धनतेरस पर हुई नाकोड़ा भैरव की भव्य आरती
udaipur. शहर की सुख-समृद्धि एवं खुशहाली की कामना को लेकर अशोक नगर नाकोड़ा धाम में रविवार को धनतेरस पर संतों के सानिध्य में संगीतमय नाकोड़ा भैरव की भव्य आरती की गई। शनिवार शाम एक शाम नाकोड़ा भैरव के नाम आयोजित की गई।
प्रतिवर्ष की भांति धनतेरस पर नाकोड़ा पार्श्वईनाथ ज्योतिष संस्थान में ज्योतिषाचार्य कांतिलाल जैन के सान्निध्य में नाकोड़ा धाम पर भगवान पार्श्वभनाथ एवं नाकोड़ा भैरव की अमृतवेला में धनतेरस पर 108 दीपक की भव्य आरती की गई। इस आरती में नगर के जन प्रतिनिधि, राजनेता, उद्योगपति, समाजसेवी सहित सैंकड़ों लोगों ने शिरकत की। आरती के बाद पूरा धाम नाकोड़ा भैरव के जय-जयकारों से गूंजायमान हो गया। इससे पूर्व आयोजित समारोह में राष्ट्र संत गणेश मुनि, उपप्रवर्तक जिनेन्द्र मुनि, श्रमण संघीय सलाहकार दिनेश मुनि, डॉ. दीपेन्द्र मुनि, डॉ पुष्पेन्द्र मुनि, साध्वी डॉ चंदना श्रीजी, डॉ अक्षय ज्योति, प्रगुणा श्रीजी, प्रियधर्मा श्रीजी, सुधा कुंवर, ममताजी, प्रगुणा श्रीजी, विराग साधना श्री ने प्रवचन में कहा कि व्यक्ति की शोभा धन से नहीं धर्म से होती है। धर्म को याद कर धन का सदुपयोग करना चाहिए।
समारोह के दौरान सम्मान समारोह हुआ जिनमें चित्तौड़ सांसद डॉ. गिरिजा व्यास, नगर विधायक गुलाबचंद कटारिया, ग्रामीण विधायक सज्जन कटारा, राज्य सफाई मंत्री रामेश्वर जावा, राजसमंद विधायक किरण माहेश्वरी, पूर्व विधानसभा अध्यक्ष शांतिलाल चपलोत, सभापति रजनी डांगी, पूर्व उपसभापति विरेंद्र बापना, श्री महावीर युवा मंच संस्थान के मुख्य संरक्षक राजकुमार फत्तावत, संरक्षक दिलीप सुराणा, पूर्व अध्यक्ष श्याम नागौरी, संजय भंडारी, मूर्तिपूजक श्रीसंघ के अध्यक्ष गौतम बी. मुर्डिया, मंत्री कुलदीप नाहर, मनोहर सिंह नलवाया, गेंदालाल जैन, उद्योगपति मांगीलाल लुणावत, एन. के. छाजेड़ ने शहरवासियों को इस अवसर पर धनतेरस एवं दीपावली की शुभकामनाएं दी। सभी अतिथियों का संस्थान की ओर से स्वागत, अभिनंदन किया गया। संचालन कवि प्रकाश नागौरी ने किया। धन्यवाद औंकारलाल सिरोया ने ज्ञापित किया। वहीं धनतेरस की पूर्व संध्या पर शंखेश्वर ग्रुप नाहर एण्ड कम्पनी इंदौर द्वारा अशोक नगर स्थित रूप रजत दरबार में सायं सात बजे एक शाम नाकोड़ा भैरूजी के नाम भक्ति संध्या का आयोजन किया गया, जिसमें इंदौर से आए गीतकारों ने नाकोड़ा भैरव के भजनों से पूरा वातावरण को भक्तिमय कर दिया और ‘रूण-झूण करता पधारो म्हारो भैरूजी’ पर सभी झूम उठे।