विद्यापीठ में देश-विदेश के फीजियोथैरेपिस्ट ने किया गहन मंथन
उदयपुर। चिकित्सा एवं स्वास्थ्य आपस में जुडकर आमजन को निरोगी रख सकती है। वर्तमान में सस्ता, सुलभ और समान चिकित्सा के नए क्षेत्र सामने आए हैं, लेकिन आज भी बड़ा तबका स्वास्थ्य सेवाओं से वंचित है।
यह बात शिक्षा राज्य मंत्री वासुदेव देवनानी ने रविवार को जनार्दनराय नागर राजस्थान विद्यापीठ विश्वविद्यालय के फीजियोथैरेपी चिकित्सा महाविद्यालय के तीन दिवसीय अंतरराष्टीय सेमिनार के समापन पर कही। उन्होंने कहा कि वर्तमान में आरामदायक जीवन शैली और खानपान में बदलाव का परिणाम है कि उन्हें बीमारियां घेर लेती है। देर रात तक जागना और सुबह देर तक उठना भी इसका मुख्य कारण है। उन्होंने कहा कि जनार्दनराय नागर ने मेवाड़ राज में शिक्षा की नींव डाली थी। अध्यक्षता करते हुए कुलपति प्रो एसएस सारंगदेवोत ने कहा कि वर्तमान की भागदौड़ भरी जिंदगी में हर कदम पर चिकित्सा की आवश्यकता होती है। इस दिशा में फिजियोथैरेपी भी एक ऐसी पदति हैं जिसमें बिना किसी साइड इफेक्ट रोगी को तुरंत आराम मिल जाता है। सेमिनार में आए विशेषज्ञों की मानें तो इस पद्धति में काफी संभावनाएं हैं, जो चिकित्सा क्षेत्र में विस्तार और विकास के लिए उपलब्धि है। विशिष्ट अतिथि एवं रजिस्ट्राार प्रो सीपी अग्रवाल ने कहा कि फिजियोथैरेपी की ग्रामीण क्षेत्रों मे महती आवश्यकता है।
इस अवसर पर डॉ उमाशंकर मोहंती, डॉ अंजनी कुमार, डॉ संजीव तोमर, डॉ आनंद मिश्रा, डॉ शैलेंद्र मेहता, डॉ एसबी नागर, डॉ सुनीता ग्रोवर, डॉ विनोद नायर आदि ने भी विचार व्यक्त किए। तकनीकी प्रभारी डॉ एसबी नागर ने बताया कि सेमिनार में चयनित 267 शोध प़त्रों का वाचन किया गया। सांस्कृनतिक सचिव डॉ. प्रज्ञा भट्ट ने बताया कि वाद विवाद, पोस्टर, रंगोली, समूह डांस व मेहंदी में विजेताओं को पुरस्कत किया गया। संचालन डॉ. अर्जुनसिंह तंवर, आरूषी टंडन व रूचिका राव ने किया। धन्यवाद डॉ एसबी नागर ने ज्ञापित किया। सेमिनार में देश-विदेश के 50 युवा फिजियोथैरेपिस्ट को प्रशंसा पत्र व प्रतीक चिन्ह देकर सम्मानित किया गया।