udaipur. महाशिवरात्रि पर्व पर इस बार 1955 के बाद पहली बार ऐसा संयोग बना कि फाल्गु्न कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी, श्रवण नक्षत्र और योग अमृत। इसमें भी विशेष यह कि सोमवार..। वैसे प्रति 10 वर्ष बाद श्रवण नक्षत्र और अमृत सिद्धि का योग बना है।
इन सभी संयोगों के कारण ही इस बार महाशिवरात्रि का महत्व काफी बढ़ गया। शिव मंदिरों में सुबह से श्रद्धालुओं की काफी भीड़ रही। मेवाड़ के आराध्य कैलाशपुरी स्थित एकलिंगजी कई भक्तय पैदल पहुंचे और घंटों कतार में खडे़ रहकर दर्शन किए। रात्रि को निकले कई पदयात्री सुबह पहुंचे भक्तों ने जयकारे लगाए। पदयात्रियों ने मंगला के दर्शन किए।
शहर के नीलकंठ, हजारेश्वोर, महाकाल, गुप्तेवश्वधर, नांदेश्वथर, तनेश्वंर, झामेश्वंर महादेव सहित अन्य शिवालयों में बिल्व-पत्र से आकर्षक पूजा-अनुष्ठान हुए। शिवजी का जल और दुग्ध से अभिषेक किया गया। तीतरड़ी स्थित होड़ा पर्वत पर गुफा मंदिर में गुप्तेश्वर महादेव मंदिर में सुबह 7 बजे आरती हुई। फिर भजन-कीर्तन हुए।