उदयपुर। छोटे बच्चे जब अपने बाल या नाखून खातें है तो मां कहती हैं कि बेटा मत खा नहीं तो तेरे पेट में इसका पेड़ उग जाएगा और ऐसा ही कुछ हुआ है सातवीं कक्षा में पडनें वाली डिम्पल के साथ।
14 वर्षीय इस छात्रा ने अक्टूबर 2016 से अपनी साथ पढ़ने वाली छात्रा को देख कर सिर के बाल और नाखून खाना शुरू किया और यह रोज अपने सिर से सात से दस बालों के साथ साथ हाथ और पैरों के नाखूनों को रोज तोड कर खा जाती थी। यह सिलसिला लगातार जारी था क्योकि घरवालों को इसकी इस आदत का पता ही नहीं था। लेकिन दो माह पहले इस लडकी को पेटदर्द के साथ ही भूख लगना बंद हो गया था। घर वालों नें इसे डॉक्टरों को दिखाया लेकिन कोई फायदा नही हुआ और यह समस्या दिनोंदिन बढ़ने लगी तो परिजन इसे भीलों का बेदला स्थित पेसिफिक हॉस्पीटल लेकर आए जहॉ इन्होने इसे सर्जन डॉ. गौरव वधावन को दिखाया तो सीटी एम.आर में जांच करने पर आमाशय में बालों की गांठ का पता चला जिसका ऑपरेशन से ही इलाज सम्भव था।
परिजनों की आर्थिक स्थिति को देखतें हुए पीएमसीएच के चैयरमैन राहुल अग्रवाल ने लडकी की न केवल सभी जांचें बल्कि सर्जरी भी निशुल्क कराई। सर्जरी विभाग के डॉ. गौरव वधावन ने बताया कि ऑपरेशन के दौरान लड़की के पेट से लगभग डेढ़ किलो बालों की गांठ को निकाला जिसने पूरे आमाषय में समाकर उसे पांच गुणा फुलाकर बडा कर रखा था साथ ही कुछ बाल पूंछ की तरह छोटी आंत में जा रखे थे। इसे मेडीकल कि भाषा में ट्राईको बेजार कहते है। यह एक साइकेट्रिक बीमारी की बजह से होती है,और बहुत कम लोगों में देखने को मिलती है। इस सफल ऑपरेशन को सर्जन डॉ. गौरव वधावन, डॉ. प्रकाश औदित्य, डॉ. घनश्याहम पाल, डॉ. कोमल सोनी, अजय चौधरी, बृजेश, बिन्दू, हेमन्त, एवं संदीप की टीम ने अंजाम दिया।