विद्यापीठ में भूगोल सेमिनार में पर्यावरणविदों का मानना, स्मार्ट के लिए सबसे ज्यादा जरूरी है जनसहभागिता
उदयपुर। जल प्रबंधन को लेकर स्मार्ट कंसेप्ट आज से कई दशकों पहले तत्कालीन रियासतों के राजा महाराजाओं ने लागू कर दिया था। उदयपुर में झीलों का मैनेजमेंट कई सालों पुराना भले ही है, लेकिन इसकी सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि यहां के वाटर मैनेजमेंट में पानी की हर एक बूंद को बचाने पर फोकस किया गया था।
यह बात विद्यापीठ के श्रमजीवी कॉलेज के भूगोल विभाग द्वारा पर्यावरण प्रबंधन पर आयोजित दो दिवसीय राष्टीय सेमिनार के समापन पर जुटे देश विदेश के पर्यावरण विशेषज्ञों ने कही। इस अवसर पर सीईपीटी अहमदाबाद की हेड प्रो अंजना व्यास ने स्मार्ट सिटी पर कहा कि स्मार्ट सिटी की दिशा में सरकार राशि का आबंटन कर सकती है, लेकिन उसे सहेजने और उसके अनुरूप बने रहने के लिए जनसहभागिता सबसे आवश्यक है। उन्होंने कहा कि गुजरात में स्मार्ट सिटी के छोटे छोटे कंसेप्ट को अपनाया गया है, लेकिन उसमें कहीं न कहीं जनता का जुडाव रखा गया है, ताकि जनता इस बदलाव को समझे तथा उसे प्रबंधकिय फायदों के लिए सहयोग भी करे। समापन समारोह की अध्यक्षता करते हुए रजिस्टार प्रो सीपी अग्रवाल ने कहा कि पर्यावरण प्रबंधन के लिए भी सबसे पहले मैकेनिज्म तैयार करना होगा। इसमें सरकार के साथ साथ जनता की जिम्मेदारी भी तय करनी होगी। कारण, यह है कि इन छोटे छोटे मैकेनिज्म से आगामी समय में बडा परिणाम देखने को मिल सकता है। इसके लिए पर्यावरण विशेषज्ञों से समय समय पर विचार विमर्श भी किया जाना चाहिए। सरकारी स्तर पर तो पर्यावरण संतुलित करने को लेकर सर्वे कार्यो को जोडा जाना चाहिए, ताकि इससे संबंधित आंकडे हमारे पास हर समय तैयार मिले। आस्टलिया से आई प्रो सूजेन ने कहा कि जनसंख्या के अनुपात में स्वास्थ्य और सेनिटेशन भी महत्वपूर्ण हो जाता है। इससे मानव स्वास्थ्य तो संतुलित रहता ही है, साथ ही हम पर्यावरण को भी अपशिष्ट से होने वाले दुष्परिणामों से बचा सकेंगे। गांवों की स्थिति आज भी किसी से छीपी नहीं है। वहां जनसंख्या के मुकाबले शौचालयों की संख्या कम है। इसके चलते खुले में ही शौच आदि से परेशानी होती है।
कांफ्रेंस चेयरमेन प्रो प्रदीप पंजाबी ने पर्यावरण में हो रहे असंतुलन और ग्लोबल वार्मिंग पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि वर्तमान में समय आ गया है कि हम इन स्थितियों को समझे और पर्यावरण को संतुलित करने में सहयोग करे। प्रारंभ में आयोजन सचिव प्रो आरपी नारानीवाल ने दो दिन की इस सेमिनार का प्रतिवेदन पेश किया। संयोजक प्रो सुनिता सिंह ने स्वागत भाषण दिया। समापन समारोह में डॉ. युवराजसिंह राठौड., डॉ पंकज रावल सहित शोधार्थियों ने विचार व्यक्त किए। संचालन डॉ राजेश शर्मा ने किया तथा धन्यवाद प्रो एलआर पटेल ने ज्ञापित किया। बताया गया कि इस सेमिनार में विभिन्न समानांतर स़त्रों में 153 प़त्रों का वाचन किया गया।