आठ दिन तक बहेगी धर्मगंगा
उदयपुर। श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा के पर्यूषण गुरुवार से आरंभ होंगे। इन आठ दिनों में धर्म की गंगा बहेगी।
तेरापंथी सभाध्यक्ष राजकुमार फत्तावत ने बताया कि गुरुवार से आरंभ होने वाले पर्यूषण पर्व में प्रतिदिन 9.30 से 11 बजे तक व्याख्यान होगा। इस दौरान प्रतिदिन तीन सामायिक, दो घंटे मौन, एक घंटा स्वाध्याय, नौ द्रव्यों से अधिक खाने का त्याग, जमीकंद का त्याग, ब्रह्चर्य का पालन, श्रमणोपासक साधना का पालन, जप में संभागी बनने, रात्रि भोजन का परित्याग तथा आधा घंटा ध्यान एवं एक घंटा जप प्रयोग किए जाएंगे।
फत्तावत ने बताया कि पहले दिन खाद्य संयम दिवस, स्वाध्याय, सामायिक, वाणी संयम, अणुव्रत चेतना, जप, ध्यान दिवस तथा 17 सितम्बर को संवत्सरी महापर्व मनाया जाएगा। 18 सितम्बर को खमतखामणा (मैत्री दिवस) के रूप में मनाया जाएगा। सभी कार्यक्रम अणुव्रत चौक स्थित तेरापंथ भवन में शासन श्री मुनि राकेश कुमार एवं सहवर्ती संतों मुनि सुधाकर एवं मुनि दीप कुमार के सान्निध्य में होंगे।
तेरापंथ युवक परिषद के अध्यक्ष दीपक सिंघवी ने बताया कि पर्यूषण के दौरान कनिष्ठ एवं वरिष्ठ वर्गों में रात्रिकालीन स्पर्धाएं होंगी। इसके तहत पहले दिन गुरुवार को भाषण, एकल गीत, आध्यात्मिक खुला प्रश्न मंच, जैन हाउजी, समूह गीत, कौन बनेगा धर्मवान एवं 16 सितम्बर को अन्त्याक्षरी का आयोजन होगा। सभी कार्यक्रम शाम को प्रतिक्रमण के बाद होंगे। पर्यूषण कार्यक्रम का संयोजक विनोद माण्डोत को बनाया गया है। सिंघवी एवं मंत्री अजीत छाजेड़ कार्यक्रम के सफल संचालन में सहयोगी होंगे। प्रतिदिन होने वाली स्पर्धाओं के लिए अलग अलग संयोजकीय दायित्व सौंपे गए हैं।
पर्यूषण मे नियमित जप, धर्म करें : श्रद्धांजना श्रीजी
साध्वी श्रद्धांजना श्रीजी ने कहा कि पर्वाधिराज पर्यूषण गुरुवार से आरंभ हो रहे हैं। सामायिक, प्रतिक्रमण, नवकार महामंत्र का जाप आदि नियमित धर्म करें ओर पुण्योदय का लाभ लें। वे बुधवार को वासुपूज्य मंदिर में चातुर्मासिक प्रवचन के तहत धर्मसभा को संबोधित कर रही थीं। उन्होंने कहा कि पर्यूषण के दौरान पौषध करें। अगर पौषध नहीं कर सकें तो एकासन अवश्य करें। आठ दिन तक हिंसा का पूर्ण रूप से न सिर्फ त्याग करें बल्कि ध्यान रखें कि अनजाने में भी कहीं हिंसा नहीं हो जाए, तभी पुण्य कर सकेंगे। पाप तो सुबह से शाम तक करते हैं लेकिन इसके लिए प्रतिक्रमण करना चाहिए। परमात्मा ने जो कार्य नहीं करने को कहे, वे तो सभी करते हैं। करेंगे तो दण्ड भी भुगतना पड़ेगा। सामायिक और प्रतिक्रमण का नियम बरकरार रखें। अनजाने में हुई गलती का दोष नहीं लगता लेकिन अगर जानते बूझते भी गलती करेंगे तो दोष भी लगेगा और उसका दण्ड भी भुगतना पड़ेगा। पर्यूषण के इन आठ दिनों में नहाते समय सिर्फ पानी का इस्तेमाल करें। साबुन से न नहाएं। ट्रस्ट के प्रतापसिंह चेलावत ने बताया कि गुरुवार को पर्यूषण के पहले दिन सुशीला-गजेन्द्र भंसाली, उषा-नरेन्द्र एवं निपिका-दीपक भंसाली की ओर से प्रभावना वितरित की जाएगी वहीं आंगी की भक्ति प्रवीणा बेन मणिलाल डागा परिवार की ओर से की जाएगी। पर्यूषण के समस्त कार्यक्रम पूज्य साध्वी व्याख्यात्री हेमप्रभा श्रीजी मसा की शिष्या साध्वी श्रद्धांजना श्रीजी के सानिध्य में होंगे।
व्यर्थ नहीं गंवाए दुर्लभ जीवन : विजय सोमसुंदर सूरि
हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि 84 लाख योनियों में भटक कर हमें दुर्लभ अच्छे कुल में जन्म मिला है जिसे हमें व्यर्थ नहीं गंवाना है। आचार्य विजय सोमसुंदर सूरि मसा ने शांति सोमचंद्र सूरि आराधना भवन सेक्टर 4 में धर्मसभा में ये विचार व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि पर्यूषण पर्व पर प्रत्येक धर्मावलम्बी को यथासंभव जीव दया, साधर्मिक वात्सल्य, अट्ठम तप, सभी जीवों से क्षमापना एवं चैत्यों के दर्शन वंदन अवश्य करने चाहिए। साथ ही उपवास, आयम्बिल, सामायिक, प्रतिक्रमण, पूजन, पौषध आदि धार्मिक क्रियाएं शुद्ध अंत:करण से एवं विधिपूर्वक कर पापों का प्रायश्चित इन दिनों में करना चाहिए।