महाप्रज्ञ विहार में तप अनुमोदना समारोह
उदयपुर। तप यानी अपने कर्मों की निर्जरा करना है। तप का अर्थ मुक्ति का मार्ग है। तप करना, तप कराना और उसकी अनुमोदना करना यानी तीनों तरह के व्यक्तियों के कर्मों की निर्जरा होती है।
श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा की ओर से महाप्रज्ञ विहार के नवनिर्मित महाश्रमण सभागार में आयोजित तप अनुमोदना समारोह में मुनि यशवंत कुमार के 12 के तपों की अनुमोदना में आयोजित समारोह में विभिन्न वक्ताओं ने ये विचार व्यक्त किए। इसी के साथ तेरापंथ भवन में साध्वी कीर्तिलता की प्रेरणा से वीनू पुत्री सुनील चपलोत के 9 तप की भी निवर्तमान अध्यक्ष राजकुमार फत्तावत एवं महिला मंडल अध्यक्ष चन्दा बोहरा ने अनुमोदना की।
महाप्रज्ञ विहार में चातुर्मासरत मुनि धर्मेश कुमार ने कहा कि तप की भावना मन से होनी चाहिए। आत्म बल मजबूत हो तो मासखमण भी हो सकता है। कहना बहुत सरल है लेकिन करना फिर भी कठिन है। बाह्य तप के साथ आंतरिक तप अनुप्रेक्षा, कायोत्सर्ग भी करें। तपस्या से बीमारियां कट जाती हैं, यह मेरा निजी अनुभव भी है।
मुनि डॉ. विनोद कुमार ने कहा कि यदि कोई कर्म करता है तो उसके कर्मों की निर्जरा होती है लेकिन यदि कोई तप कराता है तो उसके भी कर्मों की भी निर्जरा होती है। प्रोत्साहन देना, अनुमोदना करना भी इसी कड़ी में आता है। कर्म बंधन और कर्म निर्जरा का यह मौलिक फार्मूला जैन समाज में है।
तपस्वी मुनि यशवंत कुमार ने कहा कि साधना का अर्थ अपने कर्मों की निर्जरा करना है। 17 वर्षों तक एक उपवास भी नहीं किया लेकिन जब उसके बाद सिलसिला आरंभ हुआ तो फिर रूका नहीं। तीन बार अठाई भी हो गई। बैले, तैले, पंचोले आदि कई किए। धर्म के प्रति जब व्यक्ति आकृष्ट हो जाता है तो फिर तपस्या करनी नहीं पड़ती, स्वतः हो जाती है।
सभा के निवर्तमान अध्यक्ष राजकुमार फत्तावत ने कहा कि चातुर्मास की रणभेरी बज चुकी है। वर्ष 2007 के बाद पहली बार किसी चारित्रात्मा ने 12 उपवास की तपस्या की है। कर्मों की निर्जरा करने का सर्वोत्तम साधन तप है। अगर तप बढ़ेगा तो निश्चय ही तप अनुमोदना के लिए भव्यातिभव्य कार्यक्रम होगा। इस समय उदयपुर में करीब 65 चारित्रात्माएं विराजित हैं। उन्होंने सम्पूर्ण समाज की ओर से तपस्वी मुनि यशवंत कुमार के 12 के तप की अनुमोदना की। इस पर समूचा महाश्रमण सभागार अनुमोदना की गूंज से गूंज उठा।
तेरापंथ युवक परिषद के अध्यक्ष राकेश नाहर ने कहा कि मुनि श्री अपने आध्यात्मिक लक्ष्य की ओर उत्तरोत्तर प्रगति करें। पुखराज कटारिया ने गीतिका व गोपीलाल लोढ़ा ने गीत प्रस्तुत किया। राकेश चपलोत ने तप की शक्ति महान गीत की मधुर प्रस्तुति दी। महिला मंडल अध्यक्ष चन्दा बोहरा ने भी विचार व्यक्त किए। समारोह में बजरंग सामसुखा पार्टी ने सुमधुर गीत प्रस्तुत किया। मंगलाचरण शशि चव्हाण ने प्रस्तुत किया वहीं महिला मंडल की महिलाओं ने गीतिका प्रस्तुत की। आभार दीपक सिंघवी ने व्यक्त किया।