22 वें महाप्रयाण दिवस पर कार्यक्रम
उदयपुर। शासन श्री साध्वी गुणमाला ने कहा कि आचार्य तुलसी की आंखों में विलक्षण व्यक्तित्व झलकता था। एकतंत्र को जनतंत्र पछाड़ रहा था तब आचार्य तुलसी आये। उन्होंने जन जन की भावना को सुना। सभी को सहर्ष स्वीकार किया।
वे रविवार को तेरापंथ सभा के तत्वावधान में आचार्य तुलसी के 22 वें महाप्रयाण दिवस पर आयोजित सभा को संबोधित कर रही थी। उन्होंने कहा कि गुरुदेव कहते थे कि पहले मैं संत हूँ फिर साहित्य का सृजनकर्ता। उन्हें दिल्ली तक याद किया जाता था चाहे वो एकता परिषद की मीटिंग हो या धर्मगुरुओं का सम्मेलन। उनका सकारात्मक चिंतन था कि मैं अपनी दादी, मां, बेटी का मुंह नही देखूंगा तो फिर किसका देखूंगा।
साध्वी लक्ष्यप्रभा ने कहा कि तुलसी किसी को छू जाए तो वो महाप्रज्ञ बन जाता है। ऐसे थे आचार्य तुलसी। उनके पास स्पर्श था, उनमें एक राम था। उनका हर अक्षर साहित्य है। मनुष्य भगवान बने या नही लेकिन मनुष्य बन जाये इसके लिए उन्होंने अणुव्रत का प्रतिपादन किया।
साध्वी प्रेक्षाप्रभा ने उदबोधन में कहा कि अणुव्रत के माध्यम से गुरुदेव ने छोटे छोटे नियम दिए जिससे श्रावक श्राविकाओं को खुद में परिवर्तन लाना सम्भव हो पाया। उन्होंने जो पौधा अणुव्रत का लगाया आज उस फल को हम खा रहे हैं। जब भी आयामों को याद करेंगे, आचार्य तुलसी स्वतः याद आएंगे बहुत कुछ किया लेकिन अपनी मौलिकता को कभी नही खोया। अर्थ के साथ पीढ़ियों के लोए संस्कार छोड़ कर जाएं। अगर हम विरासत भोगने के अधिकारी हैं तो पीढ़ी के लिए भी हमें छोड़कर जाना होगा। साध्वी श्री ने तुलसी नाम है भगवान का… गीतिका प्रस्तुत की। सभा अध्यक्ष सूर्यप्रकाश मेहता ने कहा कि साध्वी श्री और अन्य महिलाओं में शिक्षा का प्रचार प्रसार आचार्य तुलसी की ही देन है। ज्ञानशाला में बच्चों को आरम्भ से ही संस्कार दिए जाने लगे हैं। गुरुदेव तुलसी ने हर क्षेत्र में अपना प्रभाव दिखाया इसलिए उन्हें राष्ट्रसंत की उपाधि दी गयी।
तेयुप अध्यक्ष विनोद चंडालिया ने कहा कि श्रावकों के अच्छे कार्य पर सराहना और गलती पर सुधारने में आचार्य तुलसी सदैव अग्रणी रहते थे। कार्यक्रम को सरंक्षक शांतिलाल सिंघवी, छगनलाल बोहरा, प्रणिता तलेसरा, डॉ. संजीव बाबेल, शांतिलाल बाबेल, डॉ. एलएल धाकड़, एडवोकेट कनक मेहता, सुशीला सोनी ने विचार व्यक्त किये। नेहा चतुर, दीक्षा जारोली और डॉ. नेहा जैन ने आचार्य तुलसी पर गीत प्रस्तुत किया। आरम्भ में मंगलाचरण मंजू मेहता और कांता सिंघवी ने किया। संचालन कमल नाहटा ने किया। आभार मंत्री प्रकाश सुराणा ने व्यक्त किया।