स्कूली बच्चों को भारी बैग उठाने से हो सकती स्कोलियोसिस की समस्या
उदयपुर। किसी घर में बेटी का पैदा होना एक अभिशाप माना जाता है। ऐसे में अगर पैदा होने वाली लड़की के कूबड़ेपन की समस्या हो जाए तो यह उसके लिए जन्मजात अभिषाप बन जाता है और इसी जन्मजात अभिशाप से माफीकुंवर को मुक्ति दिलाई पेसिफिक मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल ने।
जालोर के अजीतपुरा की रहने वाली 10 वर्षीय माफीकुंवर को जन्म से ही कुबड़ेपन की समस्या से परेशान थी। परिवार वालों ने कई जगह दिखाया लेकिन महंगे इलाज और गरीबी के चलते इलाज कराना सम्भव नहीं था। परिवार वाले उसे पेसिफिक हॉस्पीटल लेकर आए जहां माफी कुंवर को ज्वा इंट एवं स्पाइन सर्जन डॉ. सालेह मोहम्मद कागजी को दिखाया तो जांच करने पर उसे स्कोलियोसिस-काइफोसिस की बीमारी से ग्रसित पाया जिसका कि ऑपरेशन से ही इलाज सम्भव था। लगभग तीन घण्टे तक चले इस सफल ऑपरेशन को अंजाम दिया जोइन्ट एवं स्पाइन सर्जन डॉ.कागजी ऐनेस्थेटिक डॉ.प्रकाश औदित्य, डॉ.समीर गोयल, सुभाष और बृजेश भारद्वाज की टीम ने। इस ऑपरेशन में माफीकुंवर के रीढ़ की हड्डी में रॉड डालकर कुबड़ेपन (टेढ़ापन) को खत्म करने में सफलता हासिल की। माफी कुंवर अब बिलकुल सही है और एक सामान्य नागरिक की तरह आत्मविश्वास के साथ जिन्दगी जी सकती हैं।
डॉ. कागजी ने बताया कि भारतवर्ष में इस तरह की कमर की विकलांगता काफी प्रचलित है लेकिन जटिल ऑपरेशन एवं महंगे खर्च की वजह से इससे निजात पाना मुश्किल होता है क्यू कि इस तरह के ऑपरेशन पर लगभग दो से ढाई लाख रूपए तक का खर्चा आता है, लेकिन पेसिफिक हॉस्पिटल के चेयरमैन राहुल अग्रवाल के इलाज में मदद करने से माफी कुंवर को नई जिन्दगी मिली सकी।