पूर्णाहुति के साथ सात दिवसीय भागवत कथा सम्पन्न
उदयपुर। कथा वाचक कुंज बिहारी दास ने कहा कि यदि मनुष्य अपने जीवन में भागवत में बताये गुणों को अंगीकार करता है तो निश्चित रूप से उसके जीवन का कलयाण होगा।
वे आज हिरणमगरी से. 4 स्थित महेश सेवा समिति में चल रही 7 दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा ‘गगोत्सव‘ में सातवें और अंतिम दिन बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि भगवता के भजन सर्वोपरि है। उससे आप आप इस भव और अगले भव का कल्याण कर सकते है। जो क्षण चला जाता है वह लौट कर नहीं आता है इसलिये हर क्षण का आनन्द लेना चाहिये।
उन्होंने कहा कि कोई कहता है कि महाराज आज कथा समाप्त हो जायेगी, इस पर मैनें कहा कि जिस दिन कथा समाप्त हो जायेगी उस दिन प्रलय आ जायेगी। कथा ने विश्राम लेती है, समाप्त नहंी होती। हम तो आप को कथा के माध्यम से जगाने आये थे और आज वापस वृदांवन चले जायेंगे। जिस दिन कथा श्रवण से आपके आचार-विचार और जीवन में बदलाव आयेगा,उस दिन कथा का श्रवण सफल होगा।
स्वामी स्वरूपानन्द ने कहा कि उन्होंने कहा कि कि राधा-कृष्ण के शरीर भले ही अलग-अलग है लेकिन स्वरूप एक ही है। मरना बहुत सरल है, मरने के बहुत रास्ते है लेकिन जीना बहुत मुश्किल है। कृष्ण कहते है कि राधा तुम्हें मेरे लिये जीना होगा। कृष्ण राधा को बांसुरी देते हुए कहते है कि राध यह बांसुरी सिर्फ बासुरी नहंी है, यह मेरे प्राण है। जब तक यह तुम्हारें पास रहेगी,तब तक मेरे प्राण चलते रहेंगे और जिस यह तुम्हारे से छूट गयी उस दिने मेंरे प्राण भी छूट जायेंगे। मेरे प्राणों को रखने के लिये राधे तुम्हें मरना नहीं, जीना होगा। पहला प्यार अतुलनीय होता है। आजकल कौन किसके लिये जीता है।
सुरेश तोतला एवं नरेश तोतला ने बताया कि आज अंतिम दिन सुदामा चरित्र,चैबीस गुरूओं की कथा, परीक्षित मोक्ष, नाम संकीर्तन के वाचन के साथ ही पूर्णाहुति हुई। जिसके सैकड़ो भक्तों ने भाग लिया।