महिला समानता व सुरक्षा की मांग
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के एक दिन पूर्व प्रदर्शन
उदयपुर। अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर 8 मार्च को द्वितीय शनिवार का अवकाश होने से एक दिन पूर्व 7 मार्च को अखिल भारतीय जनवादी महिला समिति के नेतृत्व में सैकड़ों महिलाओं ने महिला समानता एवं सुरक्षा की मांग को लेकर कलक्ट्रेट पर प्रदर्शन कर ज्ञापन दिया।
कलक्ट्रेट पर हुए प्रदर्शन के दौरान संगठन अध्यक्ष पुष्पा चौहान ने कहा कि आजादी के संघर्ष में भी महिलाओं ने कंधे से कंधा मिलाकर संघर्ष में भाग लिया। अनेक वीरांगनाओं ने अपनी जान कुर्बान की, तब आजादी मिली। आजादी के बाद महिलाओं के संघर्ष की देन से कुछ कानून बने, मगर वो कानून अभी तक ठोस रूप से लागू नहीं किये जा सके हैं। उन्होंने कहा कि आज आजादी के 67 साल के बाद भी जो इस देश की महिला विरोधी स्थिति है, उसी से खाप पंचायतों के कुकर्म, साम्प्रदायिक दंगों में महिलाओं के अमानवीय हालात, कुपोषण, अशिक्षा, अंधविश्वास, लिंग भेद, दहेज हत्याएं, मजदूरी में असमानता व हिंसा की शिकार हो रही है। ऐसे में महिलाओं को अपने अधिकार पाने के लिए संघर्ष करना ही होगा।
प्रदेश उपाध्यक्ष श्रीकान्ता श्रीमाली, उपाध्यक्ष मंजू सिंघवी ने कहा कि सरकार की जनविरोधी व समाज के दुश्मन मुनाफाखोर, जमाखोर हित की नीति के कारण देश में लगातार महंगाई बढ़ती जा रही है, जिससे आम जनता में सबसे ज्यादा पीडा महिलाएं भोग रही है और महिलाओं में कुपोषण बढ़ रहा है तथा असमय मौते हो रही है। उन्होंने राज्य सरकार से सार्वभौम खाद्य सुरक्षा कानून लागू कर हर परिवार को कम से कम 35 किलो अनाज 2/-रूपये प्रति किलो की दर से और तेल, दाले, शक्कर, चाय आदि जैसी आवश्यक खाद्य सामग्री सस्ते दाम पर केरल पेटर्न लागू करने की मांग भी की। मंजू सिंघवी ने उदयपुर शहर में बेघरबार एवं किरायेदार परिवारों के लिए आवास अथवा न्यूनतम दरों पर प्लॉट उपलब्ध कराने एवं महिला थाने को शहर के बीच स्थापित करने की भी मांग की।
सभा को पूर्व पार्षद गणपति देवी सालवी, उपाध्यक्ष रूकमणी देवी, केसर बाई, सईदा बेगम, लाली वैष्णव, राजकुमारी जैन, सुमन गमेती, रीना खत्री, मोहनी माली, गणेशी देवी, भूरी बाई हरिजन आदि ने भी सम्बोधित किया। सभा में मौजूद सैकड़ों महिलाएं हम भारत की नारी हैं, फूल नहीं चिंगारी हैं, आधी दुनिया नारी है, फिर ये क्यों बेचारी है, हम अपना अधिकार मांगते, नहीं किसी से भीख मांगते, इंकलाब जिंदाबाद, नारी समानता जिंदाबाद आदि नारे लगा रही थीं।