उदयपुर. शहर में रानी रोड स्थित अतिप्राचीन शिवधाम महाकालेश्वर में शुुक्रवार को शिव भक्ति का महापर्व शिवरात्रि पूर्ण श्रद्धा एवं उत्साह से मनाया गया। अलसुबह से देर रात तक पूजा-अर्चना के बीच मंदिर परिसर भोलेनाथ के जयकारों से गूंजता रहा।
सार्वजनिक प्रन्यास मंदिर श्री महाकालेश्वर की महाशिवरात्रि महोत्सव समिति के तत्वावधान में सुबह भगवान महाकालेश्वर की विशेष पूजा-अर्चना के बाद सहस्रधारा अभिषेक के दर्शन हुए। प्रन्यास के सचिव चन्द्रशेखर दाधीच ने बताया कि शिवरात्रि के मौके पर स्वयंभू ज्योति लिंग को अद्र्धनारीश्वर रूप में आकर्षक शृंगार धराया गया। १०.३० बजे से आर्ष विद्यापीठ के ४० वेदपाठी बालकों ने सस्वर शिवस्तुति एवं रूद्रपाठ किया तो शिवभक्त मंत्रमुग्ध हो गए। बाद में दिनभर मंदिर परिसर में भजन-कीर्तन की स्वरलहरियां गूंजती रही। भोलेनाथ की मंगला आरती, मध्याह्न आरती एवं सांयकाल को विशेष शंृगार, पूजा-अर्चना एवं महाआरती में अपार श्रद्धालुओं ने हिस्सा लिया। शाम 6 मंदिर परिसर स्थित गंगाघाट पर महाआरती हुई। रात्रि को चारों प्रहर में विधि विधान से महाकालेश्वर का विभिन्न द्रव्य से रूद्राभिषेक एवं पूजा-अर्चना हुई। इस अवसर गोसेवा मनोरथ के तहत गायों की पूजा-अर्चना कर उन्हें लापसी का भोग लगाया गया।
प्रन्यास अध्यक्ष तेजसिंह सरूपरिया ने बताया कि वातावरण में इस अवसर पर छाया-पानी की माकूल व्यवस्था की गई। परिसर में भगवान लड्डू गोपालजी, मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम, भगवान महादेव सहित विभिन्न देवी-देवताओं की झांकियां सजाई गई है। वृद्ध, नि:शक्त एवं बीमार श्रद्धालुओं के लिए पृथक दर्शन व्यवस्था की गई है। दर्शन सहित विभिन्न व्यवस्था में रमाकान्त अजारिया, लोकेश कोठारी, क्षेत्रीय पार्षद शंकर कुमावत, गोपाल लोहार दीक्षा भार्गव, प्रेमलता लोहार, ओम सोनी, ललित जैन, शंकर कुमावत, विनोद शर्मा, महिपाल शर्मा पुरुषोत्तम जीनगर, दिनेश मेहता, सुरेन्द्र मेहता आदि ने सेवाएं दी।
सवा बारह अरब रामनाम पौथियों की परिक्रमा
आयोजन का मुख्य आकर्षण सवा बारह अरब रामनाम पौथियों की परिक्रमा रही। संयोजक पन्ना मेनारिया के अनुसार शिवभक्तों ने करीब दो दशक पूर्व अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के संकल्प को लेकर रामनाम लिखने का संकल्प लिया था। सवा बारह अरब रामनाम लिखे जाने के साथ ही गत दिनों सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय एवं मंदिर निर्माण न्यास के गठन के साथ ही यह संकल्प पूरा हो गया है। शिवरात्रि के मौके पर इन रामनाम पौथियों को मंदिर परिसर में भक्तों के दर्शनार्थ एवं परिक्रमा के लिए रखा गया। २३ फरवरी को इस आयोजन की पूर्णाहुति होगी।