ट्रेण्ड्स ऑफ ट्रांसफोर्मेशन इन ऑन्कोलॉजी नेशनल कांफ्रेंस का पहला दिन
उदयपुर। कैंसर के उपचार से अधिक आवश्यकता इससे बचाव के लिए जागरूकता की है। लक्षणों के आधार पर प्राथमिक स्तर पर जांच और इलाज के लिए लोगों को आगे आना चाहिए खासकर मुंह के कैंसर से बचाव के लिए तम्बाकु से दूरी रखनी चाहिए और संकल्प लेना चाहिए, ये विचार ट्रेण्ड्स ऑफ ट्रांसफोर्मेषन इन ऑन्कोलॉजी नेषनल कांफ्रेंस के उद्घाटन समारोह में सामने आए। तीन दिवसीय सम्मेलन के उद्घाटन सत्र में मुख्य अतिथि ज्वाइंट डायरेक्टर जुल्फीकार काजी, सीएमएचओ शंकर लाल बामनिया, कांफ्रेंस डायरेक्टर डॉ. मनोज महाजन, पारस हेल्थ के एफडी डॉ. अबेल जार्ज डॉ. बी.एस. बम्ब, यूओजीएस अध्यक्ष डॉ. प्रकाष जैन, डॉ. डी.सी. कुमावत, डॉ. प्रषान्त अग्रवाल, डॉ. गौरव बिंदल, डॉ. विपिन माथुर, डॉ. नवीन गोयल, डॉ. प्रदीप बंदवाल, डॉ. सौरभ शर्मा, उपस्थित रहे। यहां पर कैंसर चिकित्सा के क्षेत्र में विशिष्ट योगदान करने वाले ऑन्कोलॉजिस्ट डॉ.डी.जी. विजय, डॉ.चिराग देसाई, डॉ. ललित शर्मा, डॉ. गरिमा मेहता, डॉ. विजय पाटिल, डॉ भरत भोसाले, डॉ. समीर मेलिनकेरी, डॉ. अमीश वोरा, डॉ. शिरीष अलूरकर का सम्मान किया गया। यहां डॉ. मनोज महाजन ने उदयपुर संभाग के दूर-दराज के क्षेत्रों में एक लाख से अधिक निःषुल्क कैंसर स्क्रीनिंग करने की घोषणा की है।
कांफ्रेंस डायरेक्टर डॉ. मनोज महाजन ने बताया कि दूसरे दिन लंग यानि फैफड़े के कैंसर की जांचों पर विषेषज्ञ चिकित्सक डॉ. अदिति अग्रवाल ने व्याख्यान दिया। उन्होंने कहा कि लगातार खांसी रहना लंग कैंसर का एक प्रमुख लक्षण हो सकता है। लगातार बलगम वाली खांसी आ रही हो और खांसी में खून आने लगे तो तुरंत डॉक्टर से कन्सल्ट करके जांचे करवानी चाहिए। लोग खांसी को सामान्य समझते हैं लेकिन लम्बे समय इसका ठीक नहीं होना अच्छे संकेत नहीं हैं । डॉ. कुणाल शर्मा ने फैफड़ों के कैंसर में मोलेक्यूलर डायग्नोसिस में एडवांसमेंट के बारे में बताया और कहा कि उपचार से पहले बीमारी की सही जांच आवष्यक है। लोग बिना जांच के उपचार करवाने लगते हैं जिससे अच्छे परिणाम नहीं आते हैं।
डॉ. शिरीष एस अलुरकर ने एडवांस स्टेज के एनएससीएलसी कैंसर की स्थिति में बचाव के टीकेआई के लाभों पर प्रकाष डाला, साथ ही इस तरह के केसेज में इम्युनोथैरेपी की उपयोगिता के बारे में बताया।
