तपस्वियों एवं श्रावकों को पारणा महोत्सव का महत्व समझाते तपस्वियों से कहा कि यह परम्परा सबसे पहले तीर्थकर भगवान ऋषभदेव के युग से ही अक्षय तृतीया के दिन से चली आ रही है जो आज भी कायम है। इस वर्षी तप का अपने आप में ही बड़ा महत्व है। उन्होंने कहा कि तपस्वियों के मन में ऐसे भाव कभी मत लाना कि यह तप मैंने किया, आपने किया। मैं इतने तप और उपवास कर सकता हूं। तप में अहंकार के लिए कोई स्थान नहीं होता है। तप के बाद अगर अहंकार आ जाता है तो वह तप सुफलदायी होने के बाद भी निष्फल हो जाता है। यह तो आपके अच्छो कर्म थंे कि आपको इस भव में ऐसा महान पुनीत कार्य करने को मिला। अगर ऐसे अहंकारी भाव किसी के मन में आ भी जाए तो अपने तप की साधना भगवान ऋषभदेव के चरणों में अर्पित कर देना। महोत्सव में ही आचार्यश्री के समक्ष कई श्रावकों ने अगले वर्ष वर्षी तप करने की भावना व्यक्त की। आचार्यश्री ने कहा कि अक्षय तृतीया के दिन पारणा महोत्सव का तो महत्व है ही इस दिन का दूसरा सबसे महत्व यह है कि आज ही के दिन श्रमण संघ की स्थापना हुई। उन्होंने श्रमण संघ के प्रथम आचार्य आत्मारामजी को स्मरण करते हुए कहा कि उस जमाने में किस तरह से उन्होंने श्रमण संघ की जड़ें मजबूत कर संघ को आगे बढ़ाने का कार्य किया। महोत्सव के दौरान ही सभी उपस्थित श्रावक- श्राविकाओं ने श्रमण संघ का स्थापनाा दिवस भी मनाया।
महोत्सव के दौरान शिरीष मुनि ने भी तपस्वियों की तप साधना की प्रशंसा करते हुए कहा कि तप आत्मा की शुद्धि के लिए ही किये जाते हैं। आत्मा शुद्ध है तभी तप का महत्व होता है। आत्मा है तो तपस्या होती हैं। आत्मशुद्धि तब ही होगी जब आपकी भाव शुद्धि होगी। इसलिए आज के लिए यह संकल्प जरूर लें कि हम हमेशा तप साधना करने पहले भावों की शुद्धि करके आत्मा को निर्मल बनाएंगे उसके बाद तप साधना करेंगें।