पद्मश्री डॉ. एसआर रंगनाथन की जयंती पर स्मरण
उदयपुर। जनार्दनराय नागर राजस्थान विद्यापीठ विश्वविद्यालय के केन्दीय पुस्तकालय में बुधवार को पदम्श्री भारत में पुस्तकालय विज्ञान के जनक डॉ. एसआर रंगनाथन की 123वी जयंती पर पुष्पांजलि अर्पित कर याद किया गया।
रजिस्ट्रार प्रो. सीपी अग्रवाल ने कहा कि भारत में पुस्तकालय विज्ञान की आधारशीला रखी। रंगनाथन ने पुस्तकालय के पांच सुत्र, द्विबिन्दु वर्गीकरण पद्धति, वर्गीकृत सूचि व पुस्तकालय संगठन के सिद्धांत किये साथ ही पुस्तकालय जगत में संदर्भ सेवाओं, सूचियों का निर्माण करवाया व 1947 में पुस्तकालय विज्ञान का डिप्लोमा कोर्स शुरू करवाया। पाठ्यक्रम में देखने में नहीं आया जबकि शिक्षण संस्थाओं को खोलने हेतु सबसे पहले पुस्तकालय का उल्लेख होता है तत्पश्चात खेल मैदान एवं प्रयोगशालाओं का जिक्र होता है क्योकि पुस्तकालय शिक्षा केन्द्रों के हद्धय स्थल होते हैं। निदेशक डॉ़. मनीष श्रीमाली ने बताया कि मनुस्मृति में पुस्तकालय व्यवस्था में सर्वप्रथम बताया गया है। डॉ. रंगनाथ ने भारत में स्कूल ऑफ लाइब्रेरी साइंस की स्थापना की। इस अवसर पर पुस्तकालयध्यक्ष डॉ. घनश्याम सिंह भीण्डर, किशन सिंह राव सहित छात्र-छात्राएं उपस्थित थे।
लाइब्रेरियन डे मनाया गया : मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय के पुस्तकालय और सूचना विज्ञान विभाग में लाइब्रेरियन डे मनाया गया। विभाग के प्रभारी श्रीराम पाण्डेय ने बताया कि विद्यार्थियों ने डा. रंगनाथन के व्यक्तित्व और कृतित्व की चर्चा की। पुस्तकालय-विज्ञान और आधुनिक प्रगति को सुव्यस्थित रूप से लोक मानस तक पहुँचाने में डॉ. रंगनाथन का अद्वितीय योगदान है।