आयोजन सचिव डॉ. आनंद गुप्ता ने बताया कि डॉ. मनोज महाजन ने एडवांस स्टेज के कैंसर में लिक्विड बायोप्सी की भूमिका पर विस्तारपूर्वक जानकारी दी । उन्होंने कहा कि लिक्विड बायोप्सी से इस बात का एक पूर्वानुमान लगाया जा सकता है कि लंग कैंसर रोगियों पर इम्यूनोथेरेपी का असर होगा या नहीं। है लिक्विड बायोप्सी से पीडी-एल1 बायोमार्कर की जांच की जाती है। यह एक प्रकार का प्रोटीन होता है, जो एक प्रकार के इम्यूनोथेरेपी को टारगेट करता है। एचआर और एचइआरटू विषय पर डॉ. अंकूर पुनिया ने विचार रखें।
दिन के दूसरे सेषन में डॉ. मल्लिका दीक्षित ने स्तन कैंसर के कारणों, लक्षणों और भारतीय तथा वैष्विक आंकड़ों को प्रस्तुत किया और कहा कि महिलाओं में लक्षणों को लेकर जागरूकता का अभाव है। डॉ. अंकित अग्रवाल ने स्तन कैंसर के मॉलिक्यूलर वर्गीकरण पर बात की और कहा कि महिलाएं इससे संबंधी छोटी समस्या पर ही डॉक्टर से चर्चा करें तो समाधान संभव है। डॉ. डी.जी. विजय ने स्तन कैंसर के लिए सीएबी टेस्ट पर विस्तृत जानकारी दी। स्तन कैंसर के एचआर या एचइआर टू पॉजिटीव की एडवांस स्टेज में उपचार के आधुनिक विकल्पों और उनके लाभों के बारे में डॉ. सचिन जैन व डॉ. प्रीति अग्रवाल ने सम्मेलन को संबोधित किया । टीएनबीसी एडवांस स्टेज की स्थिति में इलाज की आधुनिक तकनीकों और उनके उपयोग के बारे में डॉ. भरत सिंह भोसले ने वक्तव्य दिया।
दिन के अंतिम एकेडमिक सत्र मंे प्रोस्टेट कैंसर के कारणों और इस बीमारी से प्रभावित मरीजों के आंकड़ों के बारे में महती जानकारी डॉ. क्षितिज रांका ने दी। प्रोस्टेट कैंसर की प्राथमिक अवस्था में सर्जिकल प्रबंधन से क्या लाभ हो सकते हैं और किन मरीजों में इसे उपयोग किया जा सकता है इस पर डॉ. हनुवंत सिंह राठौड़ ने व्याख्यान दिया। डॉ. दिवेष गोयल ने मेटास्टेटिक हार्मोन सेसेंटिव प्रोस्टेट कैंसर के बारें में विचार रखे और कहा कि चिकित्सकों को भी जागरूकता के लिए विषेष प्रयास करने चाहिए। डॉ. पुलकित नेग ने मेटास्टेटिक कास्ट्रेट रेसिस्टेंट प्रोस्टेट कैंसर विषय पर चिकित्सकों को संबोधित किया। एचएनएससीसी के उपचार प्रबंधन में आईओ और इसके क्रम की योजना की भूमिका पर डॉ. ललित मोहन शर्मा ने विषेष लेक्चर दिया।
सिर व गले के कैंसर की उत्पत्ति के कारण, जाचों और आंकड़ों के बारे में डॉ. ममता लोढ़ा ने बताया । सिर व गले के कैंसर की शुरूआती अवस्था सर्जिकल प्रबंधन के बारे में डॉ. सौरभ शर्मा ने व्याख्यान दिया। मेटास्टेटिक हेड एंड नेक कैंसर के इलाज में नयी तकनीकों आविष्कार और उपयोगिता पर डॉ. हेमन्त दाधिच ने लेक्चर दिया। लॉकली एडवांस हेड एंड नेक कैंसर में इम्युनोथैरेपी की भूमिका पर डॉ. विजय पाटिल ने महत्वपूर्ण जानकारी दी साथ ही यह भी कहा कि कौनसे के लिए इम्युनौथेरेपी उपयोगी हो सकती है इसके बारे में जाचों व मरीज की केस हिस्ट्री के बाद भी ही निर्णय लिया जा सकता है।