स्वर्ण जयन्ती पर की घोषणा
50 साल में विश्वि की अग्रणी जस्ता-सीसा कंपनियों में शामिल
उदयपुर। भारत का एकमात्र एवं विश्वे का एकीकृत जस्ता-सीसा-चांदी उत्पादक वेदान्ता समूह की हिन्दुस्तान ज़िंक 10 जनवरी को अपनी स्वर्ण जयन्ती के 50 स्वर्णिम वर्ष पूरे कर रहा है। इस अवसर पर जिंक अगले चरण में खदानों एवं स्मेल्टर्स के विस्तार एवं विकास तथा नया संयंत्र स्थापित करने के लिए आठ हजार करोड़ रुपए का निवेश करेगी।
हिन्दुस्तान जिंक सभी प्रचालनों के विस्तार की प्रक्रिया को देखते हुए 3 से 5 वर्षों में वर्तमान अयस्क उत्पादन स्तर 9.36 लाख टन से 14 लाख टन तथा धातु उत्पादन का स्तर 0.85 लाख टन से 1.10 लाख टन तक बढ़ाने की विस्तार योजना बना रहा है।
हिन्दुस्तान जिंक की राजस्थान में रामपुरा आगुचा, सिन्देसर खुर्द, जावर, राजपुरा दरीबा एवं कायड़ में खदानें स्थित हैं तथा राजस्थान में ही दरीबा, चन्देरिया एवं देबारी में कंपनी के स्मेल्टर्स स्थित हैं। हिन्दुस्तान जिंक का 10 जनवरी, 1966 को गठन हुआ था। वेदान्ता समूह के चेयरमैन अनिल अग्रवाल ने भारत में जिंक की पर्याप्त उपलब्धता पर खुशी व्यक्त करते हुए कहा कि वर्ष 2002 में विनिवेश कार्यक्रम के तहत जब हमने हिन्दुस्तान ज़िक का अधिग्रहण किया। हमारा एकमात्र लक्ष्य भारत को जस्ता में आत्मनिर्भर बनाना था। उन्होंने कहा कि हमें गर्व है कि कंपनी आधुनिक पर्यावरण अनुकूल तकनीक, क्षमता विस्तार एवं निरंतर खोज कर, बड़े निवेश द्वारा, पांच गुना उत्पादन बढ़ाने में सक्षम रही है तथा इसके पश्चात भी कंपनी के पास 30 से अधिक वर्षों के लिए प्राकृतिक संसाधनों के भंडार उपलब्ध है।
प्रेसीडेन्ट (ग्लोबल बिजनेस जिंक) अखिलेश जोशी ने बताया कि पिछले वर्षों में 12,000 करोड़ रुपये का निवेश कर हिन्दुस्तान जिंक ने न सिर्फ परिसम्पत्तियों का विकास किया है बल्कि शेयरधारकों को भी लाभ पहुंचाया है। विनिवेश के समय हिन्दुस्तान जिंक के पास कैप्टिव पावर और पवन ऊर्जा फार्म नहीं थे। आज हिन्दुस्तान जिंक 474 मेगावाट कैप्टिव थर्मल पावर तथा 274 मेगावाट पवन ऊर्जा का उत्पादन कर रहा है। जोशी ने भारत सरकार, राजस्थान सरकार व हिन्दुस्तान जिंक वर्कर्स फेडरेशन को धन्यवाद दिया, जिनके सहयोग से हिन्दुस्तान जिंक आज विश्व स्तरीय कंपनी है।
हिन्दुस्तान जिंक के मुख्य कार्यकारी अधिकारी सुनील दुग्गल ने बताया कि ‘‘यद्यपि भारत में जस्ते का खनन 2500 वर्ष से अधिक पुराना है, उदयपुर से लगभग 45 किलोमीटर दूर जावर में खनन के प्रचीन रिटार्टस अब भी देखे जा सकते है। भारत में जस्ते धातु के उपयोग के बारे मं अधिक जानकारी नहीं थी। अभी भी हम नये क्षेत्रों की खोज कर रहे हैं जो उपभोक्ताओं को जोड़ने एवं देश के सकल घरेलू उत्पाद को बढ़ाने में सहायक होगा। हम गेल्वेनाइजिंग की अन्य संभावनाओं को तलाश रहे हैं। इसमें से कार बॉडी एवं संरचानाओं में गेल्वेनाइजिंग का उपयोग शामिल है। इससे आम जनता को भरपूर लाभ होगा।‘‘
हिन्दुस्तान जिंक के मुख्य वितीय अधिकारी अमिताभ गुप्ता ने हिन्दुस्तान जिंक की वित्तीय सुदृढ़ता पर प्रकाश डालते हुए बताया कि हिन्दुस्तान जिंक सरकारी खजाने में भी उल्लेखनीय योगदान दे रही है। यह योगदान वर्ष 2002 में 364 करोड़ रुपये से बढ़कर 2014-15 में 5,000 करोड़ रुपये हो गया है। कंपनी के कारोबार में भी महत्वपूर्ण परिवर्तन आया है। वर्ष 2002 में कंपनी का करोबार 1,200 करोड़ रुपये था वह वर्ष 2014-15 में बढ़कर 14,500 करोड़ रुपये हो गया है। कंपनी के लाभ में भी अप्रत्याशित वृद्धि हुई है। वर्ष 2002 में कंपनी का लाभ 68 करोड़ रुपये था वह वर्ष 2014-15 में बढ़कर 8,178 करोड़ रुपये हो गया है।
हिन्दुस्तान जिंक के सफलतम प्रोजेक्ट्स के बारे में जानकारी देते हुए नवीन सिंघल डायरेक्टर (प्रोजेक्टस) ने बताया कि वर्ष 2002 में कंपनी में एक नया मोड़ आया जब सरकार द्वारा विनिवेश कार्यक्रम के तहत स्टरलाईट ने हिन्दुस्तान जिं़क का अधिग्रहण किया। तब से कंपनी के उत्पादन में कई गुना वृद्धि हुई है। कंपनी की वार्षिक धातु उत्पादन क्षमता 2002 में लगभग 200,000 टन थी जो आज 10,00,000 टन पार कर चुकी है। वार्षिक खदान उत्पादन क्षमता 2002 में 3.45 मिलियन टन थी जो बढ़कर आज 10.25 मिलियन टन हो गयी है।
संसाधन एवं भण्डार जो वर्ष 2002 में 143.7 मिलियन टन थे वह 14 वर्ष पश्चात्, भण्डारों के सतत् उपयोग होने के बावजूद भी 375.1 मिलियन टन संसाधन एवं भण्डार मौजूद है। कंपनी के अन्वेषण पर फिलोसाफी के अनुसार अयस्क खदान के प्रत्येक टन के बराबर रिजर्व रखा जाता है। हिन्दुस्तान जिंक एक नया फर्टीलाईजर प्लांट की स्थापना पर विचार कर रहा है जिसमें अनुमानित 1,350 करोड़ रुपये की लागत आयगी तथा यह फर्टीलाईतर प्लांट 0.5 लाख टन वार्षिक उत्पादन क्षमता का डाई अमोनियम उर्वरक प्लांट होगा। इस प्लांट को उदयपुर जिले के देबारी में स्थापित करने पर विचार कर रहा है। हिन्दुस्तान जिंक 3 से 5 वर्षों में अपनी खदानों एवं स्मेल्टर्स के विस्तार के लिए 8,000 करोड़ रुपये का निवेश करेगा।