उदयपुर। ख्यातनाम गायक सुरेश वाडेकर ने कहा कि संगीत में बदलाव अच्छा संकेत है लेकिन वह भी भारतीय संस्कृति के अनुरूप हो तब तक। संगीत में नया करना इंसान के बस की बात नहीं है।
वे आज पुलां स्थित होटल क्यू में सृजन द स्पार्क संस्था द्वारा कार्यक्रम में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि अपनी धरोहर एवं संसकृति को संभालते हुए परिवर्ततान करेंगे तो ठीक रहेगा। परिवर्तन का ओवरडोज नहीं होना चाहिये। किसी भी विधा में नयापन सिर्फ ईश्वर ही कर सकता है। संगीत एक समंदर है जिसमें से जितना निकालों उतना कम है। संगीत में नयापन करने का प्रयास नहीं करना चाहिये।
संगीत के प्रचार-प्रसार में लगे वाडेकर ने कहा कि उनके द्वारा संचालित आजीवासन नामक संगीत स्कूल की शाखाओं का विस्तार कर रहे है। अमेरीका,दुर्बइं के साथ-साथ मुबंई में 15 शाखायें खोलने के बाद अब वे अन्य शहरों में भी शाखायें खेल रहे है ताकि देश में संगीत के क्षेत्र में छिपी प्रतिभा को बाहर ला सकें।
उन्होंने बताया कि देश के लिये यह सुखद है कि संगीत के क्षेत्र में बच्चों का प्रवेश हो रहे है लेकिन उन्होेंने इस बात पर दुख जताया कि रियलिटी शो में विजेता बनने के बाद चैनल उस विजेता के साथ अनुबन्ध कर देते है जो उस बच्चे के भविष्य के लिये नुकसानदेह है। उन्होेंने बताया कि गायकी में गायकों का अनुभव बोलता है युवा गायक उसकी कॉपी नहीं कर सकते है।
इस अवसर पर सुरेश वाडेकर के शिष्य मयुरेश ने बताया कि उन्होंने 15 सालों में ख्यातनाम गायिका एवं स्वर कोकिला लता मंगेशकर के साथ 13 एलबम किये है। प्रथम एलबम वर्ष 2003 में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की कविताओं को लता मंगेशकर की आवाज मंम रिकॉर्ड किया किया था। उसके बादद लता मंगेशकर की ही आवाज में सादगी,सरहदंे, भक्तामर, बंगाली एलबम श्रुरध्वनि सहित अनेक एलबम बनाये है।
यह एक विश्व रिकॉर्ड है कि लता मंगेशकर गायकी के क्षेत्र में 75 वर्ष पूर्ण करने जा रही है। इस अवसर पर प्रारम्भ में कार्यक्रम चेयरमेन राजेश खमेसरा ने सभी का स्वागत किया। इस अवसर पर अध्यक्ष लोकेश चौधरी,राजेन्द्र शर्मा,दिनेश कटारिया, किशोर पाहुजा, अब्बासअली बन्दुकवाला मौजूद थे।