मोबाइल ने बढ़ाई परिवार में दूरियां
उदयपुर। परिवार यूं भी हमारे जीवन की धूरी हुआ करते हैं। यहीं ये हमें संस्कार जीवन मूल्य, ऊर्जा शिक्षा शांति और भावात्मक आधार ग्रहण करते हैं आज भले ही अपनी भौतिक जरूरत पूरी कर लें लेकिन भावात्मक जरूरत सुरक्षा, शांति और अपना पर प्रेम हमें परिवार से ही मिलता है।
उन्होंने कहा कि आज के डिजिटल युग में मोबाइल ने परिवार के बीच में दूरियां बढा दी। आज मूल्यपरक शिक्षा की जरूरत है जो शांति, प्रेम, प्रार्थना, ज्ञान, संगीत तथा सत्य की प्रेरणा दे। ये विचार बुधवार को जैनाचार्य डॉ. शिवमुनि जनार्दन राय नागर राजस्थान विद्यापीठ विश्वविद्यालय में विद्यार्थियों को मूल्य शिक्षा एवं ध्यान पर आयोजित एक दिवसीय कार्यशाला में व्यक्त किये। उन्होंने कहा कि प्रत्येक मनुष्य में शिवत्व, महावीरत्व एवं बुद्वत्व मौजूद है वर्तमान के आपाधापी युग में मनुष्य तनावग्रस्त और बेचैन है। छात्र परीक्षाओं, ग्रहस्थ पति पत्नी पारिवारिक कारणों से तनाव में रहता है इन तनावों से मुक्ति का उपाय ध्यान मत करो ध्यानस्थ हो जाओ के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि वर्तमान में छात्रों में गुरूकुल पद्वति से शिक्षा दी जानी चाहिए।
अध्यक्षता करते हुए कुलपति प्रो. एस.एस. सारंगदेवोत ने कहा कि समाज, राज्य और देश की सभी समस्याओं का हल शिक्षा से ही सम्भव है। शिक्षा का दायित्व केवल शिक्षक पर न होकर परिवार, समाज एवं देश के प्रत्येक नागरिक पर है। जब ये चारों कड़ियां मिलेगी तब ही शिक्षा व्यवस्था का उन्नत रूप निखरेगा। वर्तमान शिक्षा को रोजगारपरक शिक्षा के साथ-साथ भारतीय सभ्यता एवं संस्कृति व संस्कार से जोड़ने की बात कही । प्रारम्भ में स्वागत उद्बोधन समाजसेवी भंवर सेठ ने दिया। संत शुभम मुनि ने शिक्षा तथा संस्कार पर गीत प्रस्तुत किया। संत शिरिश मुनि ने शिक्षा को नैतिक मूल से जोड़ने की बात कही। संचालन डॉ. धीरज प्रकाश जोशी एवं धन्यवाद रजिस्ट्रार प्रो. मुक्ता शर्मा ने दिया। कार्यशाला में विद्यापीठ के अधिष्ठाता, अधिकारी, विद्यार्थी एवं शहर के प्रबुद्व जन मौजूद थे।